IT रेड में 300 करोड़ की संपत्ति की दस्तावेज मिले:जांच के लिए बुलाए गए फॉरेंसिक एक्सपर्ट; नेपाल तक से जुड़े तार, दूसरे दिन भी रेड जारी

IT रेड में 300 करोड़ की संपत्ति की दस्तावेज मिले:जांच के लिए बुलाए गए फॉरेंसिक एक्सपर्ट; नेपाल तक से जुड़े तार, दूसरे दिन भी रेड जारी एसएनके पान मसाला समूह और कारोबार से जुड़े अन्य सप्लायर व करीबीयों पर आयकर विभाग की दूसरे दिन भी छापेमारी जारी है। कार्रवाई के दौरान स्वरूप नगर स्थित ग्रुप के मालिक नवीन कुरेले के स्वरूप नगर स्थित आवास, ऑफिस और रानियां स्थित फैक्ट्री से 28 से ज्यादा संपत्तियों के दस्तावेज मिल हैं। इनकी कीमत करीब 300 करोड़ रुपए आंकी गई है। 100 से अधिक टीमें कार्रवाई में शामिल
कानपुर, बरेली, कन्नौज, दिल्ली, मुंबई, नोएडा समेत देशभर के 47 से ठिकानों पर छापेमारी जारी है। बता दें कि बुधवार लगभग सुबह साढ़े 6 बजे सभी जगह एक साथ हुई कार्रवाई में व्यापक स्तर पर टैक्स चोरी, अरबों की संपत्ति, बोगस कंपनियों समेत तमाम वित्तीय गड़बड़ियों के साक्ष्य मिले हैं। 100 से अधिक टीमें सभी जगह छानबीन में जुटी हुई हैं। कानपुर में 20 ठिकानों पर रेड
आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक कानपुर में एसएनके की पनकी स्थित दो फैक्ट्री, स्वरूप नगर आवास के अलावा किदवई नगर, तिलक नगर, रतनलाल नगर, पांडु नगर समेत 20 से अधिक ठिकानों पर आयकर की छापेमारी की गई है। वहीं इलेक्ट्रानिक दस्तावेजों की जांच के लिए फॉरेंसिक एक्सपर्ट भी बुलाए गए हैं। एसएनके पान मसाला की नेपाल में भी संपत्तियों का खुलासा हुआ है। 100 करोड़ से अधिक की टैक्स चोरी का खुलासा
इसके अलावा कन्नौज के पंडित चन्दबली एंड संस, बरेली के गुटका कारोबारी अमित भारद्वाज के घर और गोदाम भी छापेमारी हुई। महाराजगंज, फर्रुखाबाद भी टीमों ने एसएनके समूह से जुड़े लोगों के यहां सर्च ऑपरेशन किया है। बताया गया कि सभी जगह बड़े स्तर पर वित्तीय गड़बड़ियों के अलावा 100 करोड़ रुपए से अधिक की टैक्स चोरी का खुलासा हुआ है। नयागंज में भी की गई छापेमारी
इसके अलावा करोड़ों का कैश, ज्वेलरी व देश के अलग-अलग शहरों में अरबों की संपत्ति का पता चला है। कार्रवाई की जद में समूह के कारोबार में सहयोगी सुपाड़ी, कत्था, प्लास्टिक, ट्रांसपोर्टर भी आए हैं। नयागंज में कत्था कारोबारी गुड्डू जैन के यहां भी कार्रवाई चल रही है। इन पर जारी है छापेमारी
किदवई नगर में जंगली देवी मंदिर के पीछे निवासी सुपारी कारोबारी के ठिकानों पर कार्रवाई जारी है। इसके साथ ही रनियां और दादानगर में उनकी फैक्ट्री समेत अन्य स्थानों पर दूसरे दिन भी रेड जारी है। ​​नयागंज में सुपाड़ी कारोबारी बेनी शर्मा, कत्था कारोबारी गुड्डू जैन, ट्रांसपोर्ट नगर में गणपति ट्रांसपोर्ट के पीके जैन की ट्रांसपोर्ट कंपनी, आनंदपुरी स्थित उनके आवास में छापे की कार्रवाई चल रही है। वहीं किदवई नगर एम ब्लॉक में अमित गुप्ता पर भी कार्रवाई की जा रही है। बोगस कंपनियों पर फर्जी बिल जारी
आयकर अधिकारियों के मुताबिक फर्जी व बोगस फर्म के जरिये बड़ी संख्या में बिल जारी किए हैं। इन बिलों पर संदेह जताया जा रहा है। गणपति ट्रांसपोर्ट पान मसाला की सप्लाई भी करता है। इसके साथ ही कन्नौज में इत्र कारोबारी चंद्रबलि एंड संस के यहां भी कार्रवाई जारी है। कोल्ड स्टोर पर भी की गई कार्रवाई
आयकर की टीमों ने कन्नौज में अशोक नगर स्थित फर्म के कार्यालय, जलालाबाद स्थित बसंती कोल्ड स्टोर और आवास पर छापा मारा है। यह फर्म राम दीक्षित, उनके भाई सुबोध दीक्षित, श्याम दीक्षित, मनोज दीक्षित की है। इसके साथ ही महाराजगंज, फर्रुखाबाद, गौतमबुद्ध नगर में भी कार्रवाई दूसरे दिन जारी है।

लखनऊ में मेयर-पार्षदों में विवाद से शहर की सफाई चौपट:मोहल्लों में बदबू फैली, पार्षद बोले- जिस कंपनी को टेंडर दिया, वो सिर्फ 50% कूड़ा उठा रही

लखनऊ में मेयर-पार्षदों में विवाद से शहर की सफाई चौपट:मोहल्लों में बदबू फैली, पार्षद बोले- जिस कंपनी को टेंडर दिया, वो सिर्फ 50% कूड़ा उठा रही लखनऊ नगर निगम में मेयर और पार्षदों के बीच सफाई ठेके को लेकर बवाल मचा हुआ है। इससे शहर के 110 वार्डों में सफाई और कचरा उठाने की व्यवस्था चरमरा गई है। वार्डों में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हुए हैं। इससे उठती बदबू से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। कुछ दिनों में ही स्वच्छता सर्वेक्षण होने वाला है। अगर यही हालत रहे तो लखनऊ की रैंकिंग गिरने की आशंका है। हालांकि नगर निगम स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर तैयारी करने का दावा करता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है। दैनिक भास्कर ने नगर निगम के अधिकारियों के दावों के बाद वार्डों की पड़ताल की। इस दौरान व्यवस्था बद से बदतर नजर आई। पहले लखनऊ में स्वच्छता के दावे और मोहल्लों की देखें तस्वीरें… तस्वीर- 1. अयोध्या दास प्रथम वार्ड में सड़क किनारे खुले में कचरे का ढेर लगा है। तस्वीर- 2. शिवपुरी कॉलोनी चर्च रोड इस्माइल गंज द्वितीय वार्ड में खुले में कचरे के कारण निकल पाना मुश्किल है। तस्वीर- 3. शिया पीजी कॉलेज के पास सीतापुर रोड़ पर पड़ा कूड़ा। अब जो वार्डों में देखा… डालीगंज…पुराने लखनऊ में भी स्थिति खराब पुराने लखनऊ और घनी आबादी वाले इलाकों में सबसे खराब स्थिति है। डालीगंज क्रॉसिंग के पास कबीर मठ के सामने खुले में कूड़ा सड़क किनारे पड़ा रहा रहता है। इसके कारण आसपास दुर्गंध फैलती है। नगर निगम और संबंधित एजेंसी की तरफ से दिन में दो बार कूड़ा हटाया जाता है, लेकिन खुले में कूड़ा होने से परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं, खदरा कदम रसूल वार्ड में शौचालय के सामने सड़क पर खुले में कूड़ा पड़ा रहता है। यहीं से वाहनों की आवाजाही होती है। शिया पीजी कॉलेज से थोड़ी दूरी पर रहने वाले लोगों का कहना है कि यहां पर कूड़ा आठ से दस दिनों तक नहीं उठाया जाता है। सड़क पर कचरा फैला रहता है। अयोध्या दास प्रथम के पार्षद के कार्यालय के बगल में ही कूड़े का ढेर लगा है। इससे स्थानीय पार्षद काफी नाराज है। उनका कहना है कि वार्ड में कूड़ा कलेक्शन नहीं किया जाता है। यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि नगर निगम टीम की तरफ से कूड़ा नहीं उठाया जाता। इससे परेशानी होती है। गोमतीनगर…कूड़े के ढेर के बीच रहते हैं लोग गोमतीनगर में किसान बाजार के पास में फ्लाईओवर के नीचे लोग कचरा फेंकते हैं। यहां पूरी सड़क पर कचरा फैला है। कूड़े के ढेर के बीच 20 से अधिक लोग अपने परिवार के साथ रहते हैं। महानगर सेक्टर बी के पॉश इलाके में भी यही हाल हैं। यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि नगर निगम टीम की तरफ से कूड़ा नहीं उठाया जाता। इससे परेशानी होती है। इस्माइल गंज…नगर निगम मुख्यालय के पास गंदगी का ढेर शिवपुरी कॉलोनी चर्च रोड इस्माइल गंज द्वितीय वार्ड में चर्च रोड पर जाने वाले रास्ते में सड़क किनारे कूढ़े का ढेर लगा है। सुरेंद्र नगर से बसंत विहार जाने वाली सड़क किनारे गंदगी का अंबार है। कपूरथला में नगर निगम जोन 3 के अभियंत्रण स्टोर के बगल में कूड़े का पड़ाव घर बना दिया गया है। लोग कहते हैं- नगर निगम मुख्यालय के बाहर झंडे वाले पार्क के सामने कूड़े का ढेर आए दिन देखने को मिलता है। नगर निगम मुख्यालय के सामने यह स्थिति बनी हुई है, जबकि पूरे शहर में नगर निगम के अधिकारी ही कूड़ा उठाने का दावा करते हैं। चार दिन से नहीं उठा कूड़ा स्थानीय रहवासी अमित चौधरी कहते हैं कि जिया मऊ से थोड़ी दूरी पर डस्टबिन फुल है। नगर निगम की तरफ से नामित कंपनी एलएसए कूड़ा उठाने में परहेज करती है। चौक के चौपटिया पड़ावघर और हैदरगंज वार्ड में भी यही हाल है। समय पर कूड़ा नहीं उठने को लेकर आए दिन शिकायत होती है। पार्षद अनुराग मिश्रा ने कहा- नियमित कूड़ा नहीं उठने से दुर्गंध की स्थिति रहती है। अब जानते है किस बात को लेकर है विवाद… नियमों का उल्लंघन कर जारी किया टेंडर एलएसए कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट नियमों का उल्लंघन कर टेंडर देने का आरोप लगा रहे पार्षद कह रहे कि सदन में जो चीजें तय हुई थी, उनके मीटिंग मिनट्स भी नगर निगम के अधिकारियों ने गायब कर दिए। पार्षद रोड सर्वे कराने के साथ में सही ढंग से कॉन्ट्रैक्ट करने की मांग कर रहे हैं। पार्षदों और महापौर के बीच में चल रही खींचतान का असर सफाई कार्यों पर पड़ रहा है। विवाद के बाद शहर में स्थिति और खराब हो गई है। पार्षद दावा कर रहे कि एलएसए कंपनी डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का काम 50 फीसदी ही कर पा रही है। बावजूद इसी कंपनी को टेंडर दे दिया गया है। शहर में सफाई की व्यवस्था नगर निगम की तरफ से आठ जोन में सफाई का काम सरकारी कर्मचारियों के साथ कॉन्ट्रैक्ट पर रखे गए कर्मचारी करते हैं। इस दौरान जोन 1,3,5,6,7 एलएस कंपनी काम कर रही है। वहीं, जोन 2,5 और 8 में लायंस इनक्वायरी लखनऊ प्राइवेट लिमिटेड कंपनी काम कर रही है। यह कंपनियां डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का काम अभी तक करती थीं। इसके साथ ही एलएसए को 5 जोन में सफाई का भी टेंडर दिया गया है, जिसमें 1 फरवरी से काम शुरू होना था, लेकिन पार्षदों के विरोध के बाद अभी तक काम शुरू नहीं हो सका है। स्वच्छता रैंकिंग में 44 वें स्थान पर पहुंचा 2023 की स्वच्छता रैंकिंग में लखनऊ 44वें स्थान पर था। इस दौरान 27 अंकों की गिरावट देखने को मिली थी। वहीं, शहर के लोगों का कहना है कि लखनऊ में गंदगी की शिकायत करने के बाद भी अधिकारियों और कर्मचारियों की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं दिया जाता है। अब जानते हैं जिम्मेदारों ने क्या कहा… ………………………….. यह खबर भी पढ़े लखनऊ नगर निगम में कर्मचारियों का हंगामा:बोले- भ्रष्टाचार में डूबे हैं अधिकारी, पूरे शहर में कूड़ा उठाने का काम बंद किया लखनऊ नगर निगम मुख्यालय पर सफाई कर्मियों ने हंगामा किया। कर्मचारी पिछले तीन दिनों से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। सोमवार को निगम कार्यालय का घेराव कर नारेबाजी की और अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। यहां पढ़े पूरी खबर

पॉल्यूशन से ब्लड कैंसर…हर उम्र के लोगों पर असर:एक्सपर्ट बोले- सभी ब्लड कैंसर जानलेवा नहीं, पर समय से इलाज जरूरी

पॉल्यूशन से ब्लड कैंसर…हर उम्र के लोगों पर असर:एक्सपर्ट बोले- सभी ब्लड कैंसर जानलेवा नहीं, पर समय से इलाज जरूरी बढ़ते पॉल्यूशन से ब्लड कैंसर के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। हैवी मेटल का इनटेक, घातक रेडिएशन, हाइड्रोकार्बन भी इसके मामलों को तेजी से बढ़ा रहे हैं। हालांकि किसी विशेष मामले में ब्लड कैंसर होने की सटीक वजह पता लगा पाना बेहद कठिन है। पर सबसे अहम बात ये है कि पहले जिन मरीजों को ब्लड कैंसर होने पर घर भेज दिया जाता था, अब इसका इलाज मौजूद है। ये बेहद गंभीर बीमारी है पर जरूरी नहीं कि जानलेवा हो। कुछ क्रॉनिक ब्लड कैंसर है, जो लंबे समय तक चलते हैं। कुछ एक्यूट ब्लड कैंसर हैं, जिनका समय से इलाज बेहद जरूरी होता है। ऐसे में आज के समय ब्लड कैंसर को लेकर अवेयरनेस बेहद जरूरी है। ये समझना होगा कि पहले जिन ब्लड कैंसर का इलाज नहीं हो सकता था। अब उनका इलाज संभव होगा। ये कहना है उत्तर प्रदेश में पहला बोन मैरो ट्रांसप्लांट कर ब्लड कैंसर के मरीज का सफल इलाज करने वाले SGPGI लखनऊ के पूर्व चिकित्सक डॉ.सुनील दबड़घाव। उन्होंने बताया कि अभी प्रदेश में महज 5 सरकारी सेंटर में हो रहा है। इनमें 3 राजधानी लखनऊ में है। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 114वें एपिसोड में यूपी के संजय गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल साइंसेज के पूर्व फैकल्टी डॉ.सुनील दबड़घाव से खास बातचीत… डॉ.सुनील कहते है कि ब्लड कैंसर किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकता है। हर 10 लाख मरीजों में हर साल 5 नए मरीज ब्लड कैंसर के रिपोर्ट होते हैं। ऐसे में 24 करोड़ की आबादी वाले राज्य में ब्लड कैंसर के इलाज की सुविधा अभी बेहद सीमित है। हर उम्र के लोगों पर कर रहा अटैक डॉ.सुनील कहते है कि बच्चों से लेकर युवाओं और बुजुर्गों किसी को भी ब्लड कैंसर हो सकता है। लगभग 50 से ज्यादा तरीके के ब्लड कैंसर प्रचलित हैं। जब दवाएं काम करना बंद कर देती है। तब हम लोग ब्लड कैंसर के मरीजों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट करते हैं।

अभिनेता राजपाल यादव बोले-खुद के अंदर सेंसर लगाना जरूरी:रणवीर अल्लाहबादिया पर कहा-कैमरे के सामने आने से पहले सेंसर बोर्ड का रखें ख्याल

अभिनेता राजपाल यादव बोले-खुद के अंदर सेंसर लगाना जरूरी:रणवीर अल्लाहबादिया पर कहा-कैमरे के सामने आने से पहले सेंसर बोर्ड का रखें ख्याल रणवीर अल्लाहबादिया ने माता पिता को लेकर किए अश्लील कमेंट आज कल चर्चा में बना है। इस पर कानपुर आए फिल्म अभिनेता राजपाल यादव ने कहा-मैं उस कला की बहुत इज्जत करता हूं, जिसमें क्लास हो और मास हो। मास से रोटी, कपड़ा, मकान और किचन जुड़ा होता है। जहां किचन होता है वहां बच्चा, बुढ़ा, नौजवान होता है। हमारा देश व्यवहार और प्यार वाला हैं। आज सोशल मीडिया के युग में हमारे पास जो भी कंटेंट हो, उसमें बच्चा, बुढ़ा और जवान सभी का मन प्रसन्न हो जाना चाहिए। चार्ली चैंपियन ने कहा था कि अगर हमारे दुख से लोग प्रसन्न हो रहे है तो वो दुख अच्छा है, अगर हमारे सुख से लोग दुखी हो रहे है तो वो कलाकार बेकार है। सेंसर बोर्ड आपके मन में होना चाहिए
उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड आपके मन में होना चाहिए। कुछ चीजें ऐसी होती है जहां पर एडिट करने की जरूरत नहीं होती है, लेकिन अगर आप कैमरे के सामने बोल रहे है तो उसमें क्या बोलना है, स्पेशली जिसमें कला जुड़ी हो, उसमें आपको ध्यान रखना होगा कि ऐसी कोई बात न कहे, जिससे कोई आहत हो। जिससे मन प्रसन्न हो जाए उस कला की इज्जत करता हूं राजपाल यादव ने कहा कि मैं पिछले कई सालों से थिएटर कर रहा हूं, मंच साझा कर रहूं, फिल्म कर रहा हूं, लेकिन मैं उस कला की इज्जत करता हूं, जिससे दूसरों का मन प्रसन्न हो जाए। वेब सीरीज पर बोलते हुए कहा कि मैं हमेशा से उस वेब सीरीज के खिलाफ रहा हूं, जिससे अश्लीलता परोसी जाती है। मैं उस वेब सीरीज को वेब सीरीज मानता हूं, जिसमें अपर द बेल्ट हो, जिसकी कोई मीनिंग हो, मनोरंजन हो। जो वेब सीरीज में ब्लू द बेल्ट होती है उसे मैं बीमारी मानता हूं, उसे वेब सीरीज मानता ही नहीं हूं। उसमें काम करने वाले न किसी डायरेक्ट को मानता हूं, न कलाकार को मानता हूं। मैं उसे बीमार प्रोजेक्ट में मानता हूं। यूपी हमारी जन्म भूमि हैं
यूपी की धरती में एक से बड़े एक ऋषिमुनि, एक से बड़े एक राजनेता, अभिनेता क्या नहीं हैं, यूपी में। जितने धार्मिक स्थल है, जहां पर रामजी, कृष्ण जी और अलग-अलग धर्म को मानने वालों का केंद्र बिंदु है यूपी। यूपी हमारी जन्म भूमि है, मातृ भूमि हैं और महाराष्ट्र हमारी क्रम भूमि हैं। इसके बारे में तो 10 घंटा भी बोलू तो कम हैं, बातें खत्म नहीं होती है। यूपी हमारा स्वाभिमान हैं। यूपी ने ही हमें मुंबई तक पहुंचाया और मुंबई ने हमें पूरी दुनिया में पहुंचाया है। महाकुंभ मैं 3 बार गया, बहुत बढ़िया व्यवस्था
राजपाल यादव ने कहा कि महाकुंभ में बहुत बढ़िया व्यवस्था है, मैं 3 बार गया हूं वहां पर। मैं हमेशा कुंभ में जाता रहता हूं क्यों कि हमारे दद्दा जी परम पूज्य श्री देव प्रभाकर शास्त्री जी जिन्होंने जीवन दर्शन के माध्यम से शिवलिंग के माध्यम से विश्व कल्याण और राष्ट्र कल्याण हेतु अपना जीवन दान किया। मेरी निजी जिंदगी का अगर कोई दिव्य दर्शन है तो मेरे माता पिता और मेरा गुरु दद्दा जी हैं।

इत्र व्यापारी के घर 15 घंटे से ED की जांच:अखिलेश यादव के करीबी, IT और GST अफसर भी मौजूद, 3 पीढ़ियों से चल रहा कारोबार

इत्र व्यापारी के घर 15 घंटे से ED की जांच:अखिलेश यादव के करीबी, IT और GST अफसर भी मौजूद, 3 पीढ़ियों से चल रहा कारोबार कन्नौज में अखिलेश यादव के करीबी इत्र व्यापारी मनोज दीक्षित और उनके भाइयों के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED), इनकम टैक्स विभाग (IT) और GST की छापेमारी जारी है। 15 घंटों से टीम की जांच चल रही है। रात भर जांच चलेगी। बुधवार को जब अधिकारी फर्म पहुंचे तो कारोबारी के परिवार ने गेट नहीं खोला। अफसर दीवार फांदकर अंदर गए। अधिकारी दस्तावेज और वित्तीय लेन-देन की जांच में जुटे हैं। इत्र कारोबारियों के 26 कोल्ड स्टोरेज, 5 स्कूल (इंस्टीट्यूट) और 3 होटलों की पड़ताल टीम कर रही है। इसके अलावा उड़ीसा में भी प्रॉपर्टी से संबंधित पत्रावलियां खंगाली जा रही हैं। कारोबारी मनोज दीक्षित सपा के प्रदेश सचिव रह चुके हैं। उनकी फर्म पिछले तीन पीढ़ियों से इत्र का कारोबार कर रही है। दैनिक भास्कर ने मौके पर जाकर पड़ताल की। कारोबारी और उनके परिवार के बार में जानकारी जुटाई। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहले जानिए पूरा मामला… सरायमीरा-कन्नौज रोड स्थित अशोक नगर में इत्र फर्म चंद्रवली एंड संस नाम से इत्र की फर्म है। यहां सुबह करीब 7 बजे आईटी और जीएसटी की टीम पहुंची। एक ही कैंपस में 6 भाइयों सुबोध दीक्षित, अतुल, मनोज, विपिन, राम, श्याम का घर और कारखाना है। इत्र कारोबारी सुबोध और उनके भाइयों के खिलाफ इनकम टैक्स विभाग को गड़बड़ी की शिकायत मिली थी। इसके बाद टीम ने कार्रवाई की। फिलहाल, अधिकारियों ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया है। एक साल पहले भी उनके यहां जीएसटी की टीम ने छापामारी की थी। हालांकि उस वक्त कोई बड़ी गड़बड़ी सामने नहीं आई थी। अब पढ़िए कैसे फर्म की हुई शुरुआत… इत्र फर्म चंद्रवली एंड संस की कहानी तीन पीढ़ी पुरानी है। इसकी शुरुआत ठठिया थाना क्षेत्र के होलेपुर गांव निवासी किसान के बेटे पंडित चन्द्रवली ने की थी। उन्होंने कड़ी मेहनत के बलबूते कन्नौज के बड़े इत्र कारोबारियों से प्रतिस्पर्धा की और खुद का नाम कन्नौज के गिने-चुने इत्र कारोबारियों में शुमार कराया। इसके बाद उनके बेटे वीरेंद्र दीक्षित ने पिता की विरासत को सम्हाला और कई गुना ज्यादा कारोबार बढ़ा दिया। मनोज दीक्षित ने छिबरामऊ से लड़ा था चुनाव तीसरी पीढ़ी में वीरेंद्र दीक्षित के 6 बेटे सुबोध दीक्षित, अतुल दीक्षित, मनोज दीक्षित, विपिन दीक्षित, राम दीक्षित और श्याम दीक्षित दीक्षित ने व्यापार को आगे बढ़ाया। हालांकि तीसरी पीढ़ी कारोबार के साथ ही साथ राजनीति में भी सक्रिय रही। मनोज दीक्षित ने राजनीति में किस्मत आजमाने के लिए राष्ट्रीय क्रांति पार्टी के टिकट से छिबरामऊ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा, हालांकि वह हार गए। पूर्व भाजपा सांसद सुब्रत पाठक पर दिया था विवादित बयान इसके बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन पकड़ लिया और वह अखिलेश यादव के करीबियों में गिने जाने लगे। समाजवादी पार्टी ने उन्हें प्रदेश सचिव का पद दे दिया। जिसके बाद से वह लगातार सपा में सक्रिय हैं। 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान मनोज दीक्षित ने कन्नौज में अखिलेश यादव के मंच से भाजपा सांसद सुब्रत पाठक पर विवादित बयान दिया था। उन्होंने भाजपा सांसद के टुकड़े-टुकड़े कराने की बात मंच से कही। अखिलेश यादव ने इशारे में उनको कुछ समझाया तो उन्होंने कहा कि वह वोटों से सांसद के टुकड़े करेंगे चुनाव में। तब से मनोज दीक्षित और पूर्व सांसद सुब्रत पाठक में खींचतान चली आ रही है। मनोज दीक्षित के भाई विपिन दीक्षित, राम दीक्षित और सुबोध दीक्षित की पत्नी ऊषा दीक्षित भाजपा से जुड़े हैं। राजनीतिक रसूख रखता है परिवार मनोज के भाई सुबोध के परिवार का सभी राजनीतिक पार्टियों से अच्छे संबंध हैं। उनके एक भाई विपिन समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण के करीबी हैं। इसके अलावा, राम दीक्षित के भाजपा के पूर्व सांसद सुब्रत पाठक से अच्छे संबंध हैं। सुबोध दीक्षित की पत्नी उमा दीक्षित ने पिछले साल कन्नौज नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था। उमा ने भाजपा की ओर से दावेदारी पेश की थी। हालांकि, उन्हें बसपा प्रत्याशी कौसरजहां अंसारी ने हरा दिया था। ————————– यह खबर भी पढ़ें… संत प्रेमानंद से पुलिस अफसर बोला-एनकाउंटर का पश्चाताप कैसे करूं:हाथ जोड़कर कहा- मन अशांत है, महाराज ने बताया उपाय महाराज जी! मैं पुलिस में नौकरी करता हूं। थानाध्यक्ष के पद पर मेरठ में तैनात हूं। मैंने अब तक बहुत एनकाउंटर किए। बदमाशों से मुठभेड़ के दौरान मेरे सीने में गोली लगी। मेरी मौत का समाचार भी जारी हो गया था, प्रभु कृपा से बच गया। अब मेरा मन विचलित रहता है, पश्चाताप क्या होगा?’ ये सवाल मेरठ में तैनात एनकाउंटर स्पेशलिस्ट SSI मुनेश सिंह ने संत प्रेमानंद जी महाराज किया। मुनेश परिवार के साथ 10 फरवरी को मथुरा पहुंचे थे। कहा- मैंने 32 साल इस नौकरी को दिए। मगर अब मन अशांत है। पढ़ें पूरी खबर…

आगरा के जिस गांव में 6 हत्याएं हुई…वहां दहशत ​​​​​​​:SC से आरोपी बरी; मुकदमा लड़ने वाले की मां बोली- हमारी जान कौन बचाएगा

आगरा के जिस गांव में 6 हत्याएं हुई…वहां दहशत ​​​​​​​:SC से आरोपी बरी; मुकदमा लड़ने वाले की मां बोली- हमारी जान कौन बचाएगा राजस्थान बॉर्डर से सटे आगरा के गांव तुरकिया में इन दिनों दहशत है। लोगों ने 13 साल पहले 6 हत्याओं का जो खूनी मंजर देखा, उसका आरोपी अब जेल से बाहर आ गया है। लोअर कोर्ट और हाईकोर्ट ने आरोपी गंभीर सिंह को फांसी की सजा सुनाई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। गंभीर पर अपने सगे भाई-भाभी और उनके 4 बच्चों को कुल्हाड़ी से बेरहमी से काट डालने का आरोप था। गंभीर जेल से छूटने के बाद कहां गया, गांव में क्या माहौल है, केस दर्ज कराने वाला अब क्या करेगा? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम आगरा से 35KM दूर अछनेरा इलाके के गांव तुरकिया में पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहले घटना और अब तक क्या-क्या हुआ 9 मई, 2012 की सत्यभान, पुष्पा और उनके 4 बच्चे आरती (6), कन्हैया (4), मछला (3) और गुड़िया (2) घर में सोए थे। उन्हें कुल्हाड़ी से बेरहमी से काट दिया गया। पुलिस ने इस मामले में सत्यभान के छोटे भाई गंभीर सिंह को अरेस्ट किया। बताया गया कि साजिश में उसका बिहार का दोस्त अभिषेक भी शामिल था। पुलिस को गंभीर की बहन गायत्री ने कहा था कि सत्यभान 1 बीघा जमीन नहीं दे रहा था। इसी रंजिश में हत्या की गई। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की। निचली अदालत में सुनवाई के बाद गंभीर सिंह को फांसी की सजा सुनाई। गंभीर के वकील ने 2019 में हाईकोर्ट में अपील दाखिल की। हाईकोर्ट ने भी सुनवाई के बाद गंभीर को दोषी ठहराया। इसके बाद गंभीर ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अभियोजन पक्ष के मामले में बहुत सी खामियां हैं, जिन्हें सुधारना असंभव है। सबूतों के अभाव में आरोपी को बरी किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पढ़िए… अब ग्रामीणों की बात… गांव की तरफ जाने वाली सड़क पर सन्नाटा था। कुछ दूर चलने के बाद हमें चबूतरा दिखा। यहां 4-5 लोग बैठे थे। हमने उनसे सत्यभान का घर पूछा तो वह हमें गांव के बॉर्डर तक लेकर गए। यहां एक खंडहर दिखाया, बोले यही सत्यभान का मकान है। इसी घर में 13 साल पहले 6 लोगों का खून बहा था, अब खंडहर हो चुका है। घर पर दरवाजे पर ताला और चारों तरफ कंटीली झाड़ियां हैं। दैनिक भास्कर की टीम को देखकर कोई अपने घर की छत से झांक रहा था तो कोई दूर खड़ा सारे मूवमेंट पर नजर रख रहा था। मगर, जैसे ही हम उनके पास गए तो वह अपने घरों में घुस गए। कुशपाल ने कहा- मैं जब पहुंचा, वहां खून ही खून था
सत्यभान के घर से 20 मीटर दूर रहने वाले कुशपाल अपने पशुओं को नहला रहे थे। हमने उनसे घटना को लेकर बात करनी चाही तो पहले तो उन्होंने मना किया। मगर थोड़ी बातचीत के बाद वह सहज हुए। कहा- अब क्या बताएं उस सुबह के बारे में। 10 मई 2012 को जब मैं वहां पहुंचा तो वहां खून ही खून था। पानी की तरह से खून बह रहा था। कमरे में सत्यभान और परिजनों की कटी हुईं लाशें पड़ी थीं। देखा नहीं जा रहा था। मासूम बच्चों को भी बुरी तरह से काटा गया था। खूनी मंजर देखकर हमारी तो रूह कांप गई। कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई, तब गांव लौटे
गांव से 2 किलोमीटर दूर अरदाया गांव में सत्यभान की ससुराल है। उनके रिश्ते के साले महावीर सिंह इस केस के मुख्य वादी हैं। महावीर मजदूरी करते हैं। उनका पूरा परिवार दहशत में है। महावीर कहते हैं- इस घटना के बाद हम लोग इतना डर गए कि घर बार छोड़कर महाराष्ट्र चले गए। वही पर मजदूरी करने लगे। हमारा छोटा भाई केस की पैरवी करता रहा। जब कोर्ट ने गंभीर को फांसी की सजा सुना दी, तब 3 साल पहले गांव लौटे थे। अभी 27 जनवरी को पुलिस ने जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर को बरी कर दिया है। महावीर बोले- अब केस लड़ू या बच्चों का पेट पालू
हमने पूछा कि अब क्या करेंगे? महावीर कहते हैं- हमें अब अपने परिवार की सुरक्षा की चिंता है। मजदूरी करके मैं जो कमाता हूं, उससे बच्चों का पेट भर लूं या फिर केस लड़ लूं। न तो वकील की फीस देने के लिए मेरे पास पैसे हैं और न ही भागदौड़ करने के लिए संसाधन। हमने पूरी कोशिश की थी। मगर पुलिस ने अपना काम ठीक से नहीं किया। इसकी वजह से हमारी बहन, बहनोई और 4 भांजे-भांजी का हत्यारोपी बरी हो गया। महावीर की मां बोली- अब मेरे बच्चों को खतरा…
महावीर सिंह की 75 वर्षीय मां संता देवी ने कहा, बेटी को खोने के बाद हमें अपने बेटे की सुरक्षा सताने लगी है। अब मेरे बच्चों को खतरा है। मेरी बेटी को तो गंभीर ने मौत के घाट उतार ही दिया, अब मेरे बच्चों पर खतरा नहीं आना चाहिए। अब केस हारने के कारण
अभियोजन पक्ष का दावा है कि गंभीर सिंह ने संपत्ति विवाद काे लेकर अपने ही भाई के परिवार की हत्या कर दी थी। हालांकि कोर्ट ने पाया कि सत्यभान का वकील गंभीर सिंह के अपराध को साबित करने में नाकाम रहा।
जांच में 4 खामियां सामने आई… विवेचना में फेल हुई पुलिस
गंभीर के बरी होने के बाद अब कई सवाल खड़े हो गए हैं। आखिर हत्यारा कौन है…किसने सत्यभान, उसकी पत्नी और बच्चों की हत्या की। पुलिस विवेचना में कहां फेल हो गई। क्या पुलिस विभाग के अफसरों ने मॉनिटरिंग नहीं की। वैज्ञानिक साक्ष्य क्यों नहीं प्रस्तुत किए। सवाल उठता है कि आखिर इस जुर्म के लिए कौन जिम्मेदार है। क्या जानबूझकर विवेचना में लापरवाही बरती। ऐसे में विवेचक की जवाबदेही कौन, कब और कैसे तय होगी। वरिष्ठ अधिवक्ता रवि आरोरा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट से बरी होने के बाद अब इस मामले में दोबारा अदालती कार्यवाही की गुंजाइश नहीं बची है। एक बीघा जमीन…6 हत्याएं, हाथ में कुछ नहीं
जिस एक बीघा जमीन के लिए 6 लोगों की हत्या हुई, अब न तो वह जमीन रही और न ही मकान रहा। ग्रामीणों का कहना कि एक बीघा जमीन के साथ ही अब उसका घर भी बिक चुका है। सत्यभान और गंभीर के दूर के चाचा अजय सिंह बताते हैं कि मकान और जमीन सब जा चुका है। अब इनके पास कुछ नहीं बचा। गंभीर और सत्यभान ने जमीन के लिए 2007 में मां की हत्या कर दी थी। पुलिस ने दोनों भाइयों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। सत्यभान को पहले जमानत मिल गई। मुख्य आरोपी गंभीर को जमानत नहीं मिल सकी थी। इस पर सत्यभान से उसने जमानत के लिए एक बीघा खेत बेचने की बात कही थी। सत्यभान तैयार हो गया था। 6 महीने बाद जब गंभीर जेल से रिहा होकर आया ताे उसने सत्यभान से अपना हिस्सा देने के लिए कहा। इस बात पर दोनों में झगड़ा हुआ। बाद में सत्यभान ने हिस्सा देने से मना कर दिया था। …………….
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यूपी में क्राइम ब्रांच अफसर बनकर ‘डिजिटल मर्डर’: झूठे केस की धमकी दी; पत्नी के गहने गिरवी रखवाए, 81 हजार वसूले; युवक ने फांसी लगाई प्रतापगढ़ के एक युवक को साइबर ठगों ने इस कदर ब्लैकमेल किया कि उसने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। यूपी पुलिस ने इस केस को डिजिटल मर्डर करार दिया है। ज्ञानदास प्रयागराज के फूलपुर में पंचायत विभाग में सफाई कर्मचारी थे। जालसाजों ने क्राइम ब्रांच का अफसर बनकर उनसे 3 दिन में 81 हजार रुपए ट्रांसफर करवाए। उन्हें ड्रग्स बेचने के मुकदमे में फंसाने की धमकी देते रहे। पढ़िए पूरी खबर…

कर्फ्यू में सैलरी के पैसे से बनवाया रामलला का भोग:बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाशिम अंसारी से होली खेली, सत्येंद्र दास की कहानी

कर्फ्यू में सैलरी के पैसे से बनवाया रामलला का भोग:बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाशिम अंसारी से होली खेली, सत्येंद्र दास की कहानी अयोध्या में रामलला मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का बुधवार को 80 साल की उम्र में निधन हो गया। आचार्य सत्येंद्र दास का पार्थिव शरीर अयोध्या के सत्य धाम गोपाल मंदिर आश्रम में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। पीएम मोदी और सीएम योगी ने शोक जताया है। आचार्य सत्येंद्र दास को आज दोपहर 12 बजे जल समाधि दी जाएगी। सत्येंद्र दास 32 साल से रामजन्मभूमि में बतौर मुख्य पुजारी सेवा दे रहे थे। 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी विध्वंस के समय वे रामलला को गोद में लेकर भागे थे। आचार्य सत्येंद्र दास का व्यवहार कैसा था? उन्होंने कैसे लोगों को जोड़े रखा? रामलला के प्रति उनकी चिंता और बेबाकी कैसी थी? ये बातें 38 साल उनके साथ रहे सहायक पुजारी संतोष तिवारी समेत कई साधु-संतों ने दैनिक भास्कर से शेयर कीं। पढ़िए रिपोर्ट… 1992 में विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद टेंट सिटी की 2 तस्वीरें अब पढ़िए सहायक पुजारी संतोष तिवारी ने जो कुछ बताया… बोले- मुझे अपने साथ अयोध्या लाए
पुजारी संतोष तिवारी कहते हैं- मैं सत्येंद्र दास जी के साथ 36 साल रहा। वह राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी थे। अब हमारे बीच नहीं रहे, मुझे बहुत दुख है। आपको बता दूं कि वही हमें 1987 में अयोध्या लेकर आए। यहीं पर उन्होंने मुझे शिक्षा-दीक्षा दिलाई। उन्हीं के आशीर्वाद से अयोध्या धाम मेरी कर्मभूमि बन गई। 1 मार्च, 1992 को उन्होंने मुझे अपने साथ श्री रामलला की सेवा में सहायक पुजारी के रूप में लगाया। हमेशा अभिभावक की तरह मुझे दिशा दिखाते रहे। वह समाज में बराबरी के पक्षधर थे। आप समझिए, दिसंबर 1992 में जब बाबरी विध्वंस का मसला चल रहा था। सत्येंद्र दास बहुत चिंतित रहते थे, उन्हें लगता था कि रामलला काे कोई नुकसान न हो जाए। जब कारसेवक विवादित ढांचा ढहाने के लिए गुंबद पर चढ़ गए तो वे सत्येंद्र दास ही थे जो हिम्मत करके अंदर पहुंचे और रामलला को उठा लिया। उनके साथ हम लोग भी थे। हमने अन्य मूर्तियों को उठाया और तेजी से लेकर निकल पड़े। जब हम उस उन्मादी भीड़ के बीच से बचाकर रामलला की मूर्ति ले आए तब उन्हें राहत मिली। इसी दौरान प्रदेश भर में कर्फ्यू लग और अयोध्या पूरी तरह सेना और अर्द्ध सैनिक बलों के हवाले हो गई थी। तब सत्येंद्र दास अपने आश्रम से रामलला के लिए भोग लेकर आते थे। हम लोग भी जैसे-तैसे रामलला की पूजा करने पहुंचते थे। कैसी भी परिस्थिति हो अगर सत्येंद्र दास अयोध्या में हैं तो रामलला के दर्शन-पूजन करने जरूर करने आते थे। वर्षों तक उनका एक ही सपना था कि रामलला टेंट सिटी से निकलकर अपने मंदिर पहुंच जाएं। जब रामलला मंदिर पहुंचे तो वे सबसे ज्यादा खुश थे, उन्हें लगता था कि उनका सपना पूरा हो गया। जब मंदिर बन गया तो उन्होंने मुझसे कहा- अब मैं चाहे मुख्य पुजारी रहूं या न रहूं, मेरे रामलला टाट से निकल कर ठाठ में पहुंच गए हैं। मेरी तपस्या सफल हो गई। वे इतने बड़े विचार रखते थे। हाशिम अंसारी को होली खेलने बुलाया संतोष तिवारी बताते हैं- जब विवादित ढांचा के गिरने के बाद पूरे देश में तनाव छाया हुआ था और मामला अदालत तक पहुंच गया था। उस दौरान सत्येंद्र दास जी ने कहा कि हाशिम को आश्रम में बुलाओ हम लोग मिलकर होली खेलेंगे। हम लोगों ने यही किया। हाशिम अंसारी और फिर बाद में उनके बेटे इकबाल अंसारी भी होली पर सत्येंद्र दास के आश्रम में आने लगे। हम लोग खूब होली खेलते थे। मुझे याद है कि जब हाशिम अंसारी अस्वस्थ हुए थे, तब सत्येंद्र दास जी ने मुझसे कहा कि चलो संतोष हाशिम के घर चलना है। उनकी तबीयत खराब है। हम लोग साथ में उनको देखने गए थे। यह कहकर भी आए हाशिम तुम जल्दी ठीक होकर लौटो, हम फिर आश्रम में बैठेंगे। अपनी शिक्षा को बच्चों तक पहुंचाना चाहते थे
पुजारी बताते हैं- आचार्य सत्येंद्र दास हमेशा गाय की सेवा करते। रोज नियम से अपने आश्रम के आंगन में बंदरों को चने खिलाते थे। बच्चों को बहुत दुलार करते थे। वो चाहते थे कि उनके पास जो ज्ञान है, वो आने वाली पीढ़ी तक भी जाए। इसलिए अक्सर आसपास और आश्रम के बच्चों को पढ़ाते थे और उनकी शिक्षा में सहयोग करते थे। जब मंदिर में नए पुजारियों की तैयारी चल रही थी तो वे काफी संतुष्टि जताते थे। वो कहते थे कि नए लड़कों को अच्छा मौका मिलेगा। वह विद्यार्थियों को वेद पाठ कराने और संस्कृत की शिक्षा देने के लिए अनवरत लगे रहे। स्वामी रामदिनेशाचार्य ने क्या कहा… कर्फ्यू लगा तो अपने वेतन से रामलला का भोग लगाते रहे
अयोध्या में जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य ने कहा- बचपन से उन्हें करीब से देखा है। उनका जाना एक युग के अंत जैसा है। उन्होंने अपना पूरा जीवन रामलला को टेंट से निकालकर मंदिर तक पहुंचाने में लगा दिया। विपरीत परिस्थितियों में भी भगवान राम के भोग, राग-सेवा के लिए उनका लगाव अब शायद ही दोबारा दिखेगा। मैंने देखा है कि कर्फ्यू के समय कितने दर्द उठाकर उन्होंने अपने कमाए हुए पैसों से भगवान को रोज भोग लगाया। उन्होंने कभी भोग बंद नहीं होने दिया। इतने लंबे संघर्षों में भगवान के प्रति जो लगन थी, वह लोगों के लिए प्रेरणा बनी। राजकुमार दास ने क्या कहा… सत्येंद्र दास का योगदान रामभक्त याद रखेंगे
श्रीरामवल्लभाकुंज के प्रमुख स्वामी राजकुमार दास ने कहा- सत्येंद्र दास रामलला और उनकी सेवा को लेकर बेबाक टिप्पणी करते थे। यह उनकी परम रामभक्ति को दिखाता था। उन्होंने हर परिस्थिति में रामलला की सेवा की। उनका योगदान करोड़ों रामभक्त परिवार हमेशा याद रखेंगे। यह संयोग कहें या राम की कृपा, माघ पूर्णिमा के पवित्र दिन उन्होंने प्राण त्यागे। रघुबर शरण ने क्या कहा… मुश्किल हालात में बेबाक राय दी
आचार्य सत्येंद्र दास के पड़ोसी रघुबर शरण कहते हैं- रामलला मंदिर का मुख्य पुजारी होना व्यवस्था के तहत था। मगर वह उससे कहीं ज्यादा थे। वह सच्चे अर्चक और उपासक थे। रामलला के मुख्य अर्चक का दायित्व मिलने के बाद वह प्रबंधन में भी बेहतरीन भूमिका निभाते थे। वह मुश्किल हालातों के दौरान भी रामलला को ध्यान में रखते हुए बेबाक राय रखते थे। एक ठेठ अयोध्या की राम भक्ति के अध्याय का समाप्त हो गया। आचार्य सत्येंद्र दास के बेबाक विचार ——————————- सत्येंद्र दास से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए… राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास का निधन; बाबरी विध्वंस के वक्त रामलला को गोद में लेकर भागे थे, टीचर के बाद पुजारी बने अयोध्या में रामलला मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का 80 साल की उम्र में निधन हो गया। बुधवार सुबह 7 बजे लखनऊ PGI में उन्होंने आखिरी सांस ली। 3 फरवरी को ब्रेन हेमरेज के बाद उनको अयोध्या से लखनऊ रेफर किया गया था। पढ़िए पूरी खबर

रोसोगुल्ला हाउस का मिर्ची रसगुल्ला:आगरा के रसगुल्ले की बात निराली, कचौड़ी-जलेबी से दिन की शुरुआत; डोसा-चाट की काफी डिमांड

रोसोगुल्ला हाउस का मिर्ची रसगुल्ला:आगरा के रसगुल्ले की बात निराली, कचौड़ी-जलेबी से दिन की शुरुआत; डोसा-चाट की काफी डिमांड रसगुल्ले का नाम सुनकर वैसे तो मुंह में पानी आ जाता है। लेकिन क्या आपने मिर्ची रसगुल्ले का नाम सुना है। नाम सुनकर जरूर अटपटा लगा होगा। आखिर मीठे रसगुल्ले में मिर्ची जैसी तीखी चीज का क्या काम। आज की जायका सीरीज में आपको लिए चलते हैं आगरा के ‘रोसोगुल्ला हाउस’। इस रसगुल्ले की बात ही निराली है। ये मीठे के साथ तीखा भी लगता है। रोसोगुल्ला हाउस में हर किस्म का रसगुल्ला मिलता है। हर रसगुल्ले की अपनी अलग खासियत है। यह जुबान पर आते ही घुल लग जाता है। दूर दराज से लोग ‘मिर्ची रसगुल्ला’ खाने सदर बाजार आते हैं। अंकित और अंकुर गोयल के रोसोगुल्ला हाउस पर रसगुल्ले की 10 से अधिक वैराइटी हैं। इनके दादा विजय गोयल ने 1958 में सदर एरिया में रोसोगुल्ला हाउस की शुरुआत की थी। लेकिन, किसी वजह से कुछ साल बाद उनका प्रतिष्ठान बंद हो गया। अब परिवार की तीसरी पीढ़ी ने इसे नए कलेवर और फ्लेवर के साथ शुरू किया है। हर दिन यहां ग्राहकों की भीड़ पहुंचती है। लोगों को यहां के खान-पान और पकवान बेहद पसंद आ रहे हैं। दूसरे राज्यों आने वाले लोग भी इसके दीवाने हैं। बंगाल के रसगुल्ले की बात ही अलग
रोसोगुल्ला हाउस में बंगाली कारीगर भी काम करते हैं। उनके हाथ के बने रसगुल्ले काफी खास होते हैं। यहां मिर्च के फ्लेवर से बना मिर्ची रसगुल्ला तो मिलता ही है। साथ ही ऑरेंज और आम रसगुल्ले का भी लाजवाब स्वाद मिलता है। चाट भी है बेहद खास
रोसोगुल्ला हाउस की चाट भी लोगों की काफी पसंद आती है। आलू टिक्की, पान पत्ता और गोलगप्पे चाट की काफी डिमांड रहती है। इसके अलावा भी यहां चाट की कई परंपरागत वैराइटी मौजूद हैं। जो यहां आने वालों को अपने स्वाद का दीवाना बना लेती हैं। रेस्टोरेंट का स्पेशल डोसा भी खास
रोसोगुल्ला हाउस के फर्स्ट फ्लोर पर रेस्टोरेंट भी है। यहां खाने के शौकीनों के लिए साउथ इंडियन, नॉर्थ इंडियन, मुगलई, चाइनीज और कॉन्टिनेंटल टेस्ट मिलता है। खास तौर पर यहां का डोसा लोगों को ज्यादा ही पसंद आता है। सांभर डोसे का स्वाद लेने के लिए लोग परिवार के साथ रोसोगुल्ला हाउस पहुंचते हैं। सुबह के नाश्ते से दिन की शुरुआत
रोसोगुल्ला हाउस पर दिन की शुरुआत आगरा की मशहूर बेड़ई जलेबी से होती है। सुबह शौकीनों को यहां बेड़ई, आलू और प्याज की कचौड़ी, पनीर की कचौड़ी, आलू की चटपटी लजीज सब्जी के साथ दोने में परोसी जाती है। इसके साथ ही गरमा गरम रस से भरी जलेबी का स्वाद ग्राहकों को मिलता है। कस्टमर रिव्यू… ————————- ये खबर भी पढ़ें :- आगरा की श्रीराम पूड़ी…लोग लेते हैं चटखारा: सिर्फ 2 घंटे के लिए बंद होती है दुकान, छौंकी मिर्च के साथ मिलता है स्वाद बेमिसाल 25 रुपए में 5 पूड़ी…वो भी छौंकी हुई हरी मिर्च के साथ। इतने रुपए में पेट तो भर जाता है लेकिन मन नहीं। आलू की रसीली सब्जी के साथ पूड़ी खाने वालों का कहना है कि मन करता है कि खाए जाओ…बस खाए जाओ। जी हां, ऐसा ही श्रीराम पूड़ी वाले की पूड़ी का स्वाद। ये स्वाद 40 साल से वैसा ही बना हुआ है। तभी तो सुबह से देर रात तक पूड़ी खाने वालों की यहां लाइन लगी रहती है। जायका सीरीज में आपको लिए चलते हैं आगरा के श्रीराम पूड़ी वाले के पास, जहां का टेस्ट बेहद खास है। पढ़ें पूरी खबर

क्या गंगा 2050 तक सूख जाएगी:87 साल में गंगोत्री का ग्लेशियर 1700 मीटर पिघला; पुराण में भी 5000 साल लौटने का जिक्र

क्या गंगा 2050 तक सूख जाएगी:87 साल में गंगोत्री का ग्लेशियर 1700 मीटर पिघला; पुराण में भी 5000 साल लौटने का जिक्र प्रयागराज में गंगा-यमुना के संगम पर महाकुंभ चल रहा है। अब तक 46 करोड़ से अधिक श्रद्धालु डुबकी लगा चुके हैं। लेकिन, इस बीच एक सवाल भी उठ रहा है कि क्या गंगा 2050 तक सूख जाएगी? ये सवाल इस वजह से किए जा रहे हैं, क्योंकि यूनाइटेड नेशन्स की ताजा रिपोर्ट इसी तरफ इशारा कर रही है। दूसरा पुराण में गंगा के वापस लौट जाने की बात भी लिखी है। जानिए यूएन की रिपोर्ट में क्या है? क्यों ऐसा कहा जा रहा है? पुराण में क्या है? जानिए इन सवालों का भास्कर एक्सप्लेनर… सवाल: यूएन की रिपोर्ट में क्या है?
जवाब: यूनाइडेट नेशंस ने साल 2025 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ ग्लेशियर्स घोषित किया है। इसकी वजह दुनियाभर में ग्लेशियर्स का जलवायु परिवर्तन की वजह से तेजी से पिघलना है। विश्व धरोहर स्थलों में 1 लाख 86 हजार ग्लेशियरों की पहचान की गई है। ये ग्लेशियर 66 हजार वर्ग किमी क्षेत्र में फैले हैं। ये कुल ग्लेशियर का 10% है। हिमालय सहित विश्व भर में 10 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले ग्लेशियर अगले 25 वर्षों में सूख जाएंगे। वहीं, 100 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले ग्लेशियर अगले 75 साल में सूख जाएंगे। विश्व धरोहर ग्लेशियर हर साल औसतन 58 बिलियन टन बर्फ खो देते हैं। इससे समुद्र का जलस्तर हर साल 4.5 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। सवाल: गंगा का ग्लेशियर से कनेक्शन क्या है?
जवाब: हिमालय के ग्लेशियर से निकलने वाली दो धाराओं अलकनंदा और भागीरथी के देवप्रयाग में संगम से गंगा अस्तित्व में आती है। अलकनंदा की धारा केदारनाथ स्थित संतोपथ ग्लेशियर से निकलती है। वहीं, गंगा की मुख्य धारा मानी जाने वाली भागीरथी गंगोत्री से निकलती है। हालांकि, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी के विशेषज्ञों के मुताबिक गंगा की मुख्य जलधारा अलकनंदा ही है। इसकी वजह अलकनंदा की विशाल जलराशि है। अलकनंदा में रुद्र प्रयाग तक बद्रीनाथ से निकलने वाली धौलीगंगा, नंदाकिनी, पिंडर और मंदाकिनी की धाराएं मिलती हैं। ये अलकनंदा का औसत प्रवाह 15,516 घन फीट प्रति सेकेंड तक पहुंचा देती है। देवप्रयाग तक 195 किमी की दूरी अलकनंदा 20 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तय करती है। जबकि भागीरथी 16 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से 205 किमी की दूरी तय कर देवप्रयाग पहुंचती हैं। भागीरथी का औसत प्रवाह 9,103 घन फीट प्रति सेकेंड है। यूनाइटेड नेशंस और वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी की ताजा रिपोर्ट बताती है कि दोनों जलधाराओं का मुख्य स्रोत हिमालय के ग्लेशियर ही हैं। जो ग्लोबल वार्मिंग के चलते वर्तमान समय में 38 मीटर प्रति वर्ष की दर से पिघल रही हैं। 1996 से 2016 तक यहां के ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार 22 मीटर प्रति वर्ष थी। सवाल: गंगोत्री-यमुनोत्री ग्लेशियर पिघलने पर क्या असर पड़ेगा?
जवाब: मिजोरम विश्वविद्यालय आइजोल के प्रोफेसर विशंभर प्रसाद सती और सुरजीत बनर्जी ने हिमालय में पिछले 38 साल में होने वाले बदलावों अध्ययन किया है। मूल रूप से चमोली के रहने वाले प्रोफेसर विशंभर प्रसाद सती अपनी रिपोर्ट में बताते हैं कि हिमालय तेज बदलाव से गुजर रहा है। अभी ये बदलाव दिख रहे… 1- मौसम: हिमालय क्षेत्र के 135 जिलों के मौसम में बड़ा बदलाव आया है। 1980 से 2018 की अवधि में 4640 माैसम संबंधी घटनाएं दर्ज हुई हैं। इसमें भूस्खलन और बादल फटने के साथ भारी बारिश और बाढ़ की कुल 2211 घटनाएं हुईं। इसमें भारी बर्फबारी की 1486 घटनाएं और शीतलहर की 303 घटनाएं शामिल हैं। पूर्वी हिमालय की तुलना में पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में 1990 के दशक के बाद भारी बर्फबारी कम हुई है। वहीं, भारी बारिश और बाढ़ के मामले बढ़े हैं। 2- बाढ़: यूपी के बिजनौर में पिछले 3 साल से लगातार बाढ़ आ रही है। सबसे खतरनाक यह है कि बाढ़ तेजी से आती है, लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिलता। 3- धाराओं में बंटी, घाट सिमटने लगे: अमरोहा के तिगरी में गंगा की जलधारा तीन से चार किमी दूर हो गई है। प्रयागराज में भी गंगा कई धाराओं में बंट जाती है। बीच में रेत के टापू निकल आते हैं। इस बार कुंभ के लिए प्रशासन ने गंगा नदी की गहराई कर एक धारा बनानी पड़ी। बनारस में जो गंगा के घाट, जो 600 मीटर तक होते थे। अब वे सिमट कर 300-400 मीटर रह गए हैं। आगे ऐसा दिखेगा बदलाव वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी ने हिमालय के गंगोत्री-यमुनोत्री सहित 650 ग्लेशियरों पर 4 दशकों के दौरान बर्फ पिघलने का विश्लेषण किया है। इसकी रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 1975 से 2000 के बीच हर साल औसतन 4 बिलियन टन बर्फ पिघल रही थी। 2000 से 2016 के बीच ये रफ्तार दोगुनी हो गई। इसकी वजह तापमान में 1 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी है। सवाल- गंगा का कब तक रहेगा अस्तित्व? क्या कहती है रिसर्च?
जवाब: चार पहाड़ियों से घिरा गंगोत्री ग्लेशियर 27 घन (19,683 वर्ग) किमी है। ये ग्लेशियर 30 किमी लंबा है। साथ ही 0.5 से 2.5 किमी की चौड़ाई है। इसके एक छोर पर 3950 फीट की ऊंचाई पर गोमुख स्थित है। यहीं से भागीरथी नदी निकलती है, जो कि बाद में जाकर देवप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिलकर गंगा नदी बनाती है। देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी की रिपोर्ट के मुताबिक, हिमालय क्षेत्र में बढ़ते तापमान, कम बर्फबारी और ज्यादा बारिश की वजह से ये ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। डॉ. राकेश भांबरी अपनी इस रिपोर्ट में बताते हैं कि सबसे ज्यादा खतरे में गंगोत्री ग्लेशियर है। वाडिया इंस्टीट्यूट के ही सरफेस फेसिंग एनालिसिस ऑफ द गंगोत्री एंड नेबरिंग ग्लेशियर नाम के एक और रिसर्च पेपर के मुताबिक साल भर बर्फ से लदी रहने वाली हिमालय की ऊंची चोटियों पर बर्फ नहीं है। 1991 से 2021 तक शिखर पर बर्फ का क्षेत्र 10,768 वर्ग किमी से घटकर 3,258.6 वर्ग किमी रह गया है, जो एक खतरनाक कमी का संकेत है। ठीक इसके उलट पतली बर्फ की चादर 1991 में 3,798 वर्ग किमी से बढ़कर 2021 में 6,863.56 वर्ग किमी हो गई है। इससे क्षेत्र में गर्मी बढ़ गई है। औली और उसके आसपास के क्षेत्र जो पहले हमेशा बर्फ से ढंके रहते थे। अब वहां बर्फ नहीं है। नैनीताल में बर्फबारी दो या तीन वर्षों में एक बार हो रही है। 1990 के दशक में यहां अक्सर बर्फबारी होती रहती थी। इस तरह गंगोत्री में ग्लेशियर पिघल रहा सवाल: देवी भावगत पुराण में गंगा के सूखने को लेकर क्या कहा गया है?
जवाब: देवी भागवत पुराण के स्कंध 9 अध्याय- 11 में जिक्र है कि कलियुग के 5 हजार साल बीतने पर गंगा भी पृथ्वी से चली जाएगी। देवी भागवत की कथा के अनुसार एक बार गंगा और सरस्वती में विवाद हो गया। बीच-बचाव को लक्ष्मी पहुंची, तो सरस्वती ने उन्हें वृक्ष के रूप में पृथ्वी पर पापियों का पाप स्वीकार करने का शाप दे दिया। इसके बाद गंगा और सरस्वती ने एक-दूसरे को नदी के रूप में पृथ्वी पर रहने का शाप दे दिया। तीनों देवियों गंगा, सरस्वती और लक्ष्मी का क्रोध शांत हुआ तो पश्चाताप करने लगीं। तब भगवान विष्णु ने कहा कि जब कलयुग के 5 हजार साल पूरे हो जाएंगे तब तीनों देवियां वापस अपने-अपने स्थान को लौट जाएंगी। पौराणिक कथा के मुताबिक गंगा करीब 14 हजार साल पहले पृथ्वी पर आई थीं। गंगा से पहले सरस्वती नदी का अस्तित्व था। ऋग्वेद और महाभारत में इसका जिक्र है। प्रयागराज में त्रिवेणी के रूप में गंगा-यमुना के साथ सरस्वती का संगम बताया गया है। हालांकि हिमालय से निकली सरस्वती हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के रास्ते आज के पाकिस्तानी सिंध प्रदेश जाकर अरब की खाड़ी में मिल जाती थीं। सरस्वती अब लुप्त हो चुकी हैं। सवाल: ग्लेशियर को बचाने के लिए क्या किया जा रहा है?
जवाब: डेटा संग्रह और एनालिसिस को बढ़ाने के लिए वैश्विक ग्लेशियर निगरानी प्रणालियों का विस्तार किया जा रहा है। ग्लेशियर से संबंधित खतरों के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करना। ग्लेशियर-निर्भर क्षेत्रों में स्थायी जल संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देना। ग्लेशियर पर्यावरण से संबंधित सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित करना। कार्बन उत्सर्जन को घटाकर ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस के औसत पर लाना। ग्राफिक्स: प्रदीप तिवारी ————————————— यह खबर भी पढ़ें विदेशी बोले- महाकुंभ दुनिया की सबसे अच्छी जगह, नॉर्वे के पूर्व मंत्री बोले- इतिहास का सबसे बड़ा समागम, भारत के लोग बड़े मिलनसार प्रयागराज महाकुंभ अपने अंतिम चरण में है। तमाम विदेशी श्रद्धालु भी महाकुंभ पहुंच रहे हैं। बुधवार को नार्वे, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और नेपाल से आए श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। यहां पढ़ें पूरी खबर

यूपी-बिहार बॉर्डर पर 7 शराब तस्करों के खिलाफ FIR:दैनिक भास्कर के खुलासे के बाद एक्शन में पुलिस, शराब तस्कर फरार हुए

यूपी-बिहार बॉर्डर पर 7 शराब तस्करों के खिलाफ FIR:दैनिक भास्कर के खुलासे के बाद एक्शन में पुलिस, शराब तस्कर फरार हुए यूपी-बिहार बॉर्डर से सटे यूपी के जिलों और बलिया में नदियों के रास्ते नाव से शराब तस्करी करने वालों के खिलाफ पुलिस ने एक्शन लेना शुरू कर दिया है। दैनिक भास्कर के खुलासे के बाद बलिया पुलिस ने थाना बैरिया में 7 शराब तस्करों के खिलाफ FIR दर्ज कराई। तस्करों को गिरफ्तारी के लिए छापे मारे जा रहे हैं। कोतवाली बैरिया के चौकी चांददीयर चौकी प्रभारी परमात्मा मिश्रा ने लिखित शिकायत में दीपू सिंह, अर्जुन सिंह और ब्रह्म तिवारी और इनके गुर्गे सनी साहनी और बिहार के रिविलगंज निवासी विकास सिंह, मंटू सिंह और एक शराब के सेल्समैन के खिलाफ FIR दर्ज करवाई है। FIR के मुताबिक, दीपू सिंह, अर्जुन सिंह और ब्रह्म तिवारी के कहने पर सनी साहनी, विकास सिंह और मंटू सिंह और शराब की दुकान के सेल्समैन नाव के जरिए शराब की तस्करी कर रहे हैं। पुलिस की इस कार्रवाई के बाद शराब कारोबारियों में हड़कंप मचा हुआ है। वहीं, भास्कर के खुलासे के बाद आबकारी विभाग भी एक्टिव हो गया है। बलिया के जिला आबकारी अधिकारी ओपी शुक्ला ने जांच करके कार्रवाई की बात कही है। पहले पढ़िए FIR में क्या लिखा है… अब दैनिक भास्कर की बॉर्डर तस्करी पर दो इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट… बिहार में शराबबंदी के बाद से यूपी के बॉर्डर से लगे जिलों से शराब की तस्करी बड़े पैमाने पर की जा रही है। सड़क और ट्रेन में सख्ती बढ़ी तो तस्करों ने पानी का रास्ता अपना लिया है। गंगा और घाघरा से रोजाना लाखों की शराब यूपी से बिहार पहुंचे तस्करों की न केवल पहचान की, बल्कि कैमरे में कैद भी किया। पुलिस और इनको संरक्षण देने वाले नेताओं के रोल को जाना। चाने का सुरक्षित रास्ता बन गया। दैनिक भास्कर की टीम ने 30 दिनों की खोजबीन में पानी के जरिये शराब की तस्करी देखी। साथ ही शराब तस्करी बॉर्डर पर कैसे स्टार्ट अप का रूप ले लिया और युवा उसमें कूद रहे हैं। पहले इस मैप से जानिए शराब की तस्करी का रूट… दोनों नदियों के उस पार बिहार का बॉर्डर
एक तरफ बिहार तो दूसरी तरफ UP का बलिया जिला। गंगा के उस पार बिहार का भोजपुर (आरा) जिला और घाघरा के उस पार छपरा जिला पड़ता है। यह जल सीमा 150 किलोमीटर से ज्यादा है। इसका फायदा दोनों तरफ के तस्कर उठाते हैं। बलिया के तस्कर, बिहार के तस्कर को नाव पर माल उपलब्ध कराते हैं। थाना-चौकी में हिस्सा दीजिए, जितनी चाहे शराब भेजिए
तस्करों से बातचीत से निकलकर आया कि तस्करी का एक हिस्सा पुलिस को जाता है। जिस थाने और चौकी का एरिया लगता है, उससे तस्करों को सेटिंग करनी पड़ती है। एक तस्कर महीने में थाने को कथित रूप से 70 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक देता है, जबकि चौकी 10 से 15 हजार में मैनेज होती है। UP में सबसे बड़ा डर SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) टीम का होता है। यह पूरे जिले में छापा मारती है। इसलिए तस्कर को SOG टीम को भी मैनेज करना पड़ता है। टीम को तस्कर 20 हजार रुपए तक देने का दावा करते हैं। तस्करों को UP और बिहार दोनों तरफ की पुलिस को मैनेज करना पड़ता है। बड़े तस्कर मंथली थाने को रुपए देते हैं, जबकि छोटे तस्कर पेटी के हिसाब से। हमने उन तस्करों से संपर्क किया जो बॉर्डर से शराब बिहार पहुंचाते हैं। बलिया में हमें पता चला कि तस्करी के लिए सबसे बड़ा हब बैरिया तहसील है। हम एक पैडलर से मिले, जो कुछ दिन पहले तक डिपो से शराब की पेटियों को घाट तक पहुंचाता था। अब हमें ऐसे व्यक्ति की तलाश थी, जो शराब तस्करी के लिए तैयार हो और UP का माल बिहार पहुंचाने की गारंटी भी ले। तीन दिन तक लगातार बातचीत के बाद 22 साल का तस्कर सनी साहनी मिलने के लिए तैयार हुआ। रिपोर्टर- शराब बिहार ले जाते होंगे, वहां तो सेटिंग होगी ना?
तस्कर- नाव तक पहुंचाने की मेरी जिम्मेदारी है, उसके आगे की नहीं। उधर वो (बिहार ले जाने वाला तस्कर) अपना जानें। तस्कर- कितनी पेटी रोज दे सकते हो?
रिपोर्टर- 500 पेटी रोज मिल जाएगी। रिपोर्टर- माल में होलोग्राम और बार कोड रहता है?
तस्कर- माल लेते समय ही उसे हटा दिया जाता है। नोट- होलोग्राम और बार कोड पर दुकान और गोदाम का डिटेल रहता है। छापे में ये पकड़े जा सकते हैं। इसलिए तस्कर इसे हटा देते हैं। अब हम बिहार के ऐसे तस्कर की तलाश में थे, जो बल्क में माल लेता हो। हमारे सोर्स ने विकास सिंह से मुलाकात कराई। विकास अपने साथी मंटू सिंह के साथ आया। बलिया के बैरिया थाने में दीपू सिंह सिंह के खिलाफ आबकारी के मामले दर्ज हैं। पूर्व विधायक और SI में दीपू सिंह को लेकर बहस हुई थी। हम जानना चाहते थे कि क्या दीपू सिंह से बिहार के तस्करों का सीधा संपर्क है? एक तस्कर कितनी शराब रोजाना ले रहा है? रिपोर्टर- क्या दीपू सिंह नहीं दे रहे हैं?
तस्कर विकास- फोन आया था, हम लोग वहां से माल नहीं ले रहे। इसकी वजह बिहार में मांझी पुलिस की स्टीमर (सर्चिंग बोट) आ गई है। इसलिए रिस्क नहीं ले रहे। रिपोर्टर- जो घाट आपको सेफ लगे, बाकी हम लोग रेट तय कर लेते हैं, जनवरी से काम शुरू करेंगे?
तस्कर विकास- अगर हमें देंगे तो हम लोग एक दिन में कम से कम 300 से 400 पेटी खींच देंगे। रिपोर्टर- अभी ज्यादा किसकी डिमांड है?
तस्कर विकास- अभी फ्रूटी की ही डिमांड है। गर्मी के दिन आएंगे तो बीयर ज्यादा चलेगी। शराब तस्करों और नेताओं का गठजोड़ हमारी पड़ताल में तस्करों से बातचीत में 3 शराब माफिया के नाम सामने आए। पहला- अर्जुन सिंह, दीपू सिंह और दूसरा- ब्रह्म तिवारी। दीपू सिंह के संबंध पूर्व भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह के साथ बताए गए हैं। ये पूर्व विधायक के समर्थक हैं। दीपू के खिलाफ शराब तस्करी समेत 5 केस बैरिया थाने में दर्ज हैं। 12 जनवरी को बैरिया थाने के थाना प्रभारी और पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह का वीडियो सामने आया। जिसमें दोनों में बहस हो रही है। थाना प्रभारी कहते हैं कि आप शराब तस्कर दीपू की पैरवी करते हैं। पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह के साथ शराब तस्कर दीपू की फोटो भी हमें मिली। हालांकि, सुरेंद्र सिंह अपने बयानों में हमेशा शराब के खिलाफ रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी के फैसले को अच्छा बता चुके हैं। —————————
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UP में नाव से शराब तस्करी पहली बार देखिए तस्करी का रूट समझने के लिए हम बलिया पहुंचे। बलिया दाे तरफ से गंगा और घाघरा नदी से घिरा है। इस एरिया को दोआबा कहते हैं। इन इलाकों में खनन और शराब तस्करी बड़े पैमाने पर होती है। पूरी खबर पढ़ें… UP-बिहार बॉर्डर पर शराब तस्करी में नौकरी से ज्यादा पैसा मैं 16 साल की उम्र से शराब तस्करी कर रहा हूं। इस धंधे में हमने कई लोगों को खड़ा किया। कुछ लोग तो जेल में हैं, लेकिन हम कभी जेल नहीं गए। जब से शराबबंदी हुई है, हमने खूब पैसा कमाया। ये कहना है 22 साल के शराब तस्कर सनी साहनी का। पूरी खबर पढ़ें…