बागपत जिले का सरूरपुर कलां गांव। 20 हजार की आबादी वाले इस गांव में सेना, अर्द्धसैनिक बल और पुलिस में एक हजार से ज्यादा जवान हैं। यही वजह है कि यहां के युवाओं को फौज और पुलिस की वर्दी अपनी तरफ खींचती है। यूपी सिपाही भर्ती परीक्षा में इसी गांव से सबसे ज्यादा 36 युवाओं का सिलेक्शन हुआ है। सरूरपुर कलां गांव में ज्यादातर नौकरीपेशा या फिर किसान रहते हैं। आसपास कई ईंट-भट्ठे हैं। गांव में केवल एक बाजार है। लोगों को जरूरत की चीजों के लिए शहर (बागपत या बड़ौत) नहीं जाना पड़ता। ज्यादातर सामान उन्हें गांव की दुकानों पर ही मिल जाता है। इस गांव की खासियत क्या है, जिससे एक साथ 36 युवा सिपाही बने? तैयारी कैसे की? यह जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम गांव पहुंची। पढ़िए गांव से रिपोर्ट… पहले बात यहां के युवाओं की… सरूरपुर कलां गांव के जो 36 लड़के-लड़कियां यूपी पुलिस में चयनित हुए हैं, हमने उनकी प्रोफाइल की स्टडी की। इसमें कई बातें कॉमन दिखीं। किसी ने भी कोचिंग सेंटर से स्टडी नहीं की। वजह यह कि गांव में एक भी कोचिंग सेंटर नहीं है। न ही कोचिंग सेंटर में फीस देने जैसे उनके आर्थिक हालात हैं। ज्यादातर परिवारों में मां-बाप खेती-किसानी या फिर मजदूरी करते हैं। इन परिवारों में अब से पहले किसी की सरकारी नौकरी नहीं रही। जो 36 सिलेक्ट हुए हैं, उनमें 5 सामान्य वर्ग, 1 SC और बाकी सभी OBC हैं। OBC में भी सभी जाट हैं और ज्यादातर का गोत्र नैन है। इनमें से कुछ नौजवान पढ़ाई का माहौल पाने के लिए गांव की प्राइवेट लाइब्रेरी का सहारा लेते थे। वहां उनको वाई-फाई, एकांत माहौल, ग्रुप स्टडी जैसी सुविधाएं मिल जाती थीं। दौड़ने और अन्य शारीरिक एक्सरसाइज करने के लिए गांव में इंटर कॉलेज का मैदान था। हालांकि इस मैदान की हालत बहुत अच्छी नहीं है, लेकिन उसके अलावा कोई और रास्ता भी नहीं था। बड़ौत-बागपत हाईवे पर दौड़ सकते थे, लेकिन वहां एक्सीडेंट होने का खतरा बहुत ज्यादा था। इसलिए सुबह-शाम के वक्त पुलिस भर्ती की तैयारी करने वाले लड़के-लड़कियां इसी इंटर कॉलेज के मैदान पर दौड़ लगाते थे। बिना बाउंड्री का मैदान, सुबह-शाम यहीं करते थे प्रैक्टिस
हम गांव के बाहर बने इंटर कॉलेज पहुंचे। वहां बिना बाउंड्री का मैदान दिखा। दोपहर का समय था, इसलिए वहां कोई नहीं मिला। युवाओं ने बताया कि सुबह-शाम यहां पर प्रैक्टिस के लिए भीड़ उमड़ती है। एक साथ लड़के-लड़कियां तैयारी करते हैं। ग्रुपों में बंटकर दौड़ लड़ाते हैं। यहां फिजिकल ट्रेनिंग देने वाला कोई नहीं, खुद ही सीखना पड़ता है। गांव के 1 हजार लोग आर्म्ड फोर्स में, इसलिए बढ़ी ललक
सबसे बड़ा सवाल था कि आखिर इस एक गांव के इतने नौजवान यूपी पुलिस में कैसे सिलेक्ट हुए। इसे समझने के लिए हमने अलग-अलग लोगों से बात की। पता चला कि इस गांव के एक हजार से ज्यादा लोग देश की अलग-अलग आर्म्ड फोर्सेज में सेवाएं दे रहे हैं। उन्हें देखकर बाकी नौजवान प्रेरित होते हैं। सुभाष नैन बताते हैं- गांव के लड़कों को पहली प्रायोरिटी फौज में जाने की होती है, फिर पुलिस में। इस बार गांव के करीब 150 लड़कों ने यूपी पुलिस का फॉर्म भरा था। इनमें से 36 सिपाही बने हैं। संसाधन नहीं होने के बावजूद इन नौजवानों ने हमारे गांव का नाम रोशन कर दिया। गांव में कोई कोचिंग नहीं है। सिर्फ 2-3 लाइब्रेरी हैं, जहां जाकर स्टूडेंट्स एकांत में पढ़ाई कर लेते हैं। एकमात्र इंटर कॉलेज का मैदान है, जहां वे एक्सरसाइज करते हैं। अब बात सफल स्टूडेंट्स की… दिन में स्कूल में नौकरी, शाम को पढ़ते थे अर्जुन
बस स्टैंड के पास मुख्य बाजार को जाने वाले रास्ते से हम सीधे एक जर्जर मकान के गेट पर पहुंचे। घर की दीवारों में दरारें दिख रही थीं। घर पर प्लास्टर हुए 50 साल से ज्यादा हो गए होंगे। छज्जे से दिख रहीं लाहौरी ईंटें बता रही थीं कि मकान कितना पुराना है। गेट भी टूटा हुआ था। कई बार दरवाजा खटखटाया तो एक लड़की निकलकर आई। हाथ में डायरी-मोबाइल और कंधे पर बैग देखकर उसने परिचय पूछा और फिर अंदर आने को कहा। यह मकान अर्जुन नैन का है, जो यूपी पुलिस में सिलेक्ट हुए हैं। अर्जुन गांव के ही एक प्राइवेट स्कूल में पिछले करीब डेढ़ साल से 10 हजार रुपए महीना तनख्वाह पर पढ़ा रहे थे। भाई शिवम और पिता हरेंद्र 20 किलोमीटर दूर हरियाणा में एक ऑक्सीजन प्लांट में नौकरी करते हैं। अर्जुन बताते हैं- परिवार की आर्थिक हालत बहुत अच्छी नहीं है। मैं अपने आस-पड़ोस के लोगों को देखता था कि कैसे वो अच्छी-अच्छी नौकरियां कर रहे हैं। उन्हें देखकर मन में सरकारी नौकरी का ख्याल आया और UP पुलिस का फॉर्म भर दिया। मैं सुबह 8 बजे स्कूल जाकर वहां से दोपहर 2 बजे लौटता था। इसके बाद जो कुछ टाइम मिलता था, उसमें पढ़ाई और एक्सरसाइज दोनों करता था। राजमिस्त्री का बेटा नौकरी के आखिरी अटेंप्ट में हुआ पास
अर्जुन के घर के पीछे दूसरी गली में शुभम कुमार का दो कमरों का मकान है। इसमें एक कमरा चाचा और दूसरा कमरा पिता अजयवीर का है। शुभम के पिता अजयवीर राजमिस्त्री हैं और भाई राहुल बड़ौत में प्राइवेट जॉब करता है। शुभम बताते हैं- पिछले 6-7 साल से तैयारी ही कर रहा था। दो बार SSC जीडी का एग्जाम दे चुका हूं। एक बार दिल्ली पुलिस में फिजिकल रह गया था। अब मेरे पास सिर्फ दो अटेंप्ट बचे थे। बस आखिरी मानकर ही मैंने यूपी पुलिस का फॉर्म भर दिया और पूरी शिद्दत से मेहनत की। मैं यही मानकर चल रहा था कि इस बार ये प्रयास आखिरी होगा। इसलिए जितनी मेहनत होगी, उतनी करूंगा। सारी पढ़ाई इंटरनेट या फिर यूट्यूब से की। मैं लगातार कई कंपटीशन में फाइनल में पहुंचकर बाहर हो जाता था। इस बार उन्हीं पॉइंट पर तैयारी ज्यादा की, जो मुझसे मिस हो रहे थे। कोमल ने सिर्फ यूट्यूब से पढ़ाई की
यूपी, दिल्ली और हरियाणा में करीब 10 कंपटीशन एग्जाम दे चुकी कोमल शर्मा ने भी यूपी पुलिस परीक्षा पास कर ली है। कोमल बताती हैं- दिल्ली पुलिस, सीआरपीएफ, चंडीगढ़ पुलिस, हरियाणा पुलिस, एसएससी स्टेनो, यूपीपीसीएल सहित कई एग्जाम दिए। ज्यादातर एग्जाम में फाइनल तक पहुंचकर बाहर निकल गई। पहली बार यूपी पुलिस का एग्जाम दिया और सफलता मिल गई। कोमल के पिता विक्रम शर्मा पंखा-मोटर मिस्त्री हैं। इसके अलावा वो खेतीबाड़ी भी करते हैं। कोमल बताती हैं- पिता ने आज तक बेटा-बेटी का भेदभाव नहीं समझा। उन्होंने कभी मुझसे ये भी नहीं कहा कि तेरी उम्र हो गई है, तू शादी कर ले। बस उनका फोकस मेरी पढ़ाई पर ही रहता है। टीचर बनना चाहती थीं, अब वर्दी पहनेंगी अंजलि
अंजलि टीचर बनना चाहती थीं, लेकिन अब यूपी पुलिस में कॉन्स्टेबल बनने के आखिरी पायदान पर हैं। वो बताती हैं- मैंने बीएड की पढ़ाई कई साल पहले पूरी कर ली। लास्ट 2 साल से यूपीटेट की परीक्षा नहीं हुई। टीचर बनने के लिए और कितना इंतजार करती? इसलिए दूसरे प्रोफेशन में जाने का सोचा। दिल्ली पुलिस और RPF के फॉर्म भरे, लेकिन उनके फाइनल रिजल्ट अभी तक नहीं आए हैं। इसी बीच यूपी पुलिस का भी फॉर्म भर दिया। अंजलि के पिता राजपाल पिछले करीब डेढ़ साल से लकवाग्रस्त हैं। वो हर वक्त आंगन में चारपाई पर ही लेटे रहते हैं। न ठीक से बोल पाते और न ही ठीक से चल सकते है। भाई मनीष बड़ौत में प्राइवेट नौकरी करते हैं। घर में 4 बीघा खेती है। मनीष अपनी नौकरी पूरी करने के बाद खेतीबाड़ी देख पाते हैं। यहां लाइब्रेरी ही एकांत में पढ़ाई का एकमात्र स्थान है
सबसे आखिर में हम इस गांव की सरस्वती लाइब्रेरी पहुंचे, जो बागपत-बड़ौत हाईवे पर है। यहां तैयारी करने वाले करीब 15 लड़के यूपी पुलिस में सिलेक्ट हुए हैं। लाइब्रेरी संचालक प्रदीप नैन बताते हैं- हमारे यहां 50 स्टूडेंट पढ़ाई कर रहे हैं। इसमें से करीब 15 बच्चे पुलिस परीक्षा पास कर गए हैं। इससे पहले भी हमारे यहां से पुलिस में कई बच्चों के सिलेक्शन हुए हैं। यहां सब अपने मोबाइल, किताब या लैपटॉप के जरिए पढ़ाई करते हैं। बेहद जरूरत पड़ने पर ही थोड़ा बहुत डिस्कस करते हैं, ताकि कोई और डिस्टर्ब न हो। यहां उन्हें इंटरनेट की सुविधा भी मिलती है, जिससे ऑनलाइन पढ़ाई कर सकें। मेरठ से हैं यूपी के टॉप-4 स्टूडेंट
यूपी पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा में इस बार 60 हजार 244 पदों के लिए 48 लाख अभ्यर्थियों ने एग्जाम दिया था। इनमें 12 हजार 48 महिलाओं और 48 हजार 196 पुरुषों ने परीक्षा पास की। सिपाही भर्ती के लिए अगस्त, 2024 में लिखित परीक्षा करवाई गई थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के युवाओं का प्रदर्शन अच्छा रहा है। बागपत जिले में सरूरपुर कलां गांव के सबसे ज्यादा 36 लड़के-लड़कियां सिलेक्ट हुए हैं। दूसरे नंबर पर मुजफ्फरनगर का सोरम गांव है, जहां के 21 अभ्यर्थियों ने पुलिस परीक्षा क्लियर की है। इस परीक्षा में पूरे यूपी में चौथे नंबर पर रहे अरविंद गिल मेरठ में गांव बहादुरपुर के रहने वाले हैं। मेरठ के ही सरूरपुर गांव से 14 अभ्यर्थी सिलेक्ट हुए हैं। ————————– ये खबर भी पढ़ें… बहू ने रिटायर्ड अफसर को न्यूड किया, फिर मार डाला, गाजियाबाद में बल्ले से पीटा, चीख सुनाई न दे इसलिए टीवी की आवाज तेज की गाजियाबाद में बहू ने रिटायर्ड अफसर ससुर की पीट-पीटकर हत्या कर दी। 36 साल की बहू ने ससुर को न्यूड करके कमरे में बंद कर दिया। टीवी की आवाज तेज कर दी, फिर मौत होने तक बल्ले से पीटती रही। घर के सेकेंड फ्लोर में रहने वाली किराएदार महिला ने जब कमरे से खून बहते हुए देखा तो पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने कमरे से ससुर का न्यूड शव बरामद किया है। पढ़ें पूरी खबर बागपत जिले का सरूरपुर कलां गांव। 20 हजार की आबादी वाले इस गांव में सेना, अर्द्धसैनिक बल और पुलिस में एक हजार से ज्यादा जवान हैं। यही वजह है कि यहां के युवाओं को फौज और पुलिस की वर्दी अपनी तरफ खींचती है। यूपी सिपाही भर्ती परीक्षा में इसी गांव से सबसे ज्यादा 36 युवाओं का सिलेक्शन हुआ है। सरूरपुर कलां गांव में ज्यादातर नौकरीपेशा या फिर किसान रहते हैं। आसपास कई ईंट-भट्ठे हैं। गांव में केवल एक बाजार है। लोगों को जरूरत की चीजों के लिए शहर (बागपत या बड़ौत) नहीं जाना पड़ता। ज्यादातर सामान उन्हें गांव की दुकानों पर ही मिल जाता है। इस गांव की खासियत क्या है, जिससे एक साथ 36 युवा सिपाही बने? तैयारी कैसे की? यह जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम गांव पहुंची। पढ़िए गांव से रिपोर्ट… पहले बात यहां के युवाओं की… सरूरपुर कलां गांव के जो 36 लड़के-लड़कियां यूपी पुलिस में चयनित हुए हैं, हमने उनकी प्रोफाइल की स्टडी की। इसमें कई बातें कॉमन दिखीं। किसी ने भी कोचिंग सेंटर से स्टडी नहीं की। वजह यह कि गांव में एक भी कोचिंग सेंटर नहीं है। न ही कोचिंग सेंटर में फीस देने जैसे उनके आर्थिक हालात हैं। ज्यादातर परिवारों में मां-बाप खेती-किसानी या फिर मजदूरी करते हैं। इन परिवारों में अब से पहले किसी की सरकारी नौकरी नहीं रही। जो 36 सिलेक्ट हुए हैं, उनमें 5 सामान्य वर्ग, 1 SC और बाकी सभी OBC हैं। OBC में भी सभी जाट हैं और ज्यादातर का गोत्र नैन है। इनमें से कुछ नौजवान पढ़ाई का माहौल पाने के लिए गांव की प्राइवेट लाइब्रेरी का सहारा लेते थे। वहां उनको वाई-फाई, एकांत माहौल, ग्रुप स्टडी जैसी सुविधाएं मिल जाती थीं। दौड़ने और अन्य शारीरिक एक्सरसाइज करने के लिए गांव में इंटर कॉलेज का मैदान था। हालांकि इस मैदान की हालत बहुत अच्छी नहीं है, लेकिन उसके अलावा कोई और रास्ता भी नहीं था। बड़ौत-बागपत हाईवे पर दौड़ सकते थे, लेकिन वहां एक्सीडेंट होने का खतरा बहुत ज्यादा था। इसलिए सुबह-शाम के वक्त पुलिस भर्ती की तैयारी करने वाले लड़के-लड़कियां इसी इंटर कॉलेज के मैदान पर दौड़ लगाते थे। बिना बाउंड्री का मैदान, सुबह-शाम यहीं करते थे प्रैक्टिस
हम गांव के बाहर बने इंटर कॉलेज पहुंचे। वहां बिना बाउंड्री का मैदान दिखा। दोपहर का समय था, इसलिए वहां कोई नहीं मिला। युवाओं ने बताया कि सुबह-शाम यहां पर प्रैक्टिस के लिए भीड़ उमड़ती है। एक साथ लड़के-लड़कियां तैयारी करते हैं। ग्रुपों में बंटकर दौड़ लड़ाते हैं। यहां फिजिकल ट्रेनिंग देने वाला कोई नहीं, खुद ही सीखना पड़ता है। गांव के 1 हजार लोग आर्म्ड फोर्स में, इसलिए बढ़ी ललक
सबसे बड़ा सवाल था कि आखिर इस एक गांव के इतने नौजवान यूपी पुलिस में कैसे सिलेक्ट हुए। इसे समझने के लिए हमने अलग-अलग लोगों से बात की। पता चला कि इस गांव के एक हजार से ज्यादा लोग देश की अलग-अलग आर्म्ड फोर्सेज में सेवाएं दे रहे हैं। उन्हें देखकर बाकी नौजवान प्रेरित होते हैं। सुभाष नैन बताते हैं- गांव के लड़कों को पहली प्रायोरिटी फौज में जाने की होती है, फिर पुलिस में। इस बार गांव के करीब 150 लड़कों ने यूपी पुलिस का फॉर्म भरा था। इनमें से 36 सिपाही बने हैं। संसाधन नहीं होने के बावजूद इन नौजवानों ने हमारे गांव का नाम रोशन कर दिया। गांव में कोई कोचिंग नहीं है। सिर्फ 2-3 लाइब्रेरी हैं, जहां जाकर स्टूडेंट्स एकांत में पढ़ाई कर लेते हैं। एकमात्र इंटर कॉलेज का मैदान है, जहां वे एक्सरसाइज करते हैं। अब बात सफल स्टूडेंट्स की… दिन में स्कूल में नौकरी, शाम को पढ़ते थे अर्जुन
बस स्टैंड के पास मुख्य बाजार को जाने वाले रास्ते से हम सीधे एक जर्जर मकान के गेट पर पहुंचे। घर की दीवारों में दरारें दिख रही थीं। घर पर प्लास्टर हुए 50 साल से ज्यादा हो गए होंगे। छज्जे से दिख रहीं लाहौरी ईंटें बता रही थीं कि मकान कितना पुराना है। गेट भी टूटा हुआ था। कई बार दरवाजा खटखटाया तो एक लड़की निकलकर आई। हाथ में डायरी-मोबाइल और कंधे पर बैग देखकर उसने परिचय पूछा और फिर अंदर आने को कहा। यह मकान अर्जुन नैन का है, जो यूपी पुलिस में सिलेक्ट हुए हैं। अर्जुन गांव के ही एक प्राइवेट स्कूल में पिछले करीब डेढ़ साल से 10 हजार रुपए महीना तनख्वाह पर पढ़ा रहे थे। भाई शिवम और पिता हरेंद्र 20 किलोमीटर दूर हरियाणा में एक ऑक्सीजन प्लांट में नौकरी करते हैं। अर्जुन बताते हैं- परिवार की आर्थिक हालत बहुत अच्छी नहीं है। मैं अपने आस-पड़ोस के लोगों को देखता था कि कैसे वो अच्छी-अच्छी नौकरियां कर रहे हैं। उन्हें देखकर मन में सरकारी नौकरी का ख्याल आया और UP पुलिस का फॉर्म भर दिया। मैं सुबह 8 बजे स्कूल जाकर वहां से दोपहर 2 बजे लौटता था। इसके बाद जो कुछ टाइम मिलता था, उसमें पढ़ाई और एक्सरसाइज दोनों करता था। राजमिस्त्री का बेटा नौकरी के आखिरी अटेंप्ट में हुआ पास
अर्जुन के घर के पीछे दूसरी गली में शुभम कुमार का दो कमरों का मकान है। इसमें एक कमरा चाचा और दूसरा कमरा पिता अजयवीर का है। शुभम के पिता अजयवीर राजमिस्त्री हैं और भाई राहुल बड़ौत में प्राइवेट जॉब करता है। शुभम बताते हैं- पिछले 6-7 साल से तैयारी ही कर रहा था। दो बार SSC जीडी का एग्जाम दे चुका हूं। एक बार दिल्ली पुलिस में फिजिकल रह गया था। अब मेरे पास सिर्फ दो अटेंप्ट बचे थे। बस आखिरी मानकर ही मैंने यूपी पुलिस का फॉर्म भर दिया और पूरी शिद्दत से मेहनत की। मैं यही मानकर चल रहा था कि इस बार ये प्रयास आखिरी होगा। इसलिए जितनी मेहनत होगी, उतनी करूंगा। सारी पढ़ाई इंटरनेट या फिर यूट्यूब से की। मैं लगातार कई कंपटीशन में फाइनल में पहुंचकर बाहर हो जाता था। इस बार उन्हीं पॉइंट पर तैयारी ज्यादा की, जो मुझसे मिस हो रहे थे। कोमल ने सिर्फ यूट्यूब से पढ़ाई की
यूपी, दिल्ली और हरियाणा में करीब 10 कंपटीशन एग्जाम दे चुकी कोमल शर्मा ने भी यूपी पुलिस परीक्षा पास कर ली है। कोमल बताती हैं- दिल्ली पुलिस, सीआरपीएफ, चंडीगढ़ पुलिस, हरियाणा पुलिस, एसएससी स्टेनो, यूपीपीसीएल सहित कई एग्जाम दिए। ज्यादातर एग्जाम में फाइनल तक पहुंचकर बाहर निकल गई। पहली बार यूपी पुलिस का एग्जाम दिया और सफलता मिल गई। कोमल के पिता विक्रम शर्मा पंखा-मोटर मिस्त्री हैं। इसके अलावा वो खेतीबाड़ी भी करते हैं। कोमल बताती हैं- पिता ने आज तक बेटा-बेटी का भेदभाव नहीं समझा। उन्होंने कभी मुझसे ये भी नहीं कहा कि तेरी उम्र हो गई है, तू शादी कर ले। बस उनका फोकस मेरी पढ़ाई पर ही रहता है। टीचर बनना चाहती थीं, अब वर्दी पहनेंगी अंजलि
अंजलि टीचर बनना चाहती थीं, लेकिन अब यूपी पुलिस में कॉन्स्टेबल बनने के आखिरी पायदान पर हैं। वो बताती हैं- मैंने बीएड की पढ़ाई कई साल पहले पूरी कर ली। लास्ट 2 साल से यूपीटेट की परीक्षा नहीं हुई। टीचर बनने के लिए और कितना इंतजार करती? इसलिए दूसरे प्रोफेशन में जाने का सोचा। दिल्ली पुलिस और RPF के फॉर्म भरे, लेकिन उनके फाइनल रिजल्ट अभी तक नहीं आए हैं। इसी बीच यूपी पुलिस का भी फॉर्म भर दिया। अंजलि के पिता राजपाल पिछले करीब डेढ़ साल से लकवाग्रस्त हैं। वो हर वक्त आंगन में चारपाई पर ही लेटे रहते हैं। न ठीक से बोल पाते और न ही ठीक से चल सकते है। भाई मनीष बड़ौत में प्राइवेट नौकरी करते हैं। घर में 4 बीघा खेती है। मनीष अपनी नौकरी पूरी करने के बाद खेतीबाड़ी देख पाते हैं। यहां लाइब्रेरी ही एकांत में पढ़ाई का एकमात्र स्थान है
सबसे आखिर में हम इस गांव की सरस्वती लाइब्रेरी पहुंचे, जो बागपत-बड़ौत हाईवे पर है। यहां तैयारी करने वाले करीब 15 लड़के यूपी पुलिस में सिलेक्ट हुए हैं। लाइब्रेरी संचालक प्रदीप नैन बताते हैं- हमारे यहां 50 स्टूडेंट पढ़ाई कर रहे हैं। इसमें से करीब 15 बच्चे पुलिस परीक्षा पास कर गए हैं। इससे पहले भी हमारे यहां से पुलिस में कई बच्चों के सिलेक्शन हुए हैं। यहां सब अपने मोबाइल, किताब या लैपटॉप के जरिए पढ़ाई करते हैं। बेहद जरूरत पड़ने पर ही थोड़ा बहुत डिस्कस करते हैं, ताकि कोई और डिस्टर्ब न हो। यहां उन्हें इंटरनेट की सुविधा भी मिलती है, जिससे ऑनलाइन पढ़ाई कर सकें। मेरठ से हैं यूपी के टॉप-4 स्टूडेंट
यूपी पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा में इस बार 60 हजार 244 पदों के लिए 48 लाख अभ्यर्थियों ने एग्जाम दिया था। इनमें 12 हजार 48 महिलाओं और 48 हजार 196 पुरुषों ने परीक्षा पास की। सिपाही भर्ती के लिए अगस्त, 2024 में लिखित परीक्षा करवाई गई थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के युवाओं का प्रदर्शन अच्छा रहा है। बागपत जिले में सरूरपुर कलां गांव के सबसे ज्यादा 36 लड़के-लड़कियां सिलेक्ट हुए हैं। दूसरे नंबर पर मुजफ्फरनगर का सोरम गांव है, जहां के 21 अभ्यर्थियों ने पुलिस परीक्षा क्लियर की है। इस परीक्षा में पूरे यूपी में चौथे नंबर पर रहे अरविंद गिल मेरठ में गांव बहादुरपुर के रहने वाले हैं। मेरठ के ही सरूरपुर गांव से 14 अभ्यर्थी सिलेक्ट हुए हैं। ————————– ये खबर भी पढ़ें… बहू ने रिटायर्ड अफसर को न्यूड किया, फिर मार डाला, गाजियाबाद में बल्ले से पीटा, चीख सुनाई न दे इसलिए टीवी की आवाज तेज की गाजियाबाद में बहू ने रिटायर्ड अफसर ससुर की पीट-पीटकर हत्या कर दी। 36 साल की बहू ने ससुर को न्यूड करके कमरे में बंद कर दिया। टीवी की आवाज तेज कर दी, फिर मौत होने तक बल्ले से पीटती रही। घर के सेकेंड फ्लोर में रहने वाली किराएदार महिला ने जब कमरे से खून बहते हुए देखा तो पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने कमरे से ससुर का न्यूड शव बरामद किया है। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
यूपी का यह अनूठा गांव, एक साथ 36 सिपाही दिए:कोई कोचिंग नहीं, गांव के मैदान पर दौड़े; सेल्फ स्टडी से झंडे गाड़े
