जालंधर में नकोदर के पुराने मोहल्ले और ओल्ड जीटी रोड के किनारे खेतों में कोस मीनार खड़े हैं। सूरी साम्राज्य के संस्थापक शेर शाह सूरी ने ये कोस मीनार बनवाए थे। हर मीनार पर घुड़सवार मौजूद था जो अगली मीनार पर तैनात घुड़सवार को शाही डाक देता था। इस तरह यह डाक पेशावर तक बांटी जाती थी। लगभग 20 से 25 किलोमीटर बाद घोड़े बदल जाते थे। एक अनुमान है कि 24 घंटे में लगभग 250 किमी तक का सफर कर लिया जाता था। जालंधर में 12, लुधियाना में 6 कोस मीनार: शेर शाह सूरी ने 1540 में हुमायूं को हराकर सूरी शासन की नींव रखी थी। उन्होंने ओल्ड जीटी रोड का निर्माण कराया था। इसके किनारे हर कोस पर मीनार बनवाई। लाला लाजपत राय डीएवी कालेज जगरावां के हिस्ट्री के प्रोफेसर कुनाल मेहता बताते हैं कि पंजाब से रवाना यह डाक पेशावर तक जाती थी। ये कोस मीनार आज भी मौजूद हैं। ये मीनारें दिशासूचक भी थीं। हरेक मीनार को पुरातत्व विभाग ने अपने कोड दे रखे हैं और इनके संरक्षण का नोटिफिकेशन है। पंजाब में लुधियाना जिले में 6 कोस मीनार हैं। जबकि जालंधर में 12 जगह पर मीनारें खड़ी हैं। खेतों में खड़ी मीनार के पास जब फसलों की कटाई होती है तो इनका खास ख्याल रखा जाता है। यह है पोस्टल डे मनाने का मकसद : यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन के गठन के लिए 9 अक्टूबर 1874 को स्विटजरलैंड में 22 देशों ने एक संधि की थी। इसके बाद हर साल 9 अक्तूबर को पोस्टल डे मनाया जाने लगा। इसको मनाने का मुख्य उद्देश्य है ग्राहकों को डाक विभाग के बारे में जानकारी देना, उन्हें जागरूक करना और डाकघरों के बीच सामंजस्य को स्थापित करना है। जालंधर में कहां: चीमा कलां में एक, दक्खणी में 3, जहांगीर में 1, नगर में 1, नकोदर में 2, नूरमहल में 1, टुटकलां में 1, उप्पल में 1, वीर पिंड में 1 कोस मीनार है। हरकारे भी थे: जालंधर में नार्दर्न फिलाटैलिक सोसायटी के राजीव कोहली बताते हैं कि कभी दौड़कर भी लोग डाक डिलीवरी देते थे। उन्हें हरकारे कहा जाता था। हर हरकारा 5 किलोमीटर तक का सफर करता था। वह भी कोस मीनार सिस्टम की तरह अगले हरकारे को पत्र सौंप देता था। जालंधर में नकोदर के पुराने मोहल्ले और ओल्ड जीटी रोड के किनारे खेतों में कोस मीनार खड़े हैं। सूरी साम्राज्य के संस्थापक शेर शाह सूरी ने ये कोस मीनार बनवाए थे। हर मीनार पर घुड़सवार मौजूद था जो अगली मीनार पर तैनात घुड़सवार को शाही डाक देता था। इस तरह यह डाक पेशावर तक बांटी जाती थी। लगभग 20 से 25 किलोमीटर बाद घोड़े बदल जाते थे। एक अनुमान है कि 24 घंटे में लगभग 250 किमी तक का सफर कर लिया जाता था। जालंधर में 12, लुधियाना में 6 कोस मीनार: शेर शाह सूरी ने 1540 में हुमायूं को हराकर सूरी शासन की नींव रखी थी। उन्होंने ओल्ड जीटी रोड का निर्माण कराया था। इसके किनारे हर कोस पर मीनार बनवाई। लाला लाजपत राय डीएवी कालेज जगरावां के हिस्ट्री के प्रोफेसर कुनाल मेहता बताते हैं कि पंजाब से रवाना यह डाक पेशावर तक जाती थी। ये कोस मीनार आज भी मौजूद हैं। ये मीनारें दिशासूचक भी थीं। हरेक मीनार को पुरातत्व विभाग ने अपने कोड दे रखे हैं और इनके संरक्षण का नोटिफिकेशन है। पंजाब में लुधियाना जिले में 6 कोस मीनार हैं। जबकि जालंधर में 12 जगह पर मीनारें खड़ी हैं। खेतों में खड़ी मीनार के पास जब फसलों की कटाई होती है तो इनका खास ख्याल रखा जाता है। यह है पोस्टल डे मनाने का मकसद : यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन के गठन के लिए 9 अक्टूबर 1874 को स्विटजरलैंड में 22 देशों ने एक संधि की थी। इसके बाद हर साल 9 अक्तूबर को पोस्टल डे मनाया जाने लगा। इसको मनाने का मुख्य उद्देश्य है ग्राहकों को डाक विभाग के बारे में जानकारी देना, उन्हें जागरूक करना और डाकघरों के बीच सामंजस्य को स्थापित करना है। जालंधर में कहां: चीमा कलां में एक, दक्खणी में 3, जहांगीर में 1, नगर में 1, नकोदर में 2, नूरमहल में 1, टुटकलां में 1, उप्पल में 1, वीर पिंड में 1 कोस मीनार है। हरकारे भी थे: जालंधर में नार्दर्न फिलाटैलिक सोसायटी के राजीव कोहली बताते हैं कि कभी दौड़कर भी लोग डाक डिलीवरी देते थे। उन्हें हरकारे कहा जाता था। हर हरकारा 5 किलोमीटर तक का सफर करता था। वह भी कोस मीनार सिस्टम की तरह अगले हरकारे को पत्र सौंप देता था। पंजाब | दैनिक भास्कर
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संगरूर में महिला ने फांसी लगाकर की आत्महत्या:सुसाइड से पहले फोन पर भाई से की बात; ससुरालियों पर परेशान करने का आरोप संगरूर जिले की आनंदपुर बस्ती में 2 बच्चों की मां ने अपने ससुराल परिवार से परेशान होकर पंखे से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने मृतक की सास, जेठ, जिठानी, ननंद और भतीजी के खिलाफ मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। इस संबंध में मृतक किरना के भाई सिकंदर सिंह निवासी चकेरिया (मानसा) ने पुलिस को बयान दर्ज कराया कि 12 वर्ष पहले उसकी बहन की शादी रीति रिवाज के साथ बलविंदर सिंह के साथ हुई थी। शिकायतकर्ता भाई ने बताया कि उसकी बहन के एक लड़का (9) व एक लड़की (11) हैं। ससुराल परिवार से सरबजीत कौर (सास), टीनू सिंह (जेठ), चरणजीत कौर (जेठानी), परमजीत कौर (ननंद) और अंकू ने किरना से झगड़ करते रहते थे और उसे प्रताड़ित करते रहते हैं। फांसी लगाने से पहले भाई से की बात सिकंदर सिंह नेबताया कि बहन किरना ने फंदा लगाने से पहले बड़ी बहन शिंदर कौर जोकि गांव रईया में रहती है, को फोन पर बताया कि ससुराल परिवार उसके साथ कलह और मारपीट कर रहा है, जिसकी आवाज बड़ी बहन ने भी सुनी। इसके बाद मृतका के पति बलविंदर सिंह ने ससुराल में फोन कर बताया कि किरना रानी ने फंदा लगा लिया है, आप जल्दी आ जाओ। इसी बीच जब भाई गांव के बुजुर्ग, मां, मौसी के बेटे व अन्य लोगों के साथ पहुंचा तो देखा कि बहन किरना बिस्तर पर मृत पड़ी थी। जब आसपास से पता चला कि उक्त ससुराल परिवार की प्रताड़ना से तंग आकर किरना ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली है। इसकी सूचना पुलिस चौकी तपा को दी गई। पुलिस ने परिजनों को सौंपा शव इस सबंधी पुलिस प्रमुख संदीप सिंह, चौकी प्रभारी करमजीत सिंह के नेतृत्व में पुलिस पार्टी मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर शवगृह कक्ष बरनाला में भेज दिया। पुलिस ने मृतक के भाई सिकंदर सिंह के बयान पर मौत का मामला दर्ज कर शव का पोस्टमॉर्टम कराकर मायका परिवार को सौंप दिया है।
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