क्या गंगा 2050 तक सूख जाएगी:87 साल में गंगोत्री का ग्लेशियर 1700 मीटर पिघला; पुराण में भी 5000 साल लौटने का जिक्र

क्या गंगा 2050 तक सूख जाएगी:87 साल में गंगोत्री का ग्लेशियर 1700 मीटर पिघला; पुराण में भी 5000 साल लौटने का जिक्र प्रयागराज में गंगा-यमुना के संगम पर महाकुंभ चल रहा है। अब तक 46 करोड़ से अधिक श्रद्धालु डुबकी लगा चुके हैं। लेकिन, इस बीच एक सवाल भी उठ रहा है कि क्या गंगा 2050 तक सूख जाएगी? ये सवाल इस वजह से किए जा रहे हैं, क्योंकि यूनाइटेड नेशन्स की ताजा रिपोर्ट इसी तरफ इशारा कर रही है। दूसरा पुराण में गंगा के वापस लौट जाने की बात भी लिखी है। जानिए यूएन की रिपोर्ट में क्या है? क्यों ऐसा कहा जा रहा है? पुराण में क्या है? जानिए इन सवालों का भास्कर एक्सप्लेनर… सवाल: यूएन की रिपोर्ट में क्या है?
जवाब: यूनाइडेट नेशंस ने साल 2025 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ ग्लेशियर्स घोषित किया है। इसकी वजह दुनियाभर में ग्लेशियर्स का जलवायु परिवर्तन की वजह से तेजी से पिघलना है। विश्व धरोहर स्थलों में 1 लाख 86 हजार ग्लेशियरों की पहचान की गई है। ये ग्लेशियर 66 हजार वर्ग किमी क्षेत्र में फैले हैं। ये कुल ग्लेशियर का 10% है। हिमालय सहित विश्व भर में 10 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले ग्लेशियर अगले 25 वर्षों में सूख जाएंगे। वहीं, 100 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले ग्लेशियर अगले 75 साल में सूख जाएंगे। विश्व धरोहर ग्लेशियर हर साल औसतन 58 बिलियन टन बर्फ खो देते हैं। इससे समुद्र का जलस्तर हर साल 4.5 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। सवाल: गंगा का ग्लेशियर से कनेक्शन क्या है?
जवाब: हिमालय के ग्लेशियर से निकलने वाली दो धाराओं अलकनंदा और भागीरथी के देवप्रयाग में संगम से गंगा अस्तित्व में आती है। अलकनंदा की धारा केदारनाथ स्थित संतोपथ ग्लेशियर से निकलती है। वहीं, गंगा की मुख्य धारा मानी जाने वाली भागीरथी गंगोत्री से निकलती है। हालांकि, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी के विशेषज्ञों के मुताबिक गंगा की मुख्य जलधारा अलकनंदा ही है। इसकी वजह अलकनंदा की विशाल जलराशि है। अलकनंदा में रुद्र प्रयाग तक बद्रीनाथ से निकलने वाली धौलीगंगा, नंदाकिनी, पिंडर और मंदाकिनी की धाराएं मिलती हैं। ये अलकनंदा का औसत प्रवाह 15,516 घन फीट प्रति सेकेंड तक पहुंचा देती है। देवप्रयाग तक 195 किमी की दूरी अलकनंदा 20 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तय करती है। जबकि भागीरथी 16 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से 205 किमी की दूरी तय कर देवप्रयाग पहुंचती हैं। भागीरथी का औसत प्रवाह 9,103 घन फीट प्रति सेकेंड है। यूनाइटेड नेशंस और वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी की ताजा रिपोर्ट बताती है कि दोनों जलधाराओं का मुख्य स्रोत हिमालय के ग्लेशियर ही हैं। जो ग्लोबल वार्मिंग के चलते वर्तमान समय में 38 मीटर प्रति वर्ष की दर से पिघल रही हैं। 1996 से 2016 तक यहां के ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार 22 मीटर प्रति वर्ष थी। सवाल: गंगोत्री-यमुनोत्री ग्लेशियर पिघलने पर क्या असर पड़ेगा?
जवाब: मिजोरम विश्वविद्यालय आइजोल के प्रोफेसर विशंभर प्रसाद सती और सुरजीत बनर्जी ने हिमालय में पिछले 38 साल में होने वाले बदलावों अध्ययन किया है। मूल रूप से चमोली के रहने वाले प्रोफेसर विशंभर प्रसाद सती अपनी रिपोर्ट में बताते हैं कि हिमालय तेज बदलाव से गुजर रहा है। अभी ये बदलाव दिख रहे… 1- मौसम: हिमालय क्षेत्र के 135 जिलों के मौसम में बड़ा बदलाव आया है। 1980 से 2018 की अवधि में 4640 माैसम संबंधी घटनाएं दर्ज हुई हैं। इसमें भूस्खलन और बादल फटने के साथ भारी बारिश और बाढ़ की कुल 2211 घटनाएं हुईं। इसमें भारी बर्फबारी की 1486 घटनाएं और शीतलहर की 303 घटनाएं शामिल हैं। पूर्वी हिमालय की तुलना में पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में 1990 के दशक के बाद भारी बर्फबारी कम हुई है। वहीं, भारी बारिश और बाढ़ के मामले बढ़े हैं। 2- बाढ़: यूपी के बिजनौर में पिछले 3 साल से लगातार बाढ़ आ रही है। सबसे खतरनाक यह है कि बाढ़ तेजी से आती है, लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिलता। 3- धाराओं में बंटी, घाट सिमटने लगे: अमरोहा के तिगरी में गंगा की जलधारा तीन से चार किमी दूर हो गई है। प्रयागराज में भी गंगा कई धाराओं में बंट जाती है। बीच में रेत के टापू निकल आते हैं। इस बार कुंभ के लिए प्रशासन ने गंगा नदी की गहराई कर एक धारा बनानी पड़ी। बनारस में जो गंगा के घाट, जो 600 मीटर तक होते थे। अब वे सिमट कर 300-400 मीटर रह गए हैं। आगे ऐसा दिखेगा बदलाव वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी ने हिमालय के गंगोत्री-यमुनोत्री सहित 650 ग्लेशियरों पर 4 दशकों के दौरान बर्फ पिघलने का विश्लेषण किया है। इसकी रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 1975 से 2000 के बीच हर साल औसतन 4 बिलियन टन बर्फ पिघल रही थी। 2000 से 2016 के बीच ये रफ्तार दोगुनी हो गई। इसकी वजह तापमान में 1 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी है। सवाल- गंगा का कब तक रहेगा अस्तित्व? क्या कहती है रिसर्च?
जवाब: चार पहाड़ियों से घिरा गंगोत्री ग्लेशियर 27 घन (19,683 वर्ग) किमी है। ये ग्लेशियर 30 किमी लंबा है। साथ ही 0.5 से 2.5 किमी की चौड़ाई है। इसके एक छोर पर 3950 फीट की ऊंचाई पर गोमुख स्थित है। यहीं से भागीरथी नदी निकलती है, जो कि बाद में जाकर देवप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिलकर गंगा नदी बनाती है। देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी की रिपोर्ट के मुताबिक, हिमालय क्षेत्र में बढ़ते तापमान, कम बर्फबारी और ज्यादा बारिश की वजह से ये ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। डॉ. राकेश भांबरी अपनी इस रिपोर्ट में बताते हैं कि सबसे ज्यादा खतरे में गंगोत्री ग्लेशियर है। वाडिया इंस्टीट्यूट के ही सरफेस फेसिंग एनालिसिस ऑफ द गंगोत्री एंड नेबरिंग ग्लेशियर नाम के एक और रिसर्च पेपर के मुताबिक साल भर बर्फ से लदी रहने वाली हिमालय की ऊंची चोटियों पर बर्फ नहीं है। 1991 से 2021 तक शिखर पर बर्फ का क्षेत्र 10,768 वर्ग किमी से घटकर 3,258.6 वर्ग किमी रह गया है, जो एक खतरनाक कमी का संकेत है। ठीक इसके उलट पतली बर्फ की चादर 1991 में 3,798 वर्ग किमी से बढ़कर 2021 में 6,863.56 वर्ग किमी हो गई है। इससे क्षेत्र में गर्मी बढ़ गई है। औली और उसके आसपास के क्षेत्र जो पहले हमेशा बर्फ से ढंके रहते थे। अब वहां बर्फ नहीं है। नैनीताल में बर्फबारी दो या तीन वर्षों में एक बार हो रही है। 1990 के दशक में यहां अक्सर बर्फबारी होती रहती थी। इस तरह गंगोत्री में ग्लेशियर पिघल रहा सवाल: देवी भावगत पुराण में गंगा के सूखने को लेकर क्या कहा गया है?
जवाब: देवी भागवत पुराण के स्कंध 9 अध्याय- 11 में जिक्र है कि कलियुग के 5 हजार साल बीतने पर गंगा भी पृथ्वी से चली जाएगी। देवी भागवत की कथा के अनुसार एक बार गंगा और सरस्वती में विवाद हो गया। बीच-बचाव को लक्ष्मी पहुंची, तो सरस्वती ने उन्हें वृक्ष के रूप में पृथ्वी पर पापियों का पाप स्वीकार करने का शाप दे दिया। इसके बाद गंगा और सरस्वती ने एक-दूसरे को नदी के रूप में पृथ्वी पर रहने का शाप दे दिया। तीनों देवियों गंगा, सरस्वती और लक्ष्मी का क्रोध शांत हुआ तो पश्चाताप करने लगीं। तब भगवान विष्णु ने कहा कि जब कलयुग के 5 हजार साल पूरे हो जाएंगे तब तीनों देवियां वापस अपने-अपने स्थान को लौट जाएंगी। पौराणिक कथा के मुताबिक गंगा करीब 14 हजार साल पहले पृथ्वी पर आई थीं। गंगा से पहले सरस्वती नदी का अस्तित्व था। ऋग्वेद और महाभारत में इसका जिक्र है। प्रयागराज में त्रिवेणी के रूप में गंगा-यमुना के साथ सरस्वती का संगम बताया गया है। हालांकि हिमालय से निकली सरस्वती हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के रास्ते आज के पाकिस्तानी सिंध प्रदेश जाकर अरब की खाड़ी में मिल जाती थीं। सरस्वती अब लुप्त हो चुकी हैं। सवाल: ग्लेशियर को बचाने के लिए क्या किया जा रहा है?
जवाब: डेटा संग्रह और एनालिसिस को बढ़ाने के लिए वैश्विक ग्लेशियर निगरानी प्रणालियों का विस्तार किया जा रहा है। ग्लेशियर से संबंधित खतरों के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करना। ग्लेशियर-निर्भर क्षेत्रों में स्थायी जल संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देना। ग्लेशियर पर्यावरण से संबंधित सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित करना। कार्बन उत्सर्जन को घटाकर ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस के औसत पर लाना। ग्राफिक्स: प्रदीप तिवारी ————————————— यह खबर भी पढ़ें विदेशी बोले- महाकुंभ दुनिया की सबसे अच्छी जगह, नॉर्वे के पूर्व मंत्री बोले- इतिहास का सबसे बड़ा समागम, भारत के लोग बड़े मिलनसार प्रयागराज महाकुंभ अपने अंतिम चरण में है। तमाम विदेशी श्रद्धालु भी महाकुंभ पहुंच रहे हैं। बुधवार को नार्वे, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और नेपाल से आए श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। यहां पढ़ें पूरी खबर

यूपी-बिहार बॉर्डर पर 7 शराब तस्करों के खिलाफ FIR:दैनिक भास्कर के खुलासे के बाद एक्शन में पुलिस, शराब तस्कर फरार हुए

यूपी-बिहार बॉर्डर पर 7 शराब तस्करों के खिलाफ FIR:दैनिक भास्कर के खुलासे के बाद एक्शन में पुलिस, शराब तस्कर फरार हुए यूपी-बिहार बॉर्डर से सटे यूपी के जिलों और बलिया में नदियों के रास्ते नाव से शराब तस्करी करने वालों के खिलाफ पुलिस ने एक्शन लेना शुरू कर दिया है। दैनिक भास्कर के खुलासे के बाद बलिया पुलिस ने थाना बैरिया में 7 शराब तस्करों के खिलाफ FIR दर्ज कराई। तस्करों को गिरफ्तारी के लिए छापे मारे जा रहे हैं। कोतवाली बैरिया के चौकी चांददीयर चौकी प्रभारी परमात्मा मिश्रा ने लिखित शिकायत में दीपू सिंह, अर्जुन सिंह और ब्रह्म तिवारी और इनके गुर्गे सनी साहनी और बिहार के रिविलगंज निवासी विकास सिंह, मंटू सिंह और एक शराब के सेल्समैन के खिलाफ FIR दर्ज करवाई है। FIR के मुताबिक, दीपू सिंह, अर्जुन सिंह और ब्रह्म तिवारी के कहने पर सनी साहनी, विकास सिंह और मंटू सिंह और शराब की दुकान के सेल्समैन नाव के जरिए शराब की तस्करी कर रहे हैं। पुलिस की इस कार्रवाई के बाद शराब कारोबारियों में हड़कंप मचा हुआ है। वहीं, भास्कर के खुलासे के बाद आबकारी विभाग भी एक्टिव हो गया है। बलिया के जिला आबकारी अधिकारी ओपी शुक्ला ने जांच करके कार्रवाई की बात कही है। पहले पढ़िए FIR में क्या लिखा है… अब दैनिक भास्कर की बॉर्डर तस्करी पर दो इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट… बिहार में शराबबंदी के बाद से यूपी के बॉर्डर से लगे जिलों से शराब की तस्करी बड़े पैमाने पर की जा रही है। सड़क और ट्रेन में सख्ती बढ़ी तो तस्करों ने पानी का रास्ता अपना लिया है। गंगा और घाघरा से रोजाना लाखों की शराब यूपी से बिहार पहुंचे तस्करों की न केवल पहचान की, बल्कि कैमरे में कैद भी किया। पुलिस और इनको संरक्षण देने वाले नेताओं के रोल को जाना। चाने का सुरक्षित रास्ता बन गया। दैनिक भास्कर की टीम ने 30 दिनों की खोजबीन में पानी के जरिये शराब की तस्करी देखी। साथ ही शराब तस्करी बॉर्डर पर कैसे स्टार्ट अप का रूप ले लिया और युवा उसमें कूद रहे हैं। पहले इस मैप से जानिए शराब की तस्करी का रूट… दोनों नदियों के उस पार बिहार का बॉर्डर
एक तरफ बिहार तो दूसरी तरफ UP का बलिया जिला। गंगा के उस पार बिहार का भोजपुर (आरा) जिला और घाघरा के उस पार छपरा जिला पड़ता है। यह जल सीमा 150 किलोमीटर से ज्यादा है। इसका फायदा दोनों तरफ के तस्कर उठाते हैं। बलिया के तस्कर, बिहार के तस्कर को नाव पर माल उपलब्ध कराते हैं। थाना-चौकी में हिस्सा दीजिए, जितनी चाहे शराब भेजिए
तस्करों से बातचीत से निकलकर आया कि तस्करी का एक हिस्सा पुलिस को जाता है। जिस थाने और चौकी का एरिया लगता है, उससे तस्करों को सेटिंग करनी पड़ती है। एक तस्कर महीने में थाने को कथित रूप से 70 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक देता है, जबकि चौकी 10 से 15 हजार में मैनेज होती है। UP में सबसे बड़ा डर SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) टीम का होता है। यह पूरे जिले में छापा मारती है। इसलिए तस्कर को SOG टीम को भी मैनेज करना पड़ता है। टीम को तस्कर 20 हजार रुपए तक देने का दावा करते हैं। तस्करों को UP और बिहार दोनों तरफ की पुलिस को मैनेज करना पड़ता है। बड़े तस्कर मंथली थाने को रुपए देते हैं, जबकि छोटे तस्कर पेटी के हिसाब से। हमने उन तस्करों से संपर्क किया जो बॉर्डर से शराब बिहार पहुंचाते हैं। बलिया में हमें पता चला कि तस्करी के लिए सबसे बड़ा हब बैरिया तहसील है। हम एक पैडलर से मिले, जो कुछ दिन पहले तक डिपो से शराब की पेटियों को घाट तक पहुंचाता था। अब हमें ऐसे व्यक्ति की तलाश थी, जो शराब तस्करी के लिए तैयार हो और UP का माल बिहार पहुंचाने की गारंटी भी ले। तीन दिन तक लगातार बातचीत के बाद 22 साल का तस्कर सनी साहनी मिलने के लिए तैयार हुआ। रिपोर्टर- शराब बिहार ले जाते होंगे, वहां तो सेटिंग होगी ना?
तस्कर- नाव तक पहुंचाने की मेरी जिम्मेदारी है, उसके आगे की नहीं। उधर वो (बिहार ले जाने वाला तस्कर) अपना जानें। तस्कर- कितनी पेटी रोज दे सकते हो?
रिपोर्टर- 500 पेटी रोज मिल जाएगी। रिपोर्टर- माल में होलोग्राम और बार कोड रहता है?
तस्कर- माल लेते समय ही उसे हटा दिया जाता है। नोट- होलोग्राम और बार कोड पर दुकान और गोदाम का डिटेल रहता है। छापे में ये पकड़े जा सकते हैं। इसलिए तस्कर इसे हटा देते हैं। अब हम बिहार के ऐसे तस्कर की तलाश में थे, जो बल्क में माल लेता हो। हमारे सोर्स ने विकास सिंह से मुलाकात कराई। विकास अपने साथी मंटू सिंह के साथ आया। बलिया के बैरिया थाने में दीपू सिंह सिंह के खिलाफ आबकारी के मामले दर्ज हैं। पूर्व विधायक और SI में दीपू सिंह को लेकर बहस हुई थी। हम जानना चाहते थे कि क्या दीपू सिंह से बिहार के तस्करों का सीधा संपर्क है? एक तस्कर कितनी शराब रोजाना ले रहा है? रिपोर्टर- क्या दीपू सिंह नहीं दे रहे हैं?
तस्कर विकास- फोन आया था, हम लोग वहां से माल नहीं ले रहे। इसकी वजह बिहार में मांझी पुलिस की स्टीमर (सर्चिंग बोट) आ गई है। इसलिए रिस्क नहीं ले रहे। रिपोर्टर- जो घाट आपको सेफ लगे, बाकी हम लोग रेट तय कर लेते हैं, जनवरी से काम शुरू करेंगे?
तस्कर विकास- अगर हमें देंगे तो हम लोग एक दिन में कम से कम 300 से 400 पेटी खींच देंगे। रिपोर्टर- अभी ज्यादा किसकी डिमांड है?
तस्कर विकास- अभी फ्रूटी की ही डिमांड है। गर्मी के दिन आएंगे तो बीयर ज्यादा चलेगी। शराब तस्करों और नेताओं का गठजोड़ हमारी पड़ताल में तस्करों से बातचीत में 3 शराब माफिया के नाम सामने आए। पहला- अर्जुन सिंह, दीपू सिंह और दूसरा- ब्रह्म तिवारी। दीपू सिंह के संबंध पूर्व भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह के साथ बताए गए हैं। ये पूर्व विधायक के समर्थक हैं। दीपू के खिलाफ शराब तस्करी समेत 5 केस बैरिया थाने में दर्ज हैं। 12 जनवरी को बैरिया थाने के थाना प्रभारी और पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह का वीडियो सामने आया। जिसमें दोनों में बहस हो रही है। थाना प्रभारी कहते हैं कि आप शराब तस्कर दीपू की पैरवी करते हैं। पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह के साथ शराब तस्कर दीपू की फोटो भी हमें मिली। हालांकि, सुरेंद्र सिंह अपने बयानों में हमेशा शराब के खिलाफ रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी के फैसले को अच्छा बता चुके हैं। —————————
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UP में नाव से शराब तस्करी पहली बार देखिए तस्करी का रूट समझने के लिए हम बलिया पहुंचे। बलिया दाे तरफ से गंगा और घाघरा नदी से घिरा है। इस एरिया को दोआबा कहते हैं। इन इलाकों में खनन और शराब तस्करी बड़े पैमाने पर होती है। पूरी खबर पढ़ें… UP-बिहार बॉर्डर पर शराब तस्करी में नौकरी से ज्यादा पैसा मैं 16 साल की उम्र से शराब तस्करी कर रहा हूं। इस धंधे में हमने कई लोगों को खड़ा किया। कुछ लोग तो जेल में हैं, लेकिन हम कभी जेल नहीं गए। जब से शराबबंदी हुई है, हमने खूब पैसा कमाया। ये कहना है 22 साल के शराब तस्कर सनी साहनी का। पूरी खबर पढ़ें…

दान में मिले साधुओं से बना है यह अखाड़ा:साधु-संन्यासियों को अंतिम समय में देता है समाधि; विदेशी ले रहे दीक्षा

दान में मिले साधुओं से बना है यह अखाड़ा:साधु-संन्यासियों को अंतिम समय में देता है समाधि; विदेशी ले रहे दीक्षा ‘मैं एक साइकेट्रिस्ट हूं। पहली बार महाकुंभ आई हूं। यह पहला ऐसा आध्यात्मिक मेला है, जो दुनिया में कहीं नहीं लगता। यहां विश्व के सबसे शक्तिशाली गुरु हैं। हम अनोखी आध्यात्मिक ऊर्जा को अपने गुरुओं के जरिए देख रहे हैं।’ यह कहना है इजरा का। वह रूस से आई हैं। इस समय श्री दशनाम गोदड़ अखाड़े में हैं। महंत सत्यानंद गिरी उर्फ लाली बाबा से दीक्षा ले रही हैं। यह वह अखाड़ा है, जो साधु-संतों के निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार करता है। समाधि दिलाता है। इजरा बताती हैं- मेरे फादर इंडियन हैं और मां रशियन। उनकी तरह रूस के कई युवा श्री दशनाम गोदड़ अखाड़े में हैं। जो हिंदी तो नहीं बोल पाते, लेकिन संस्कृत के जटिल श्लोक उन्हें अच्छे से याद हैं। आखिर इस अखाड़े में ऐसा क्या, जो विदेशियों ने यहां का रुख किया? अखाड़े की परंपरा क्या है? इन सवालों का जवाब जानने दैनिक भास्कर शिविर में पहुंचा। चमक-दमक नहीं, न ही भव्य अखाड़ा
महाकुंभ में लगे लगभग सभी अखाड़ों के पंडाल अपनी भव्यता की वजह से चर्चा में रहे, लेकिन श्री दशनाम गोदड़ अखाड़े के पंडाल में वैसी भव्यता नहीं है। अखाड़े में चमक-दमक भी नहीं है। हम जब यहां पहुंचे, तब रूस से आईं इजरा के अलावा दो और रशियन शिष्य मौजूद थे। तीनों मंत्रोच्चार करते मिले। सबसे पहले जानते हैं इजरा के मन की बात….
हमने साइकेट्रिस्ट इजरा से उनका परिचय पूछा, वो बताती हैं- मेरा सनातन का कोई नाम नहीं है। जो पासपोर्ट में नाम है, अभी वही मेरी पहचान है। मैं लाइफ को बहुत डार्क और रहस्यमयी फील करती थी। मैंने सर्च किया, मुझे भारत के बारे में पता चला। दशनाम गोदड़ अखाड़े के बारे में पता चला। यहां आने के बाद बहुत अच्छा लगा। सबसे इंपॉर्टेंट बात ये है कि भारत सबकी केयर करता है। हमारे गुरुजी सबकी केयर करते हैं। गुरुजी बहुत स्टोरी सुनाते हैं। वो बताते हैं कि इंसान का वास्तविक किरदार क्या है? यह मुझे सनातन धर्म में सबसे अच्छा लगा कि यह बहुत ओरिजिनल है। इससे शांति मिलती है और आप इससे सीखते हैं। गुरु आईना हैं, जो आपके अंदर की चीजें रिफ्लेक्ट करते हैं
साइकेट्रिस्ट इजरा से जब हमने पूछा कि आपको अपने गुरुजी की साइकोलॉजी के बारे में क्या पता चला? उन्होंने कहा- वह एक आईने की तरह हैं। वह आपके अंदर की सारी चीजें रिफ्लेक्ट करते हैं। बताते हैं कि क्या कुछ बदलने की जरूरत है। बताते हैं कि आपको अपने आप में क्या कुछ फिक्स करना है। वह सब कुछ गाइड करते हैं, जो जीवन को शांति और सुकून पहुंचा सकता है। 2013 से सनातन संस्कृति से जुड़े रूस के अजय गिरी और जया गिरी
इजरा के साथ बैठे दो अन्य रशियन से भी हमने बात की। दोनों ने अपना परिचय देते हुए कहा- हमारा सनातनी नाम अजय गिरी और जया गिरी है। हम 2013 से सनातन संस्कृति से जुड़े हैं। भगवान को मानते हैं। अजय गिरि ने कहा- यह मेरी लाइफ का चौथा कुंभ है। इससे पहले मैं अर्धकुंभ में अपने गुरु सत्यानंद गिरी के सानिध्य में रह चुका हूं। मैं ज्यादातर समय अपने गुरु की सेवा में बिताता हूं। मैंने दूसरे शैव अखाड़ों के अलावा गोदड़ अखाड़े का चुनाव महादेव के सत्य स्वरूप का साक्षात्कार करने के लिए किया है। जब से मुझे गुरु का सानिध्य मिला, जीवन को देखने का नजरिया ही बदल गया। इसके साथ ही अजय गिरी मंत्रोच्चार करते हैं। वह खुद को महादेव का भक्त बताते हैं। बोलते हैं- मुझे यहां आकर जो शांति और सुकून मिला, वो कहीं नहीं है। यहां तक पहुंचना तकदीर की बात है
रूस की जया गिरी बताती हैं- यह तकदीर की बात है कि मैं गोदड़ अखाड़े तक पहुंची। यहां जीवन की सच्चाई पता चलती है। गोदड़ अखाड़े में मुझे तमाम गुरु मिले, ज्ञान मिला। यह अलग एहसास कराता है। सनातन धर्म बहुत अच्छा है। मुझे आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति हुई है। इसके साथ ही वह शिव मंत्र पढ़ती हैं- ॐ नमस्ते अस्तु भगवान विश्वेश्वराय, महादेवाय त्रयम्बकाये, त्रिपुरान्तकाय, त्रिकाग्नि कालाये, कालाग्नि रुद्राए, नीलकंठाय, मृत्युंजयाय, सर्वेश्वराय, सदाशिवाय, श्रीमन् महादेवाय नमः. अब जानते हैं गोदड़ अखाड़े की परंपरा
शैव अखाड़े की परंपरा में 7 संन्यासी अखाड़ों के दान से मिले साधुओं से गोदड़ अखाड़ा बनता है। गोदड़ अखाड़े के संत, शैव अखाड़ों के देह त्याग चुके संतों को समाधि दिलाते हैं। देह त्यागी साधु के षोडश संस्कार में गोदड़ अखाड़े के संतों का प्रमुख स्थान होता है। जिस संत को समाधि दी जाती है, उसके कुछ शिष्य दान में इस अखाड़े को मिलते हैं। इस तरह से अखाड़े में साधु आते हैं। महंत सत्यानंद गिरी उर्फ लाली बाबा ने बताया- रुखड़ सुखद और गूदड़ शब्द से जोड़कर गोदड़ अखाड़े की नींव रखी गई। गोदड़ अखाड़े की स्थापना ब्रह्मपुरी महाराज ने की थी। जहां भी शैव संप्रदाय के अखाड़े हैं, वहां गोदड़ अखाड़ा भी है। गोदड़ अखाड़े के संत शैव संप्रदाय के सातों अखाड़ों (अग्नि को छोड़कर) के मृतक साधुओं को समाधि दिलाते हैं। संतों के अंतिम संस्कार में भी गोदड़ अखाड़े की खास भूमिका होती है। इसका मुख्य केंद्र जूनागढ़ है। न शाही स्नान, न महामंडलेश्वर, एक चेला बनाने की परंपरा लाली बाबा बताते हैं- यह सातों अखाड़ों से संबंधित है। जहां भी शैव संप्रदाय के अखाड़े हैं, वहां गोदड़ अखाड़ा भी है। गोदड़ अखाड़े के संत शैव संप्रदाय के सातों अखाड़ों (अग्नि को छोड़कर) के मृतक साधुओं को समाधि दिलाते हैं। संतों के अंतिम संस्कार में भी गोदड़ अखाड़े की खास भूमिका होती है। इसके अलावा अखाड़े का प्रमुख काम देवता को धूपिया दिखाना है। लाली बाबा के मुताबिक, अखाड़े के साधु किसी महात्मा के समाधि स्थल पर गायत्री पाठ कर उन्हें मुक्ति दिलाते हैं। समाधि स्थल पर 108 समाधि गायत्री मंत्र जाप करना प्रमुख कार्य है, लेकिन यह परंपरा करीब-करीब खत्म हो गई है। अखाड़े के संत शाही स्नान नहीं करते हैं। अखाड़े में कोई भी महामंडलेश्वर नहीं है। वह सिर्फ एक चेला बनाते हैं। लाली बाबा ने बताया कि हमारे अखाड़े से बहुत विदेशी श्रद्धालु जुड़े हैं। ये सिर्फ रूस से नहीं हैं। ये ऐसे श्रद्धालु हैं, जो सब कुछ न्योछावर करने के लिए आगे रहते हैं। हमें सिर्फ अपने सनातन धर्म का प्रचार करना है। इसके अलावा हम कुछ नहीं मांगते। सिर्फ सेवा करते हैं। ————————– यह खबर भी पढ़ें महाकुंभ में किन्नर महामंडलेश्वर का जटा पार्लर: 8 हजार से 1.65 लाख तक में आर्टिफिशियल जटा, यहीं सजी थीं हर्षा रिछारिया महाकुंभ में वसंत पंचमी के अमृत स्नान से एक तस्वीर सामने आई। साड़ी पहनकर स्नान करती हुई एक जटाधारी की। डुबकी लगाने के बाद बालों को हवा में लहराते हुई इस तस्वीर को देख लोगों ने कहा- शिव जैसी जटाएं हैं, तो किसी ने कहा- मां काली जैसी। लेकिन ये जटाधारी कौन थीं? पढ़ें पूरी खबर…

कानपुर IIT स्टूडेंट के पिता बोले- भूखे सोता था बेटा:प्रोफेसर ने बेटे की जिदंगी हराम कर दी; बात-बात पर जलील करता था

कानपुर IIT स्टूडेंट के पिता बोले- भूखे सोता था बेटा:प्रोफेसर ने बेटे की जिदंगी हराम कर दी; बात-बात पर जलील करता था ‘मेरा बेटा जिस प्रोफेसर के अंडर रिसर्च कर रहा था। वह बेटे को समय से नहीं छोड़ता था। इस कारण मेरा बेटा खाना नहीं खा पाता था। लैब में खुद खाता था, स्टूडेंट्स को खाने नहीं देता था। पानी नहीं पीने देता था, जलील करता था। मेरा बेटा अपनी मां को पल-पल की अपडेट देता था, वो कहता था- मम्मी राक्षस प्रोफेसर मिला है। सभी की जिंदगी हराम करके रखी है। वो हर दिन कहता मम्मी आज भूखे पेट सो रहा हूं। मेरा बेटा 12 फरवरी को घर आने वाला था, उसने लीव अप्लाई की, मगर उसने कैंसिल कर दी। उसने मेरे बेटे को धमकाया, करियर बर्बाद करने की धमकी दी थी। उससे कहा था- तुम्हारे मम्मी-पापा को फंसा दूंगा। इसी डर से मेरे बेटे ने सुसाइड नोट में कुछ नहीं लिखा। प्रोफेसर ने ही मेरे बेटे की जान ली है। उसी ने उकसाया और धमकाया था।’ ये दर्द है कानपुर आईआईटी में सुसाइड करने वाले रिसर्च स्कॉलर अंकित यादव के रामसूरत यादव का। बेटे का जिक्र होते ही वह फफक पड़े। बोले- मेरे बेटे की मौत का जिम्मेदार प्रोफेसर है। बेटे की किस्मत खराब थी, जो उसे ऐसा संवेदन शून्य प्रोफेसर मिला। स्टूडेंट्स उसे राक्षस कहते हैं। उसका बर्ताव इतना खराब है कि उसके पास कोई बच्चा जाने को तैयार नहीं होता। पिता ने प्रोफेसर के बारे में और क्या बताया ? अंकित ने अपनी मां को क्या-क्या बताया था? लैब की स्थिति क्या थी, उसका माहौल कैसा था? प्रोफेसर ने अंकित के अलावा और किन-किन छात्रों को परेशान किया था? पढ़िए रिपोर्ट… विस्तार से जानिए पूरा मामला
आजमगढ़ के फूलपुर थाने के अंबारी के रहने वाले रामसूरत यादव का बेटा अंकित यादव (24) कानपुर आईआईटी में केमिस्ट्री से पीएचडी कर रहा था। यह उसका पहला साल था। अंकित यादव ने सोमवार शाम 5 बजे सुसाइड कर लिया। आईआईटी के सुरक्षा अधिकारी को सूचना मिली कि कैंपस के हॉस्टल एच-103 में छात्र का शव लटका हुआ है। पुलिस को कमरे से 3 लाइन का सुसाइड नोट मिला। जिसमें लिखा था- मैं क्विट कर रहा हूं…इसमें कोई इन्वॉल्व नहीं है। यह मेरा अपना निर्णय है। बेटे के सुसाइड की सूचना पर पहुंचा परिवार
बेटे के सुसाइड की जानकारी मिलते ही सोमवार देर रात परिवार नोएडा से कानपुर पहुंचा। अंकित के पिता ने कहा- मेरा बेटा सुसाइड नहीं कर सकता है। सब कुछ ठीक था तो अचानक ऐसा क्या हुआ। यहां कुछ तो प्रेशर रहा होगा, जिस वजह से मेरे बेटे ने ऐसा कदम उठाया। बेटे का नाम सुनते ही पिता छलक आईं आंखें भूखे ही सो जाता था मेरा बेटा
राम सूरत यादव ने बेटे ने अंकित ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीएससी और एमएससी किया था। इसके बाद जुलाई 2024 में IIT कानपुर में एडमिशन लिया था। वह यहां एक प्रोफेसर के अंडर में पीएचडी कर रहा था। उसने मेरे बेटे का उत्पीड़न किया। सुबह 8 बजे मेरे बेटे को बुला लेता था, जब वह ब्रेकफास्ट करने की बात कहता था तो प्रोफेसर बेटे को धमकाता। डर के कारण बिना खाए ही चला जाता था। दोपहर 2 बजे लौट के आता था, तब तक मेस बंद हो जाता था। रात को भी 9 बजे के बाद छोड़ता था। मेरा बेटा 2 किलोमीटर बेटा साइकिल चला कर जब तक कैंपस आता था। तब तक मेस भी बंद हो जाता था। उसे 24 घंटे में सिर्फ लंच ही मिलता था। रात में अधिकतर भूखे सो जाता था। जौनपुर के स्टूडेंट्स को पूरी रात लैब में रखा
पिता ने बताया- उस प्रोफेसर के अंडर में कोई स्टूडेंट्स PHD नहीं करना चाहता था। उसका व्यवहार बहुत की गंदा है। मेरा बेटा हर दिन फोन करता अपनी मां को और कहता, मम्मी आज बिना ब्रेकफास्ट के लैब आया हूं। मम्मी आज रात भूखे सो रहा हूं। वह लैब में बच्चों को परेशान करता था। वह खुद बैठकर खाता रहता था, अगर कोई छात्र खाने लगे तो उसे डांटता, धमकाता। जो छात्र पानी पीने जाते या पेशाब करने जाते तो वह उन्हें जलील करता था। एक बार आसाम के रहने वाले स्टूडेंट्स की मां बीमार हुईं, वो सीरियस थीं। वह स्टूडेंट्स चला गया तो उसे बुला लिया। जौनपुर का लड़का लैब से बिना बताए कहीं चला गया तो उसे पूरी रात उस प्रोफेसर ने लैब में रखा। बेटे ने लीव ली तो उसे धमकाया
मेरा बेटा 12 फरवरी को नोएडा आना था, इसका टिकट भी हो गया था। 16 फरवरी को वापसी का टिकट भी कर लिया था। मगर उसने लीव कैंसिल कर दी। बेटे को डराया और धमकाया। पिता बोले- जिस दिन उसकी लीव कैंसिल हुई, उस दिन मेरा बेटा बहुत दुखी था। उसने मम्मी को फोन कर के कहा था- मम्मी मैं आज लैब नहीं चाहता। उसका (प्रोफेसर) का चेहरा नहीं देखना चाहता। वह बहुत क्रूर है। राम सूरत ने कहा- उसने लीव लेने पर मेरे बेटे का टॉर्चर किया। उसे करियर बर्बाद करने की धमकी दी। उसने कहा, तुम्हारे मां-बाप को फंसा देंगे, बर्बाद कर देंगे। इसीलिए मेरे बेटे ने सुसाइड नोट में कुछ नहीं लिखा। वह मेरे बेटे को धमकाता और उकसाता था। उसने ही मेरे बेटे की जिंदगी छीनी है। प्रोफेसर का बर्ताव गंदा, उसके अंडर मात्र दो स्टूडेंट्स
पिता ने बताया कि प्रोफेसर का बर्ताव कितना गंदा है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उसके अंडर में पांच साल में दो बच्चे हैं। फोर्थ ईयर में एक स्टूडेंट्स है। थर्ड और सेकेंड ईयर में कोई स्टूडेंट्स नहीं है। फर्स्ट ईयर में एक लड़की और मेरा बेटा था। उसके स्टूडेंट्स की मौत हुई है, एक भी बार उसने फोन नहीं किया, पेरेंट्स से मिलने तक नहीं आया। आईआईटी प्रशासन पर लापरवाही करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आईआईटी प्रशासन की लापरवाही और उत्पीड़न से तंग आकर बेटे ने जान दी है। 11 फरवरी को पोस्टमार्टम करा कर डेड बॉडी को आजमगढ़ लाया गया, जहां अंतिम संस्कार कर दिया गया। बेटे की मौत से पिता रामसूरत यादव टूट गए हैं। इसके साथ ही मां का भी रो-रोकर बुरा हाल है। ……………….. ये खबर भी पढ़ें- यह कानपुर IIT का फेल्योर, मेरा भतीजा चला गया:सुसाइड करने वाले छात्र के चाचा बोले- प्रोफेसर के गाइडेंस में दिक्कत यह कानपुर IIT का फेल्योर है। यहां 6 से 7 सुसाइड हो चुके हैं। 4 से 5 रेप केस हो चुके हैं। बहुत अफसोस है। मेरा भतीजा चला गया, मेरा तो सब कुछ नष्ट हो गया। मेरे परिवार का सबसे होनहार बच्चा था। एक बार जो देख लेता था उसे याद कर लेता था। पढ़ें पूरी खबर

कल से ICSE और CISE बोर्ड की परीक्षाएं:प्रयागराज में ट्रैफिक जाम से एग्जाम छूटा तो दोबारा मौका मिलेगा, अपील– बाइक या साइकिल से निकलें

कल से ICSE और CISE बोर्ड की परीक्षाएं:प्रयागराज में ट्रैफिक जाम से एग्जाम छूटा तो दोबारा मौका मिलेगा, अपील– बाइक या साइकिल से निकलें प्रयागराज में महाकुंभ को लेकर रोज लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। शहर के बाहर और अंदर जाम की स्थिति है। इसी बीच कल 13 फरवरी से ICSE और CISE बोर्ड की परीक्षाएं भी शुरू हो रही हैं। जाम में फंसने से अगर किसी छात्र की परीक्षा छूट जाती है तो बोर्ड ने उसे राहत दी है। छूटी परीक्षा के लिए नई डेट तय की जाएगी। 13 फरवरी को 12वीं का पर्यावरण विज्ञान और 14 फरवरी को दोपहर 2 बजे से इंग्लिश लैंग्वेज की परीक्षा होगी। बोर्ड की ओर से जारी सूचना के मुताबिक, आने–जाने में असुविधा के कारण यदि प्रयागराज में कक्षा-12वीं के किसी स्टूडेंट की परीक्षा छूट जाती है तो परीक्षा नई डेट तय कर कराई जाएगी। छात्रों और टीचर से बोर्ड की अपील 13 से 15 फरवरी तक 8वीं तक के स्कूल बंद महाकुंभ की भीड़ को देखते हुए 13 से 15 फरवरी तक प्रयागराज में 8वीं तक के स्कूल बंद रहेंगे। लेकिन, पढ़ाई ऑनलाइन होगी। टीचर स्कूल से जुड़े अन्य कामों के लिए स्कूल आएंगे। यह आदेश जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण कुमार तिवारी की ओर से जारी किया गया है।

लखनऊ में दिल्ली जा रही रोडवेज बस का इंजन फेल:30 यात्रियों ने 500 मीटर धक्का लगाया, वर्कशॉप पहुंचाया

लखनऊ में दिल्ली जा रही रोडवेज बस का इंजन फेल:30 यात्रियों ने 500 मीटर धक्का लगाया, वर्कशॉप पहुंचाया गोरखपुर से दिल्ली जा रही कौशांबी डिपो की रोडवेज बस अचानक लखनऊ में खराब हो गई। इसके बाद बस के यात्रियों ने धक्का मार कर उसे अमौसी रोडवेज वर्कशॉप पहुंचाया। जहां उसकी मरम्मत का काम जारी है। बदायूं जिले का रोडवेज बस चालक मुकलेश बुधवार शाम कौशांबी डिपो की रोडवेज बस (यूपी 78 एफएन 5431) लेकर गोरखपुर से दिल्ली जा रहा था। बस में 30 यात्री सवार थे। तभी शाम करीब 7 बजे सरोजनी नगर में एयरपोर्ट कमर्शियल तिराहे के पास बस का इंजन अचानक बंद हो गया और बस खड़ी हो गई। इस दौरान चालक ने बस स्टार्ट करने की काफी कोशिश की, लेकिन बस स्टार्ट नहीं हुई। बस को लेट लतीफ होते देख उस पर सवार यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। चालक ने यात्रियों से धक्का मरवा कर उसे करीब 500 मीटर दूर अमौसी रोडवेज वर्कशॉप पहुंचाया। दिल्ली से पकड़नी थी फ्लाइट
बस में सवार यात्री संतोष ने बताया कि वह गोरखपुर से दिल्ली जा रहा है। उसे गुरुवार सुबह दिल्ली से फ्लाइट पकड़कर विदेश जाना है, लेकिन बस के खराब हो जाने से उसकी फ्लाइट छूट सकती है। इधर, वर्कशॉप में मैकेनिकों की टीम बस की खराबी दूर करने में जुटी है।

बांके बिहारी ने पहली बार नोटों की पोशाक पहनी:गोस्वामी बोले- ये लक्ष्मी पोशाक, राजस्थान के भक्त का गोपनीय दान, 2 लाख श्रद्धालु पहुंचे

बांके बिहारी ने पहली बार नोटों की पोशाक पहनी:गोस्वामी बोले- ये लक्ष्मी पोशाक, राजस्थान के भक्त का गोपनीय दान, 2 लाख श्रद्धालु पहुंचे माघ पूर्णिमा पर बांके बिहारीजी अनोखी छवि में दर्शन देते नजर आए। बुधवार शाम को जब बांके बिहारीजी के दर्शन खुले तो उन्होंने नोटों से बनी पोशाक धारण की हुई थी। भक्तों ने बांके बिहारी की जयकार लगाई। सामने आया कि 4 लाख रुपए वैल्यू के नोटों से इस पोशाक को तैयार किया गया। बांके बिहारीजी की छवि के दर्शन करके भक्त आनंद में सराबोर हो गए। 100, 200, 500 की नोट का इस्तेमाल
मंदिर के गोस्वामी नितिन सांवरिया ने कहा- राजस्थान के एक भक्त बुधवार सुबह मंदिर में आए। उन्होंने हमें बांके बिहारी की पोशाक दी। यह नोट की बनी हुई है। उन्होंने परिवार के साथ दर्शन किए। दान करते हुए अपनी पहचान गोपनीय रखने का आग्रह किया है। दरअसल, इस पोशाक की वैल्यू करीब 4 लाख रुपए की है। इसको बनाने में 200 रुपए की नोट की 15 गड्डियों को इस्तेमाल किया गया है। इसके अतिरिक्त, 1 लाख रुपए की 10-20 की नोट, 100 और 500 रुपए की नोट का इस्तेमाल किया गया है। बांके बिहारी की ड्रेस 7 हिस्सों में बनती है… पहली बार धारण की नोटों से बनी पोशाक
भगवान बांके बिहारी को पहली बार नोटों से बनी पोशाक धारण कराई गई। इससे पहले उनके बनने वाले फूल बंगलों के दौरान नोटों के बंगले बनाए जाते रहे हैं। इसके अलावा कई बार भक्तों ने नोटों की माला भी अर्पित की है। लेकिन यह पहला मौका जब भगवान बांके बिहारी जी को नोटों से बनी पोशाक धारण कराई गई हो। गोस्वामी बोले- यह लक्ष्मी पोशाक है… माघ पूर्णिमा पर मथुरा-वृंदावन में 2 लाख श्रद्धालु मौजूद हैं। सुबह से दर्शन-पूजन चल रहा है। बांके बिहारी के दर्शन का सिलसिला जारी है। मंदिर के गोस्वामी नितिन सांवरिया ने कहा- राजस्थान के एक भक्त हैं, जो बांके बिहारीजी और सांवरिया सेठ में अटूट आस्था रखते हैं। उन्हीं भक्त ने जब सांवरिया सेठ के कई बार नोटों से बनी पोशाक धारण किए दर्शन किए तो उनके मन में प्रेरणा आई कि वह भगवान बांके बिहारी जी के लिए नोटों से बनी पोशाक अर्पित करें। इसके बाद उन्होंने खुद कारीगरों के साथ बैठकर इस पोशाक को बनवाया। नितिन सांवरिया ने बताया कि यह लक्ष्मी पोशाक है।
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बांके बिहारी मंदिर में सेवादारों ने श्रद्धालुओं को पीटा:मुंबई से आया था 17 लोगों का ग्रुप, महिलाओं समेत 3 घायल, हिरासत में 2 आरोपी वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालु और पुजारियों के बीच मारपीट हो गई। इसमें दो महिलाओं समेत तीन श्रद्धालु घायल हुए हैं। श्रद्धालु मुंबई से आए थे। पुलिस ने दो सेवादारों को हिरासत में लिया है। पढ़िए पूरी खबर…

मायावती ने भतीजे आकाश के ससुर को बसपा से निकाला:बोलीं- गुटबाजी कर रहे थे, अशोक सिद्धार्थ के करीबी नितिन सिंह को भी बाहर किया

मायावती ने भतीजे आकाश के ससुर को बसपा से निकाला:बोलीं- गुटबाजी कर रहे थे, अशोक सिद्धार्थ के करीबी नितिन सिंह को भी बाहर किया बसपा प्रमुख मायावती ने भतीजे आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया। उनके करीबी पूर्व सांसद नितिन सिंह को भी पार्टी से बाहर कर दिया। यह एक्शन मायावती ने संगठन में गुटबाजी और अनुशासनहीनता पर लिया। मायावती ने X पर लिखा- दक्षिणी राज्यों के प्रभारी रहे डॉ अशोक सिद्धार्थ और पूर्व सांसद नितिन सिंह चेतावनी के बाद भी पार्टी में गुटबाजी कर रहे थे। इन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के चलते तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित किया जाता है। डॉ अशोक सिद्धार्थ पार्टी के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे हैं। वहीं, नितिन सिंह मेरठ के रहने वाले हैं। बसपा के दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के प्रभारी रह चुके हैं। सरकारी नौकरी छोड़कर नेता बने अशोक
डॉ अशोक सिद्धार्थ पेशे से डॉक्टर हैं। उन्होंने महारानी लक्ष्मीबाई कॉलेज से नेत्र रोग में डिप्लोमा किया। पहले सरकारी नौकरी में थे, फिर बसपा से जुड़े। मायावती ने पहले उन्हें एमएलसी बनाया, फिर 2016 में राज्यसभा भेजा जहां। वह 2022 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। 2019 के बाद मायावती ने उन्हें तीन राज्यों का प्रभारी नियुक्त किया था। अशोक के बारे में दावा किया जाता है कि वह लो-प्रोफाइल रहने वालों में से हैं। वह पार्टी में पर्दे के पीछे रहते हुए काम करते रहे हैं। मायावती ने दिया सख्त संदेश
बसपा प्रमुख मायावती के इस फैसले को दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी नेताओं को सख्त संदेश देने के रूप में देखा जा रहा है। दिल्ली चुनाव में बसपा ने जहां पर भी प्रत्याशी खड़े किये थे, वहां जमानत जब्त हो गई। डॉ अशोक सिद्धार्थ मायावती के काफी नजदीकी माने जाते थे और उनके पास पार्टी की कई बड़ी जिम्मेदारियां थीं। इसके अलावा पूर्व सांसद नितिन सिंह पर भी मायावती को काफी भरोसा था। लेकिन, दोनों नेता उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। क्या आकाश आनंद पर भी पड़ेगा असर
डॉ अशोक सिद्धार्थ मायावती के भतीजे आकाश आनंद के भतीजे हैं। वहीं, नितिन सिंह को भी आकाश आनंद का करीबी माना जाता है। जहां-जहां आकाश आनंद को संगठन की जिम्मेदारी मिली, वहां नितिन को प्रभारी बनाया गया। ऐसे में यह फैसला सीधे तौर पर आकाश आनंद के प्रभाव को कम करने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम माना जा रहा है। इस फैसले से यह भी साफ हो गया है कि मायावती अब बसपा में अनुशासनहीनता और गुटबाजी को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगी। इससे संगठन में कड़े फैसलों का संकेत भी दिया गया है। 10 दिसंबर, 2023 को मायावती ने आकाश को बनाया था अपना उत्तराधिकारी
बसपा ने 10 दिसंबर 2023 को यूपी-उत्तराखंड के नेताओं की बैठक बुलाई थी। इसमें मायावती ने अपने सबसे छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे आकाश आनंद को उत्तराधिकारी घोषित किया था। पार्टी की विरासत और राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए अपने भतीजे पर विश्वास जताया था। हालांकि, 7 मई, 2024 को आकाश की गलतबयानी की वजह से मायावती ने आकाश आनंद से सभी जिम्मेदारियां छीन ली थीं। आकाश को अपने उत्तराधिकारी के साथ ही नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से भी हटा दिया था। आकाश ने 2017 में राजनीति में की थी एंट्री
आकाश आनंद पहली बार 2017 में सहारनपुर की एक जनसभा में मायावती के साथ दिखे थे। इसके बाद वह लगातार पार्टी का काम कर रहे थे। 2019 में उन्हें नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया। यह फैसला तब लिया गया जब सपा और बसपा का गठबंधन लोकसभा चुनाव के बाद टूटा। 2022 के हिमाचल विधानसभा चुनाव में पहली बार आकाश आनंद का नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट में आया था। आकाश ने लंदन से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA) की पढ़ाई की है। आकाश की शादी बसपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य अशोक सिद्धार्थ की बेटी डॉ. प्रज्ञा से हुई है। —————————- यह खबर भी पढ़ें अखिलेश के करीबी इत्र व्यापारी के घर छापा, कन्नौज में दीवार फांदकर घुसी IT टीम, 6 भाइयों पर एक साथ एक्शन कन्नौज में अखिलेश यादव के करीबी इत्र व्यापारी के कई ठिकानों पर इनकम टैक्स विभाग (IT) ने छापा मारा। IT और GST की टीम सुबह-सुबह व्यापारी के घर पहुंची। कारोबारी के परिवार ने गेट नहीं खोला। अफसरों ने दीवार फांदकर अंदर प्रवेश किया। IT के अधिकारी दस्तावेज और वित्तीय लेन-देन की जांच में जुटे हैं। कारोबारी मनोज दीक्षित सपा के प्रदेश सचिव रह चुके हैं। यहां पढ़ें पूरी खबर

‘​​​​​​​दो लाख दो नहीं तो एनकाउंटर कर दूंगा’:आजमगढ़ डेरी पर आए 6 फर्जी पुलिस कर्मी, डेढ़ लाख वसूले; बोले-जुबान बंद रखना

‘​​​​​​​दो लाख दो नहीं तो एनकाउंटर कर दूंगा’:आजमगढ़ डेरी पर आए 6 फर्जी पुलिस कर्मी, डेढ़ लाख वसूले; बोले-जुबान बंद रखना आजमगढ़ में एनकाउंटर की धमकी देकर डेढ़ लाख रुपए वसूली की गई। आरोप है कि 6 लोग बिना नंबर की गाड़ी से दूध डेरी पर आए। खुद को पुलिस वाला बताया। उस वक्त डेरी का मालिक कहीं बाहर गया था। वहां मौजूद कर्मचारियों से कहा-‘तुम अपनी डेरी के पूरे कागज दिखाओ, सुना है यहां पर नकली माल बनता है’ इस पर कर्मियों ने मालिक को फोन कर बुलाया। मालिक से आरोपी बोले-‘दो लाख दो नहीं तो एनकाउंटर कर दूंगा।’ ये मामला महाराजगंज थाना क्षेत्र का है। विस्तार से जानिए पूरा मामला… 4 फरवरी काे टाटा सूमो से 6 लोग आए
सोनू यादव की पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर सेहदा के पास श्वेत सागर नाम से डेयरी है। जहां पर पनीर और खोवा बनाकर बेचा जाता है। उन्होंने बताया-4 फरवरी को दोपहर 1:21 पर बिना नंबर की टाटा सुमो से 6 लोग आए। अपने आप को पुलिस वाले बताने लगे। इसके साथ ही प्लांट के सभी कर्मचारियों को प्लांट सेल करने और जेल भेजने की धमकी भी देने लगे। उसे समय 4 कर्मचारी मौके पर थे। इसके बाद आरोपियों ने मालिक (सोनू यादव) को बुलाने को कहा। कर्मचारियों ने फोन करके मुझे बुलाया। आधे घंटे के बाद मैं पहुंचा। इसके बाद सभी लोगों ने घेर कर पूछताछ की। सर्टिफिकेट की दिखाने की मांग करने लगे। इसके बाद मैंने फूड का सर्टिफिकेट और जीएसटी नंबर दिखाया। आरोपी बोले-बहुत बेच रहे हो खोवा-पनीर
आरोपियों ने फैक्ट्री मालिक सोनू यादव को धमकी देते हुए कहा-तुम इस समय मिल्क प्रोडक्ट बहुत ज्यादा बेच रहे हो। दो लाख दे दो मामला यहीं दफा दफा कर देंगे, नहीं तो तुम्हारा एनकाउंटर करेंगे। जेल भी भेजेंगे। इसके बाद मालिक बोला-‘मेरे पास इतने पैसे नहीं है हम लोगों की इतनी कमाई नहीं होती हैं।’ इसके बाद मालिक को गाड़ी में बैठाया। कहा-‘जितना काउंटर पर रखा है, दे दो।’ जेब में रखा कैश भी निकाल लिया। टोटल आरोपियों ने डेढ़ लाख वसूल लिए। धमकी दी-‘इस बात को किसी से बताओगे तो जान से जाओगे।’ 6 फरवरी को पीड़ित पहुंचा कमिश्नर ऑफिस
दैनिक भास्कर से बातचीत में पीड़ित सोनू यादव ने बताया-6 फरवरी को शिकायत कमिश्नर विवेक से की गई। इसके बाद कमिश्नर ने कार्रवाई करने के लिए DIG को रेफर किया। DIG ने SP सिटी से बात की। 9 फरवरी को पुलिस जांच करने आई थी। पीड़ित बोला- मेरा पैसा वापस दिलाए पुलिस
सोनू यादव ने बताया-हमारी मांग है कि जो भी पैसे हमसे लिए गए हैं, उसे पुलिस वापस दिलाए। जो भी लोग इसमें शामिल हैं। उनके पर कार्रवाई की जाए। ————- ये खबर भी पढ़ें- डिजिटल मर्डर, सुसाइड से पहले बेटी से की बात:प्रतापगढ़ में बेटा बोला- पापा ने पड़ोसी से पैसे लेकर जालसाजों को दिए सुसाइड करने से पहले पापा ने दोपहर एक बजे मुझे फोन किया था। परेशान लग रहे थे, मैंने पूछा- क्या हुआ? परेशान क्यों हो, मम्मी परेशान कर रही हैं क्या? उन्होंने कहा- नहीं। फिर मैंने कहा- पापा कहां हो? तो बोले- ड्यूटी पर हूं। इसके बाद हालचाल लेकर फोन रख दिया। 4 घंटे बाद सूचना मिली कि पापा ने सुसाइड कर लिया। यहां पढ़ें पूरी खबर

गोरखपुर में MLC की भतीजी का सुसाइड:JE की तैयारी कर रही थी, एक दिन पहले आया रिजल्ट; हॉस्टल में लटकी मिली

गोरखपुर में MLC की भतीजी का सुसाइड:JE की तैयारी कर रही थी, एक दिन पहले आया रिजल्ट; हॉस्टल में लटकी मिली गोरखपुर में JE की तैयारी करने वाली छात्रा ने सुसाइड कर लिया। उसका शव कमरे के अंदर फंदे से लटका मिला। रूममेट कहीं बाहर गई थी, जब आई दरवाजा खटखटाया। काफी देर तक कोई आवाज नहीं आई। उसने खिड़की से झांकर देखा तो वो लटकी मिली। इसकी जानकारी वार्डन को दी। वार्डन ने पुलिस को बुलाया। इसके बाद पुलिस ने दरवाजा तोड़कर लाश बाहर निकाली। पुलिस को कमरे से सुसाइड नोट मिला है। जिसमें लिखा था-‘मम्मी और पापा मुझे माफ करना…मैं आपका सपना पूरा नहीं कर पाई।’ छात्रा बेतियाहाता के सत्यदीप गर्ल्स हॉस्टल में रहकर तैयारी कर रही थी। रूममेट ने पहले देखी लाश​
छात्रा का नाम अदिति मिश्रा है। जो संतकबीरनगर के मिश्रौलिया गांव की रहने वाली है। उनके पिता का नाम अजय नाथ मिश्रा है, जो किसान हैं। अदिति के चाचा गोरखपुर-फैजाबाद निर्वाचन में माध्यमिक शिक्षक संघ शर्मा गुट के MLC हैं, जिनका ध्रुव त्रिपाठी है। यहां मोमेंटम इंस्टीट्यूट में JE की कोचिंग करती थी। रूममेट ने बताया कि अदिति पढ़ाई में तेज थी। कुछ दिन से परेशान चल रही थी। ये नहीं पता था कि वो ऐसा कदम उठाएगी। मैं घर जब बाहर से आई, तो वो रस्सी से लटकी मिली। हालांकि, सुसाइड क्यों किया, पुलिस इसकी जांच में जुटी है। लेकिन, पुलिस का मानना है कि मंगलवार को ही JE का रिजल्ट आया था। शायद रिजल्ट में सफलता न मिलने से वह डिप्रेशन में होगी। इस वजह से उसने सुसाइड कर लिया। पढ़िए हूबहू मम्मी और पापा मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं। मैंने अपनी तरफ से बहुत तैयारी की। लेकिन, इन सबके बाद भी मैं आपका सपना पूरा नहीं पाई। हो सके तो मुझे माफ कर देना। मैंने बहुत कोशिश की। पर नहीं हो पाया।
————- ये खबर भी पढ़ें- डिजिटल मर्डर, सुसाइड से पहले बेटी से की बात:प्रतापगढ़ में बेटा बोला- पापा ने पड़ोसी से पैसे लेकर जालसाजों को दिए सुसाइड करने से पहले पापा ने दोपहर एक बजे मुझे फोन किया था। परेशान लग रहे थे, मैंने पूछा- क्या हुआ? परेशान क्यों हो, मम्मी परेशान कर रही हैं क्या? उन्होंने कहा- नहीं। फिर मैंने कहा- पापा कहां हो? तो बोले- ड्यूटी पर हूं। इसके बाद हालचाल लेकर फोन रख दिया। 4 घंटे बाद सूचना मिली कि पापा ने सुसाइड कर लिया। यहां पढ़ें पूरी खबर