पंजाब के मोहाली जिले की ग्राम पंचायत मुद्दो संगतिया की तरफ से एक विवादित प्रस्ताव पास किया गया। इस प्रस्ताव में प्रवासी लोगों को गांव से बाहर निकलने का फरमान सुनाया है। वहीं आगे के लिए भी किसी भी प्रवासी का गांव में कोई भी पहचान पत्र नहीं बनाया जाएगा। किसी भी प्रवासी को गांव में किराए पर कमरा नहीं दिया जाएगा। इस मामले में गांव के लोगों का कहना है कि सुरक्षा के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है। वहीं गांव के सरपंच जसपाल सिंह इस तरह के प्रस्ताव से मना कर रहे हैं। उनका कहना है कि ग्राम पंचायत को भंग हुए 3 महीने हो गए हैं। यह पंचायत का फैसला नहीं है। कुछ लोगों के द्वारा लिया गया फैसला है। जानकारी के मुताबिक गांव में 5 परिवार किराए पर रहे हैं। जिनमें करीब 15 से 20 लोग शामिल हैं। आपराधिक गतिविधियों के कारण लिया फैसला
इस मामले में ग्रामीणों का कहना है कि प्रवासी लोगों के रहने के कारण इलाके में आपराधिक और असामाजिक गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं। इससे आने वाली पीढ़ी पर गलत प्रभाव पड़ रहा है। इसके चलते हुए यह फैसला लिया गया है। गांव में किसको रहना है और किसको नहीं, इसका फैसला करना पंचायत का अधिकार क्षेत्र है। इसी कारण ग्रामीणों ने मिलकर इस तरह का फैसला लिया है। जब पुलिस ने इस मामले में पंचायत से पूछा तो ग्रामीणों के पक्ष में लक्खा सिधाना गांव में पहुंच गए और उन्होंने ग्रामीणों के इस फैसले की सराहना की है। उन्होंने कहा कि पूरे पंजाब में यह लोग आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं। पंजाब की सभी पंचायतों को इस तरह का फैसला लेना चाहिए। मामले की चल रही है जांच
मामले में डीएसपी धर्मवीर सिंह ने कहा कि गांव के मौजूदा सरपंच से बात हुई है। उनका कहना है कि गांव में कोई भी व्यक्ति आकर रह सकता है। इसमें किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। हालांकि पूरा मामला उच्च अधिकारियों के ध्यान में है। अधिकारियों की तरफ से इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में जांच की रिपोर्ट आने के बाद जो भी उचित कार्रवाई होगी, वह की जाएगी। अभी गांव में शांति का माहौल है। किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है। पंजाब के मोहाली जिले की ग्राम पंचायत मुद्दो संगतिया की तरफ से एक विवादित प्रस्ताव पास किया गया। इस प्रस्ताव में प्रवासी लोगों को गांव से बाहर निकलने का फरमान सुनाया है। वहीं आगे के लिए भी किसी भी प्रवासी का गांव में कोई भी पहचान पत्र नहीं बनाया जाएगा। किसी भी प्रवासी को गांव में किराए पर कमरा नहीं दिया जाएगा। इस मामले में गांव के लोगों का कहना है कि सुरक्षा के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है। वहीं गांव के सरपंच जसपाल सिंह इस तरह के प्रस्ताव से मना कर रहे हैं। उनका कहना है कि ग्राम पंचायत को भंग हुए 3 महीने हो गए हैं। यह पंचायत का फैसला नहीं है। कुछ लोगों के द्वारा लिया गया फैसला है। जानकारी के मुताबिक गांव में 5 परिवार किराए पर रहे हैं। जिनमें करीब 15 से 20 लोग शामिल हैं। आपराधिक गतिविधियों के कारण लिया फैसला
इस मामले में ग्रामीणों का कहना है कि प्रवासी लोगों के रहने के कारण इलाके में आपराधिक और असामाजिक गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं। इससे आने वाली पीढ़ी पर गलत प्रभाव पड़ रहा है। इसके चलते हुए यह फैसला लिया गया है। गांव में किसको रहना है और किसको नहीं, इसका फैसला करना पंचायत का अधिकार क्षेत्र है। इसी कारण ग्रामीणों ने मिलकर इस तरह का फैसला लिया है। जब पुलिस ने इस मामले में पंचायत से पूछा तो ग्रामीणों के पक्ष में लक्खा सिधाना गांव में पहुंच गए और उन्होंने ग्रामीणों के इस फैसले की सराहना की है। उन्होंने कहा कि पूरे पंजाब में यह लोग आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं। पंजाब की सभी पंचायतों को इस तरह का फैसला लेना चाहिए। मामले की चल रही है जांच
मामले में डीएसपी धर्मवीर सिंह ने कहा कि गांव के मौजूदा सरपंच से बात हुई है। उनका कहना है कि गांव में कोई भी व्यक्ति आकर रह सकता है। इसमें किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। हालांकि पूरा मामला उच्च अधिकारियों के ध्यान में है। अधिकारियों की तरफ से इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में जांच की रिपोर्ट आने के बाद जो भी उचित कार्रवाई होगी, वह की जाएगी। अभी गांव में शांति का माहौल है। किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है। पंजाब | दैनिक भास्कर