‘अदालत इस बात पर अफसोस जताती है कि…’, RSS को लेकर केंद्र के फैसले पर MP हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी

‘अदालत इस बात पर अफसोस जताती है कि…’, RSS को लेकर केंद्र के फैसले पर MP हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी

<p style=”text-align: justify;”><strong>MP High Court On RSS Ban:</strong> सरकारी कर्मचारियों के रिटायर होने के बाद RSS की गतिविधियों और कार्यक्रमों में शामिल न होने वाले केंद्र सरकार के एक पुराने आदेश के खिलाफ इंदौर हाईकोर्ट ने डिटेल ऑर्डर जारी किया है. फैसला सुनाते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने कहा, “बात बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि साल 1966, 1970 और 1980 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सामाजिक और सांप्रदायिक संगठन मानकर सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की शाखाओं में जाने और उनकी गतिविधियों में शामिल होने पर रोक लगाई गई थी.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रशासनिक जज एसए धर्माधिकारी और जस्टिस गजेंद्र सिंह की डिवीजन ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा, “अदालत इस बात पर अफसोस जताती है कि केंद्र सरकार को अपनी गलती का एहसास होने में पांच दशक का समय लग गया. साथ ही इस बात को स्वीकार करने में कि उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध संगठन को गलत तरीके से प्रतिबंधित संगठनों की सूची में रखा.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>58 साल पहले लगा प्रतिबंध हटा&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने एक याचिका का निराकरण करते हुए उपरोक्त बातें कही हैं, जिसमें ये टिप्पणी केंद्र के अधिकारियों और कर्मचारियों के आरएसएस की शाखाओं में शामिल होने पर 58 साल से लगे प्रतिबंध के खिलाफ थे. इस पूरे प्रकरण में सभी पक्षों के तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>संशोधन का प्रचार भी किया जाए</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इंदौर में सुनवाई करते हुए प्रशासनिक जज एसए धर्माधिकारी और जस्टिस गजेंद्र सिंह की डिवीजन ने आदेश जारी किया. उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में ये कहा है कि सेंट्रल होम मिनिस्ट्री ने पिछले दिनों अपने सर्कुलर में भी संशोधन किया था. इसके बावजूद हम डिटेल आर्डर जारी कर रहे हैं कि सरकार इस सर्कुलर में फिर से संशोधन ना कर दें. केंद्र ने जो संशोधन किया है उसे अधिकृत वेबसाइट पर भी डाला जाए. इसके अलावा देशभर में जनसंपर्क विभाग के माध्यम से इसका प्रचार भी किया जाए.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़े: <a title=”Prabhat Jha Death: बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रभात झा का निधन, लंबे अरसे से चल रहे थे बीमार” href=”https://www.abplive.com/states/madhya-pradesh/mp-news-senior-bjp-leader-and-ex-mp-prabhat-jha-passed-away-2746089″ target=”_self”>Prabhat Jha Death: बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रभात झा का निधन, लंबे अरसे से चल रहे थे बीमार</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>MP High Court On RSS Ban:</strong> सरकारी कर्मचारियों के रिटायर होने के बाद RSS की गतिविधियों और कार्यक्रमों में शामिल न होने वाले केंद्र सरकार के एक पुराने आदेश के खिलाफ इंदौर हाईकोर्ट ने डिटेल ऑर्डर जारी किया है. फैसला सुनाते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने कहा, “बात बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि साल 1966, 1970 और 1980 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सामाजिक और सांप्रदायिक संगठन मानकर सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की शाखाओं में जाने और उनकी गतिविधियों में शामिल होने पर रोक लगाई गई थी.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रशासनिक जज एसए धर्माधिकारी और जस्टिस गजेंद्र सिंह की डिवीजन ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा, “अदालत इस बात पर अफसोस जताती है कि केंद्र सरकार को अपनी गलती का एहसास होने में पांच दशक का समय लग गया. साथ ही इस बात को स्वीकार करने में कि उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध संगठन को गलत तरीके से प्रतिबंधित संगठनों की सूची में रखा.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>58 साल पहले लगा प्रतिबंध हटा&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने एक याचिका का निराकरण करते हुए उपरोक्त बातें कही हैं, जिसमें ये टिप्पणी केंद्र के अधिकारियों और कर्मचारियों के आरएसएस की शाखाओं में शामिल होने पर 58 साल से लगे प्रतिबंध के खिलाफ थे. इस पूरे प्रकरण में सभी पक्षों के तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>संशोधन का प्रचार भी किया जाए</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इंदौर में सुनवाई करते हुए प्रशासनिक जज एसए धर्माधिकारी और जस्टिस गजेंद्र सिंह की डिवीजन ने आदेश जारी किया. उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में ये कहा है कि सेंट्रल होम मिनिस्ट्री ने पिछले दिनों अपने सर्कुलर में भी संशोधन किया था. इसके बावजूद हम डिटेल आर्डर जारी कर रहे हैं कि सरकार इस सर्कुलर में फिर से संशोधन ना कर दें. केंद्र ने जो संशोधन किया है उसे अधिकृत वेबसाइट पर भी डाला जाए. इसके अलावा देशभर में जनसंपर्क विभाग के माध्यम से इसका प्रचार भी किया जाए.&nbsp;</p>
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