हरियाणा की सांसद कुमारी सैलजा के निजी स्कूलों की फीस और किताबों के नाम पर चल रही अवैध वसूली के मुद्दे पर CM सैनी सरकार को घेरने के बाद शिक्षा विभाग हरकत में आ गया है।शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी निजी स्कूलों के लिए एडवाइजरी जारी की है। हालांकि यह एडवाइजरी पुरानी है, लेकिन इस बार प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबें खरीदने का दबाव न बनाने और स्कूलों में कक्षा वार स्कूल बैग के वजन के नियम का पालन करने की सख्त हिदायत दी गई है। इसके अलावा सभी जिलों के शिक्षा अधिकारियों से कहा गया है कि एक ईमेल आईडी और टेलीफोन नंबर भी जारी किया जाए, ताकि अभिभावक अपनी शिकायत दर्ज करा सके। खुद भी स्कूलों का निरीक्षण कर यह पता करें कि कहीं भी नियमों को उल्लंघन तो नहीं हो रहा। की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी शीघ्र विभाग को सौंपनी होगी। बता दें कि तीन दिन पहले ही सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने हरियाणा की बीजेपी सरकार को संज्ञान लेने और निजी स्कूलों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे। कहा था कि निजी स्कूल संचालक दोनों हाथों से अभिभावकों को सरेआम लूट रहे हैं। उलटा सरकार है कि हाथ पर हाथ रखकर तमाशा देख रही है। ऐसा लग रहा है कि सरकार ने निजी स्कूलों को लूटने का ठेका दिया हुआ है। अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य की खातिर चुप्पी साध जाते हैं। अब जानिए हरियाणा शिक्षा विभाग ने क्या निर्देश जारी किए… एनसीईआरटी और सीबीएसई की किताबें अनिवार्य
सामने आया है कि कई स्कूलों द्वारा प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबें खरीदने का दबाव बनाया जा रहा है, जो कि आरटीई एक्ट और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विरुद्ध है। शिक्षा विभाग की ओर से जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि स्कूलों को केवल एनसीईआरटी या सीबीएसई से मान्यता प्राप्त पुस्तकों को ही अनिवार्य बनाना चाहिए। इसके अलावा स्कूलों द्वारा ऐसी पुस्तकें, जो न तो जरूरी हैं और न ही नीति के अनुरूप, उन्हें भी रोका जाए। यूनिफॉर्म में न हो बार-बार बदलाव
देखने में आया है कि कई स्कूलों द्वारा हर वर्ष यूनिफॉर्म में बदलाव कर दिया जाता है। इसमें विशेष लोगो वाले कपड़े केवल निश्चित दुकानों से खरीदने का दबाव बनाया जाता है। इससे अभिभावकों पर स्कूल की फीस और किताबों आदि की खरीद के अलावा अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है। ऐसे में विभाग ने इसे अनुचित व्यापारिक गतिविधि मानते हुए स्पष्ट किया है कि यूनिफॉर्म में बार-बार बदलाव न किया जाए। माता-पिता को अधिकृत विक्रेताओं से ही खरीदने के लिए मजबूर न किया जाए। पुरानी किताबों के इस्तेमाल के लिए किया जाए प्रोत्साहित
हर बार स्कूल की ओर से कुछ किताबों में मामूली बदलाव कर दिया जाता है। इससे अभिभावकों को नए सिरे से सिलेबस खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इससे भी माता-पिता की जेब ढीली होती है। इसी को देखते हुए आदेश में कहा गया है कि छात्रों को पुरानी किताबें उपयोग करने से हतोत्साहित नहीं करना चाहिए। पुराने किताबों का उपयोग पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी लाभकारी है। इससे छात्रों और अभिभावकों की आर्थिक स्थिति पर भी सकारात्मक असर पड़ता है। नहीं किया जा सकता अपनी बोतल में पानी लाने के लिए मजबूर
कुछ स्कूलों में छात्रों को केवल अपनी बोतल से पानी पीने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि नियमों के अनुसार हर स्कूल में शुद्ध पेयजल की उपलब्धता अनिवार्य है। बच्चों को स्कूल के अंदर पानी पीने से वंचित रखना नियमों के खिलाफ है। ऐसा करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कक्षा 1 से 2 के बच्चे का बैग डेढ़ किलो से ज्यादा भारी न हो ज्यादातर देखने में आया है कि छोटे-छोटे स्कूली बच्चे भी भारी भरकम बैग ले जाते है। बचपन के लिहाज से यह उनकी सेहत के लिए नुकसानदायक है। भारी बैग उठाने से गर्दन और कंधे में दर्द की शिकायत हो जाती है। कंधों में खिंचाव की समस्या भी आने लगती है। शुरूआत में यह समस्या नहीं दिखती, मगर बड़े होने के साथ ही पीड़ादायक दर्द में बदल जात है। ऐसे में स्कूली बैग के वजन के मानदंडों का पालन भी आवश्यक बताया गया है। स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि छात्र निर्धारित सीमा से अधिक वजन के बैग न उठाएं। गाइडलाइन के अनुसार अलग-अलग कक्षा के विद्यार्थियों के लिए बैग्स का वजन निर्धारित किया गया है। शिक्षा को व्यवसाय नहीं बनाएं, विभाग की सख्त चेतावनी इसके अलावा आदेश में कहा गया है कि शिक्षा एक सेवा का क्षेत्र है, फायदा के लिए नहीं होना चाहिए। अधिकतर निजी स्कूल गैर-लाभकारी संस्थाओं के रूप में पंजीकृत हैं और उन्हें उसी भावना से कार्य करना चाहिए। विभाग ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि शिक्षा को मुनाफे का जरिया बनाने वाली प्रवृत्तियों पर रोक लगाई जाएगी। सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे नियमित रूप से स्कूलों का निरीक्षण करें और नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर तत्काल आवश्यक कदम उठाएं। हरियाणा की सांसद कुमारी सैलजा के निजी स्कूलों की फीस और किताबों के नाम पर चल रही अवैध वसूली के मुद्दे पर CM सैनी सरकार को घेरने के बाद शिक्षा विभाग हरकत में आ गया है।शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी निजी स्कूलों के लिए एडवाइजरी जारी की है। हालांकि यह एडवाइजरी पुरानी है, लेकिन इस बार प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबें खरीदने का दबाव न बनाने और स्कूलों में कक्षा वार स्कूल बैग के वजन के नियम का पालन करने की सख्त हिदायत दी गई है। इसके अलावा सभी जिलों के शिक्षा अधिकारियों से कहा गया है कि एक ईमेल आईडी और टेलीफोन नंबर भी जारी किया जाए, ताकि अभिभावक अपनी शिकायत दर्ज करा सके। खुद भी स्कूलों का निरीक्षण कर यह पता करें कि कहीं भी नियमों को उल्लंघन तो नहीं हो रहा। की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी शीघ्र विभाग को सौंपनी होगी। बता दें कि तीन दिन पहले ही सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने हरियाणा की बीजेपी सरकार को संज्ञान लेने और निजी स्कूलों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे। कहा था कि निजी स्कूल संचालक दोनों हाथों से अभिभावकों को सरेआम लूट रहे हैं। उलटा सरकार है कि हाथ पर हाथ रखकर तमाशा देख रही है। ऐसा लग रहा है कि सरकार ने निजी स्कूलों को लूटने का ठेका दिया हुआ है। अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य की खातिर चुप्पी साध जाते हैं। अब जानिए हरियाणा शिक्षा विभाग ने क्या निर्देश जारी किए… एनसीईआरटी और सीबीएसई की किताबें अनिवार्य
सामने आया है कि कई स्कूलों द्वारा प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबें खरीदने का दबाव बनाया जा रहा है, जो कि आरटीई एक्ट और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विरुद्ध है। शिक्षा विभाग की ओर से जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि स्कूलों को केवल एनसीईआरटी या सीबीएसई से मान्यता प्राप्त पुस्तकों को ही अनिवार्य बनाना चाहिए। इसके अलावा स्कूलों द्वारा ऐसी पुस्तकें, जो न तो जरूरी हैं और न ही नीति के अनुरूप, उन्हें भी रोका जाए। यूनिफॉर्म में न हो बार-बार बदलाव
देखने में आया है कि कई स्कूलों द्वारा हर वर्ष यूनिफॉर्म में बदलाव कर दिया जाता है। इसमें विशेष लोगो वाले कपड़े केवल निश्चित दुकानों से खरीदने का दबाव बनाया जाता है। इससे अभिभावकों पर स्कूल की फीस और किताबों आदि की खरीद के अलावा अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है। ऐसे में विभाग ने इसे अनुचित व्यापारिक गतिविधि मानते हुए स्पष्ट किया है कि यूनिफॉर्म में बार-बार बदलाव न किया जाए। माता-पिता को अधिकृत विक्रेताओं से ही खरीदने के लिए मजबूर न किया जाए। पुरानी किताबों के इस्तेमाल के लिए किया जाए प्रोत्साहित
हर बार स्कूल की ओर से कुछ किताबों में मामूली बदलाव कर दिया जाता है। इससे अभिभावकों को नए सिरे से सिलेबस खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इससे भी माता-पिता की जेब ढीली होती है। इसी को देखते हुए आदेश में कहा गया है कि छात्रों को पुरानी किताबें उपयोग करने से हतोत्साहित नहीं करना चाहिए। पुराने किताबों का उपयोग पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी लाभकारी है। इससे छात्रों और अभिभावकों की आर्थिक स्थिति पर भी सकारात्मक असर पड़ता है। नहीं किया जा सकता अपनी बोतल में पानी लाने के लिए मजबूर
कुछ स्कूलों में छात्रों को केवल अपनी बोतल से पानी पीने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि नियमों के अनुसार हर स्कूल में शुद्ध पेयजल की उपलब्धता अनिवार्य है। बच्चों को स्कूल के अंदर पानी पीने से वंचित रखना नियमों के खिलाफ है। ऐसा करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कक्षा 1 से 2 के बच्चे का बैग डेढ़ किलो से ज्यादा भारी न हो ज्यादातर देखने में आया है कि छोटे-छोटे स्कूली बच्चे भी भारी भरकम बैग ले जाते है। बचपन के लिहाज से यह उनकी सेहत के लिए नुकसानदायक है। भारी बैग उठाने से गर्दन और कंधे में दर्द की शिकायत हो जाती है। कंधों में खिंचाव की समस्या भी आने लगती है। शुरूआत में यह समस्या नहीं दिखती, मगर बड़े होने के साथ ही पीड़ादायक दर्द में बदल जात है। ऐसे में स्कूली बैग के वजन के मानदंडों का पालन भी आवश्यक बताया गया है। स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि छात्र निर्धारित सीमा से अधिक वजन के बैग न उठाएं। गाइडलाइन के अनुसार अलग-अलग कक्षा के विद्यार्थियों के लिए बैग्स का वजन निर्धारित किया गया है। शिक्षा को व्यवसाय नहीं बनाएं, विभाग की सख्त चेतावनी इसके अलावा आदेश में कहा गया है कि शिक्षा एक सेवा का क्षेत्र है, फायदा के लिए नहीं होना चाहिए। अधिकतर निजी स्कूल गैर-लाभकारी संस्थाओं के रूप में पंजीकृत हैं और उन्हें उसी भावना से कार्य करना चाहिए। विभाग ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि शिक्षा को मुनाफे का जरिया बनाने वाली प्रवृत्तियों पर रोक लगाई जाएगी। सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे नियमित रूप से स्कूलों का निरीक्षण करें और नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर तत्काल आवश्यक कदम उठाएं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
