लखनऊ में बाघ का ड्रोन और हथनी से पीछा:30 मिनट तक चला ऑपरेशन, 6 ट्रेंकुलाइज शॉट लगते ही आधा किमी भागा
लखनऊ में बाघ का ड्रोन और हथनी से पीछा:30 मिनट तक चला ऑपरेशन, 6 ट्रेंकुलाइज शॉट लगते ही आधा किमी भागा लखनऊ में 90 दिन की दहशत और 25 शिकार करने के बाद बाघ पकड़ा गया। इस ऑपरेशन में 80 लाख रुपए खर्च हुए। 100 से ज्यादा वन अधिकारियों और कर्मचारियों ने दिन रात मेहनत की। लेकिन बाघ ने इन्हें तीन महीने तक खूब छकाया। बुधवार रात को बाघ को ट्रेंकुलाइज कर लिया गया। थर्मल ड्रोन से पीछा करने के बाद बाघ को 6 ट्रेंकुलाइजर डाेज दी गई। यह पूरा ऑपरेशन करीब 30 मिनट तक चला, इसके बाद बाघ बेहोश हुआ। ट्रेंकुलाइज करने के बाद बाघ करीब आधे किमी भागा, इससे वनकर्मी डर गए थे। बाघ को ट्रेंकुलाइज करने वाली टीम को डॉ. नासिर (कानपुर जू) और डॉ. दक्ष (दुधवा टाइगर रिजर्व) ने लीड किया। अब 24 घंटे तक बाघ का इलाज होगा। उसके बाद विशेषज्ञों की सलाह पर उसे पीलीभीत या दुधवा टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा। पहले बाघ के ट्रंकुलाइज किए जाने की देखें तस्वीरें… हथनी पर सवार थी टीम, फिर दागी ट्रैंकुलाइजर गन बुधवार शाम करीब 6 बजे मीठेपुर इलाके में बाघ की हलचल से हड़कंप मच गया। वन विभाग को जैसे ही अलर्ट मिला, डॉक्टर की टीम हरकत में आ गई। बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के लिए डॉ. दक्ष (सुलोचना हथनी पर सवार) ने दो डार्ट दागे, लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ। इसके बाद डॉ. नासिर (डायना हथनी पर सवार) ने तीन डार्ट मारे, लेकिन वो भी निशाने से चूक गए। बाघ भागने की फिराक में था, तभी छठवीं डार्ट सटीक जा लगी। मगर बाघ इतनी जल्दी हार मानने वाला नहीं था। टीम ने थर्मल ड्रोन से किया पीछा
जैसे ही दवा असर करने लगी, बाघ 600 मीटर तक जंगल में दौड़ पड़ा। टीम ने थर्मल ड्रोन से उसका पीछा किया और हथनी पर बैठकर बाघ के पीछे जंगल में उतर गई। बाघ को भागता देख, एक और ट्रेंकुलाइजर शॉट दागा गया, जिसने उसे आखिरकार बेहोश कर दिया। 30 मिनट के इस हाई-एक्शन ऑपरेशन के बाद वन विभाग की टीम ने राहत की सांस ली। बाघ अब पूरी तरह सुरक्षित है। विशेषज्ञों की देखरेख में उसका इलाज जारी है। अगले 24 घंटे में, जब ट्रेंकुलाइजर का असर खत्म होगा, तब उसे पीलीभीत या दुधवा के जंगलों में छोड़ा जाएगा। 90 दिन में 25 शिकार, गांवों में खुशी लखनऊ के रहमानखेड़ा और आसपास के गांवों में 90 दिन बाद स्कूल की घंटियां फिर बजेंगी, बच्चे बेखौफ होकर पढ़ने जाएंगे। 2 दिसंबर से मार्च तक बाघ की दहशत ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया था। बाघ ने इन तीन महीनों में 25 जानवरों का शिकार किया, लेकिन किसी इंसान पर हमला नहीं किया। वन अधिकारियों के मुताबिक, यह बाघ इंसानों से दूरी बनाए रखता था, इसलिए बड़ी अनहोनी नहीं हुई। बाघ पकड़ा गया, अब कहां जाएगा?
24 घंटे निगरानी में रहेगा- नशीले पदार्थ का असर खत्म होने तक बाघ को मॉनिटर किया जाएगा। फिर जंगल में छोड़ा जाएगा। एक्सपर्ट्स की सलाह के बाद पीलीभीत या दुधवा टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जाएगा। ये अधिकारी ऑपरेशन में थे शामिल स्कूल खुलेंगे, बच्चे पढ़ने जाएंगे
बाघ के डर से 20 किलोमीटर के दायरे में सरकारी और प्राइवेट स्कूल बंद थे। DM ने आदेश दिया था कि जब तक बाघ पकड़ा नहीं जाता, स्कूल नहीं खुलेंगे। अब बाघ के रेस्क्यू के बाद फिर से बच्चे स्कूल जाएंगे, किसान खेतों में काम करेंगे और गांवों में सामान्य जिंदगी लौटेगी। कितना खर्च हुआ, कितनी मेहनत लगी? 80 लाख रुपए खर्च- ड्रोन सर्विलांस, ट्रैंकुलाइजर, ट्रैपिंग केज, हाथियों की तैनाती, एक्सपर्ट्स की फीस। अब सवाल- इतना वक्त क्यों लगा वन मंत्री ने दी टीम को बधाई
बाघ पकड़े जाने पर मंत्री अरुण कुमार सक्सेना ने वन विभाग की टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा-वन विभाग की टीम ने रहमानखेड़ा में तीन महीने से आतंक का पर्याय बने बाघ को सफलता पूर्वक रेस्क्यू कर लिया है। इससे स्थानीय लोगों को राहत मिलेगी। ………………………. यह खबर भी पढ़े लखनऊ में 25 शिकार करने वाला खूंखार बाघ पकड़ा गया:90 दिन बाद वनकर्मियों ने किया ट्रैंकुलाइज; AI कैमरे के अलर्ट पर पहुंची थी टीम लखनऊ में 90 दिन से चहलकदमी कर रहे बाघ को पकड़ लिया गया है। बुधवार शाम रहमान खेड़ा जंगल के जोन-2 में वनकर्मियों ने उसे ट्रैंकुलाइज किया। पहला ट्रैंकुलाइजर डार्ट लगने पर बाघ बेहोश नहीं हुआ, वह आक्रामक होकर दहाड़ने लगा। डॉक्टर दक्ष और डॉक्टर नासिर ने घेराबंदी कर करीब 500 मीटर पीछा किया। निशाना बनाकर दूसरी डार्ट दागी। तब बाघ बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा। यहां पढ़े पूरी खबर