कैथल के कलायत में कोरोना काल के दौरान मनरेगा में करीब 3 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया, जिसमें फर्जी जॉब कार्ड बनाकर पैसे निकाले गए। ज्यादातर जॉब कार्ड में एक ही बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किया गया। 16 गांव में 444 फर्जी जॉब कार्ड डिलीट किए गए। घोटाले की राशि हड़पने के बाद उन सभी जॉब कार्ड को 5 से 7 दिन बाद पोर्टल से ही डिलीट कर दिया गया। जो लोग इन गांवों के निवासी भी नहीं थे, उसके नाम से फर्जी जॉब कार्ड पर विभिन्न कार्यों के मस्टरोल निकाले गए। इस घोटाले में ज्यादातर कार्य इरीगेशन डिपार्टमेंट के हुए हैं। जबकि कुछ कार्य पंचायत विभाग द्वारा करवाए गए हैं। चेहतों को बनाया जॉब कार्ड का मुखिया जॉब कार्ड में अलग-अलग मजदूर होने के बावजूद भी उनकी पेमेंट एक ही बैंक खाते में ट्रांसफर की गई। ज्यादातर जॉब कार्डों में मुखिया अपने चेहतों को बनाया। एक जोक कार्ड में 7 से 10 व्यक्तियों को परिवार के सदस्य दिखाए गए। जबकि उन नाम के गावं में ऐसे कोई भी परिवार व उनके सदस्य नहीं रहते। जिला स्तर पर भी हुई नियमों की अनदेखी फर्जी जॉब कार्ड बनाने में केवल ब्लॉक स्तर ही नहीं बल्कि जिला स्तर पर भी सिस्टम का मजाक बनाया गया। एक बैंक खाता केवल एक ही जॉब कार्ड बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है, वह दोबारा से पोर्टल पर अपलोड नहीं होता। इस लिए भ्रष्टाचारियों ने जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की स्कीम से संबंधित ऑफिशियल आई.डी से खातों को फ्रीज किया। खाता फ्रिज होने के बाद दोबारा फिर से उन्हीं खातों पर जॉब कार्ड बनाए गए। इस पूरे घोटाले में संबंधित गांव के मेट सहित तत्कालीन लेखा सहायक मनरेगा, एबीपीओ, बीडीपीओ के अलावा पंचायत तथा इरिगेशन विभाग के जेई और एस.डी.ओ की संलिप्तता बताई जा रही है। 16 ग्राम पंचायतों से 444 जॉब कार्ड किए डिलीट घोटाला करने के बाद कलायत ब्लॉक की लगभग 16 ग्राम पंचायतों के मार्च 2020 से लेकर नवंबर माह तक मनरेगा स्कीम के पोर्टल से 444 जॉब कार्डों को डिलीट किया गया। इनमें एक ही नाम के व्यक्ति के अलग-अलग ग्राम पंचायतों में बने जॉब कार्ड शामिल हैं। ज्यादातर जॉब कार्ड मस्टरोल जारी होने के 10-15 दिन के लिए बनाए थे। जिनमें बिना कार्य किए ही 14 दिनों की मजदूरी दिखाकर उनमें राशि ट्रांसफर की गई। उसके बाद उनको पोर्टल पर डिलीट कर दिया गया सीवन में सिंचाई विभाग के चार जेई हो चुके रिलीव हालांकि इससे पहले सीवन में हुए घोटाले का मामला सामने आते ही हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कड़ी कार्रवाई करते हुए सीवन ब्लॉक की एक एबीपीओ (अतिरिक्त ब्लॉक कार्यक्रम अधिकारी) और सिंचाई विभाग के चार जूनियर इंजीनियरों को तत्काल प्रभाव से रिलीव कर मुख्यालय से अटैच कर दिया है। अब कलायत में मामले की गहन जांच जारी है। कैथल के कलायत में कोरोना काल के दौरान मनरेगा में करीब 3 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया, जिसमें फर्जी जॉब कार्ड बनाकर पैसे निकाले गए। ज्यादातर जॉब कार्ड में एक ही बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किया गया। 16 गांव में 444 फर्जी जॉब कार्ड डिलीट किए गए। घोटाले की राशि हड़पने के बाद उन सभी जॉब कार्ड को 5 से 7 दिन बाद पोर्टल से ही डिलीट कर दिया गया। जो लोग इन गांवों के निवासी भी नहीं थे, उसके नाम से फर्जी जॉब कार्ड पर विभिन्न कार्यों के मस्टरोल निकाले गए। इस घोटाले में ज्यादातर कार्य इरीगेशन डिपार्टमेंट के हुए हैं। जबकि कुछ कार्य पंचायत विभाग द्वारा करवाए गए हैं। चेहतों को बनाया जॉब कार्ड का मुखिया जॉब कार्ड में अलग-अलग मजदूर होने के बावजूद भी उनकी पेमेंट एक ही बैंक खाते में ट्रांसफर की गई। ज्यादातर जॉब कार्डों में मुखिया अपने चेहतों को बनाया। एक जोक कार्ड में 7 से 10 व्यक्तियों को परिवार के सदस्य दिखाए गए। जबकि उन नाम के गावं में ऐसे कोई भी परिवार व उनके सदस्य नहीं रहते। जिला स्तर पर भी हुई नियमों की अनदेखी फर्जी जॉब कार्ड बनाने में केवल ब्लॉक स्तर ही नहीं बल्कि जिला स्तर पर भी सिस्टम का मजाक बनाया गया। एक बैंक खाता केवल एक ही जॉब कार्ड बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है, वह दोबारा से पोर्टल पर अपलोड नहीं होता। इस लिए भ्रष्टाचारियों ने जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की स्कीम से संबंधित ऑफिशियल आई.डी से खातों को फ्रीज किया। खाता फ्रिज होने के बाद दोबारा फिर से उन्हीं खातों पर जॉब कार्ड बनाए गए। इस पूरे घोटाले में संबंधित गांव के मेट सहित तत्कालीन लेखा सहायक मनरेगा, एबीपीओ, बीडीपीओ के अलावा पंचायत तथा इरिगेशन विभाग के जेई और एस.डी.ओ की संलिप्तता बताई जा रही है। 16 ग्राम पंचायतों से 444 जॉब कार्ड किए डिलीट घोटाला करने के बाद कलायत ब्लॉक की लगभग 16 ग्राम पंचायतों के मार्च 2020 से लेकर नवंबर माह तक मनरेगा स्कीम के पोर्टल से 444 जॉब कार्डों को डिलीट किया गया। इनमें एक ही नाम के व्यक्ति के अलग-अलग ग्राम पंचायतों में बने जॉब कार्ड शामिल हैं। ज्यादातर जॉब कार्ड मस्टरोल जारी होने के 10-15 दिन के लिए बनाए थे। जिनमें बिना कार्य किए ही 14 दिनों की मजदूरी दिखाकर उनमें राशि ट्रांसफर की गई। उसके बाद उनको पोर्टल पर डिलीट कर दिया गया सीवन में सिंचाई विभाग के चार जेई हो चुके रिलीव हालांकि इससे पहले सीवन में हुए घोटाले का मामला सामने आते ही हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कड़ी कार्रवाई करते हुए सीवन ब्लॉक की एक एबीपीओ (अतिरिक्त ब्लॉक कार्यक्रम अधिकारी) और सिंचाई विभाग के चार जूनियर इंजीनियरों को तत्काल प्रभाव से रिलीव कर मुख्यालय से अटैच कर दिया है। अब कलायत में मामले की गहन जांच जारी है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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डॉ. अंकित फोगाट ने कहा कि उनकी एक ही मांग है कि सभी कर्मचारियों को नियमित किया जाए। सरकार उन्हें इधर-उधर की बातों में उलझाने का प्रयास ना करे। सरकार ने 2018 में जो बायलॉज दिए थे, वह छीनने का काम कर रही है। कोरोना काल में दोगुना वेतन देने की बात कही थी, लेकिन कर्मचारियों ने अपनी सिंगल सेलरी में काम किया। कोरोना काम में उन्हें सम्मानित किया गया था, लेकिन अब उनकी मांगों को नहीं माना जा रहा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 18 हजार से अधिक एनएचएम के कर्मचारी हैं। अगर सरकार उनकी मांग नहीं मानती है तो आने वाले विधानसभा चुनाव में सबक सिखाने का काम करेंगे। वहीं अगर सरकार मांगों को पूरा करती है तो भाजपा को फिर से जिताने का काम करेंगे। वहीं मांगों को लेकर आगे भी आंदोलन जारी रखेंगे।