यूपी में 20-25 KM की रफ्तार से चल रही हवा:125 साल में तीसरी बार सबसे गर्म रहा जनवरी, अयोध्या सबसे ठंडा शहर

यूपी में 20-25 KM की रफ्तार से चल रही हवा:125 साल में तीसरी बार सबसे गर्म रहा जनवरी, अयोध्या सबसे ठंडा शहर यूपी में मौसम विभाग ने लगातार चौथे दिन भी कोहरे और बादल का अलर्ट किसी भी जिले में नहीं जारी किया गया है। यह 15 साल बाद ऐसा हुआ है, जब मौसम विभाग ने फरवरी माह के दूसरे सप्ताह में लगातार 7 दिनों तक कोई चेतावनी नहीं जारी है। 2007 में ऐसा हुआ था जब फरवरी माह में तापमान 30°C तक चला गया था। शनिवार को सबसे गर्म शहर बांदा रहा। यहां तापमान 26.4°C रहा। सबसे ठंडा शहर अयोध्या रहा, जहां रात को तापमान 7°C दर्ज किया गया। 125 साल में तीसरी बार सबसे गर्म रहा जनवरी का महीना
IMD के अनुसार इस बार जनवरी का महीना काफी गर्म रहा। 125 साल में ये तीसरी बार है, जब जनवरी का महीना इतना गर्म रहा। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि 1901 से देश में मौसम का रिकॉर्ड रखा जा रहा है। तब से लेकर आज तक के रिकॉर्ड को देखें तो ये तीसरी बार है, जब जनवरी महीने में इतनी गर्मी पड़ी हो। इससे पहले 1958 में 19.21 डिग्री तापमान के साथ जनवरी पहला सबसे गर्म महीना रहा। फिर 1990 में 19.1 तापमान के साथ जनवरी दूसरा सबसे गर्म महीना रहा। ये आंकड़ा पूरे भारत के तापमान को देखकर निकाला गया है। 1991 से अब तक सबसे गर्म रहा फरवरी का माह
मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि 1991 में फरवरी के शुरुआती सप्ताह में तापमान 28 डिग्री सेल्सियस तक गया था लेकिन इस बार पहले सप्ताह में 34 साल का रिकॉर्ड ब्रेक हुआ है और इस बार 30 डिग्री के ऊपर कई जिलों में तापमान चला गया है उन्होंने बताया कि कल से हवा बिल्कुल शांत हो जाएगी तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस बढ़ेगा। अगले 1 सप्ताह कोई बारिश की संभावना नहीं मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि कोई एक्टिविटी ना होने से ठंड में कमी आने लगी है और मौसम गर्म होने लगा है। इस समय आसमान भी बिल्कुल साफ है। उन्होंने बताया कि वेस्ट यूपी में तापमान ठीक है लेकिन ईस्ट यूपी में अप और नॉर्मल तापमान है। उन्होंने बताया अगले एक हफ्ते तक प्रदेश में बारिश होने की भी कोई संभावना नहीं है। गेहूं की फसल खतरा
खेतों में गेहूं की फसल में बालियां बन रही हैं और उसके बाद दाना पड़ेगा। मौसम में तेजी से परिवर्तन आ रहा है और 10 दिन में 20 डिग्री सेल्सियस से 27 डिग्री सेल्सियस तापमान पहुंच गया है। इससे गेंहू की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। बढ़े हुए तापमान के कारण गेहूं की बालियां बनने और मिल्की स्टेज प्रभावित होगी, जिसका उत्पादन पर असर पड़ेगा। ………………..

दिल्ली में मायावती को औवेसी से भी कम वोट मिले:68 सीटों पर लड़ीं, सभी पर जमानत जब्त; चंद्रशेखर भी फेल

दिल्ली में मायावती को औवेसी से भी कम वोट मिले:68 सीटों पर लड़ीं, सभी पर जमानत जब्त; चंद्रशेखर भी फेल हरियाणा चुनाव के बाद अब दिल्ली के चुनाव में बसपा जीरो पर रही। लगातार फ्लॉप हो रही पार्टी का परफार्मेंस इस बार AIMIM से भी नीचे चला गया। बसपा ने यहां 68 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उसे 0.58% वोट मिले। बसपा के मुकाबले आल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लेमीन यानी AIMIM को 0.78% वोट मिले। जबकि ओवैसी ने केवल 5 सीटों पर चुनाव लड़ा था। लगातार गिरता जा रहा बसपा का ग्राफ
बहुजन समाज पार्टी के कभी दिल्ली में भी विधायक हुआ करते थे। 2008 में पार्टी के दो विधायक थे। लेकिन वक्त के साथ-साथ बसपा का ग्राफ गिरता चला गया। 2008 के दिल्ली चुनाव में बसपा का वोट शेयर 14 प्रतिशत से ज्यादा था। उस समय बसपा अपने सबसे अच्छे दौर से गुजर रही थी। यूपी में उसकी पूर्ण बहुमत की सरकार थी। लेकिन उसके बाद से पार्टी लगातार धरातल में जाती रही। 2013 के चुनाव में बसपा का वोट शेयर 5.35% पर आ गया, जो 2015 में और गिरकर 1.30% रह गया। 2020 के चुनाव में बसपा का वोट शेयर मात्र 0.71% रह गया। दिल्ली में मायावती ने एक भी रैली नहीं की। पूरा चुनाव आकाश आनंद के चेहरे पर लड़ा गया। सबसे ज्यादा देवली सुरक्षित सीट पर 2581 वोट मिले
बसपा को सबसे ज्यादा देवली सुरक्षित सीट पर 2581 वोट मिले, वहीं सबसे कम वोट मटिया में महल 130 वोट मिले। 53 सीटें ऐसी रहीं जहां बसपा को एक हजार से कम वोट मिले। वहीं 68 में से 42 सीट ऐसी रही जहां नोटा से भी कम वोट बसपा को मिले। छाप छोड़ने में नाकाम रही आजाद समाज पार्टी
यूपी के नगीना सीट से सांसद चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी कांशीराम भी दिल्ली की 8 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी। लेकिन वह भी अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रही। केवल 2 सीटें ही ऐसी रहीं, जहां उन्हें बसपा के उम्मीदवार से अधिक वोट मिला। चंद्रशेखर के प्रत्याशी को नार्थ ईस्ट दिल्ली में सबसे अधिक 3080 वोट मिले। AIMIM ने 2 सीटों पर दी कड़ी टक्कर
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने दिल्ली की 2 सीटों मुस्तफाबाद और ओखला में अपने प्रतिद्वंदी को कड़ी टक्कर दी। हालांकि दोनों ही स्थान पर पार्टी को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। AIMIM ने सबसे ज्यादा ओखला में 39558 वोट हासिल किए। यहां आम आदमी पार्टी के अमानतुल्लाह खां 23 हजार वोटों से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। ओखला के अलावा मुस्तफाबाद में AIMIM के मोहम्मद ताहिर हुसैन को 33470 वोट मिले। यहां भाजपा ने आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को 17 हजार से अधिक वोटों से हराया। बसपा को करीब से कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार सैयद कासिम कहते हैं कि कांग्रेस जैसी पार्टी जिसने सालों से दिल्ली में हुकूमत की, वह भी इस समय अपना वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए जूझ रही है। मुकाबला जब सीधा होता है तो उसमें दूसरी पार्टियां का महत्व खत्म हो जाता है। मतदाता भी अपना वोट बर्बाद करने के बजाय मुकाबले में मौजूद दो में से एक को अपना वोट देता है। ओवैसी की परफार्मेंस को लेकर यूपी में अखिलेश यादव को चिंता करने की जरूरत है। क्योंकि जिस तरह से उन्होंने दो मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ा, वह मुस्लिम वोटों की राजनीति करने वालों के लिए खतरे की घंटी नजर आ रही है। देखना दिलचस्प होगा कि यूपी में अखिलेश यादव इस चुनौती से किस तरह पार पाते हैं। दिल्ली में हारे यूपी के दो दिग्गज
दिल्ली के चुनाव में यूपी के कई नेताओं की साख भी दांव पर लगी थी। इसमें कुछ पार्टी के प्रचार प्रसार का काम देख रहे थे जो कुछ सीधे तौर पर चुनाव लड़ रहे थे। मनीष सिसोदिया दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया मूल रूप से हापुड़ के रहने वाले हैं। वे 545 वोटों से चुनाव हार गए। आम आदमी पार्टी में वह केजरीवाल के बाद दूसरे नंबर की हैसियत रखते हैं। अवध ओझा गोंडा के रहने वाले अवध ओझा जो आईएएस की कोचिंग चलाते हैं, उन्हें बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। अवध ओझा पटपड़गंज सीट से चुनाव लड़ रहे थे। इस सीट पर दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तीन बार विधायक चुने गए थे। इस बार उन्होंने अपनी सीट बदल ली थी। यहां से अवध को भाजपा के रविंदर सिंह नेगी ने 28072 वोटों के अंतर से चुनाव हराया है। यूपी की बहू आतिशी जीतीं दिल्ली की निवर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना यूपी के मिर्जापुर जिले की बहू हैं। उनकी शादी यहां के प्रवीण सिंह से हुई है। वे दिल्ली की कालका से चुनाव लड़ रही थीं। आतिशी कई राउंड तक पीछे रहीं, हालांकि आखिर में उन्हें जीत नसीब हुई और उन्होंने रमेश बिधूड़ी को करीब साढ़े तीन हजार वोटों से हरा दिया। ———————————————————— ये खबर भी पढ़ें… BJP ने केजरीवाल समेत 26 में से 16 किले ढहाए:जाट बहुल सभी 10 सीटें भी छीन लीं; AAP कहां बिखरी, 8 अंदरूनी फैक्टर्स BJP ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 26 में से 16 किले ढहा दिए हैं। इनमें अरविंद केजरीवाल की नई दिल्ली विधानसभा सीट भी शामिल है। इन 26 सीटों पर AAP लगातार 3 विधानसभा चुनावों से जीत रही थी। BJP को सबसे ज्यादा फायदा वेस्ट और नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली में हुआ है। 2020 में यहां की 20 सीटों में से BJP सिर्फ 1 सीट जीती थी, लेकिन इस बार बढ़कर 16 सीटें जीत गई है। पढ़ें पूरी खबर…

मेरी आंखों के सामने पति को उठा ले गए बदमाश:पत्नी बोली- हत्यारों को नहीं छोडूंगी; झांसी में हाईवे के किनारे मिली लाश

मेरी आंखों के सामने पति को उठा ले गए बदमाश:पत्नी बोली- हत्यारों को नहीं छोडूंगी; झांसी में हाईवे के किनारे मिली लाश मेरे सामने बदमाश पति को कार में डालकर किडनैप कर ले गए। उनको बेरहमी से पीटा। गला दबाकर हत्या कर दी। 3 दिन बाद उनकी लाश मिली। पूरे शरीर पर चोट के निशान थे। हाथ टूटा था। मेरे छोटे-छोटे बच्चे अनाथ हो गए। मैं हत्यारों को छोडूंगी नहीं। यह कहना है झांसी के नंद किशोर की पत्नी लक्ष्मी का। उनके पति की किडनैप कर हत्या कर दी गई। 4 दिन बाद भी बदमाशों का सुराग नहीं मिल पाया। घटना के बाद दैनिक भास्कर टीम ने नंद किशोर की पत्नी लक्ष्मी से बात की। पढ़िए रिपोर्ट…। घर के बाहर से उठाकर ले गए थे
रक्सा क्षेत्र के राजापुर निवासी नंदकिशोर अहिरवार (40) राजमिस्त्री थे। इमलिया गांव में काम चल रहा था। 5 फरवरी की शाम साढ़े 6 बजे बाइक से घर लौटे। तभी लाल रंग की कार से तीन-चार बदमाश आए। नंदकिशोर को जबरन कार में डालकर ले गए। पत्नी लक्ष्मी ने नंदकिशोर के बड़े भाई बालकिशन, उनके बेटे अजय, छोटू यादव पर शक जताया। उनके खिलाफ केस दर्ज कराया। 3 दिन बाद शनिवार को बबीना टोल से हाईवे के किनारे एक लाश मिलने की सूचना पर पुलिस पहुंची। लाश को बबीना सीएचसी ले गए। परिजनों को बुलाकर शिनाख्त करवाई। नंदकिशोर के गले में गमछा बंधा था। पूरे शरीर पर चोट के निशान थे। बदमाशों ने गमछे से गला घोंटकर हत्या की थी। घर में सोते मिले थे आरोपी
राजमिस्त्री नंदकिशोर अहिरवार की पत्नी लक्ष्मी ने पुलिस को बताया था कि उसके पति का जेठ से पिछले छह साल से जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। बड़ा भाई अपने हिस्से की जमीन बेच चुका था। अब नंदकिशोर की जमीन में से हिस्सा मांग रहा था। महिला ने जेठ बालकिशन, उसके पुत्रों व छोटू यादव पर अपहरण की आशंका जताई। नामजद आरोपियों के घर जब पुलिस ने दबिश दी थी तो वे अपने घरों में सोते हुए मिले। उनसे पुलिस पूछताछ कर रही है। पत्नी बोली- मारकर फेकेंगे की धमकी सच निकली नंदकिशोर की पत्नी लक्ष्मी ने कहा- पति शाम को काम से लौटे थे। घर के अंदर भी नहीं आ पाए थे कि गेट से बदमाश उनको पकड़कर ले गए और मारकर फेंक दिया। काफी समय से भाइयों के बीच जमीन का विवाद चल रहा है। इसमें छोटू यादव भी शामिल था। वो हमसे लड़ता था और कहता था कि मारकर फेकेंगे और उसने मेरे पति को मारकर फेंक भी दिया। इसमें जेठ अजय समेत कई लोग शामिल हैं। इन्होंने मेरे पति को मार डाला। मेरे छोटे-छोटे बच्चे अनाथ हो गए। अब उनको कौन पालेगा। अब मुझे न्याय चाहिए, जिस तरीके से मेरे पति को मारा है। उसी तरह से हत्यारों को तिल-तिलकर मरना होगा। भरी जवानी में मुझे विधवा बना दिया। मैं इनको नहीं बख्शूंगी। 5 टीमें हत्यारों की तलाश में जुटीं
एसपी सिटी ज्ञानेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि मामले में नामजद आरोपियों से लगातार पूछताछ जारी है। अपहरणकर्ताओं की गिरफ्तारी के लिए पांच पुलिस टीमें गठित की हैं। जल्द उन्हें दबोच लिया जाएगा। ————————————————– ये खबर भी पढ़ें… अवधेश प्रसाद ने बेटे को जिताया:चुनावी मंच से आंसू बहाए, योगी पर बोले- मुझे कुत्ता बनाया; सियासी मोमेंट VIDEO में मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई। लेकिन, सांसद अवधेश प्रसाद अपने बेटे अजीत प्रसाद की जीत को लेकर ओवर-कॉन्फिडेंट थे। इसी के चलते उन्होंने काउंटिंग के दौरान जब भाजपा प्रत्याशी सपा से 35 हजार वोटों से आगे हुआ, तो खुशी से चिल्लाने लगे कि सपा आगे हो गई है। पढ़िए पूरी खबर

मिल्कीपुर जीत से भाजपा ने नाक बचाई, संदेश-अयोध्या छीन ली:योगी मजबूत होंगे, सपा को तरकस में नए तीर लाने होंगे…रिजल्ट का एनालिसिस

मिल्कीपुर जीत से भाजपा ने नाक बचाई, संदेश-अयोध्या छीन ली:योगी मजबूत होंगे, सपा को तरकस में नए तीर लाने होंगे…रिजल्ट का एनालिसिस ‘अयोध्या के मिल्कीपुर में भी भाजपा को शानदार जीत मिली है। हर वर्ग ने भारी संख्या में भाजपा के लिए मतदान किया। आज देश तुष्टिकरण नहीं, भाजपा के संतुष्टिकरण की पॉलिसी को चुन रहा है।’ मोदी का यह दिल्ली में दिया गया विजयी भाषण है। मोदी ने मिल्कीपुर की जीत का जिक्र करके देश को संदेश देने की कोशिश की है कि हम अयोध्या फिर जीत गए…। अंदाजा लगा सकते हैं, मिल्कीपुर की जीत भाजपा के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। भाजपा ने 8 महीने में सपा से यह सीट छीन ली, बड़े अंतर से। समाजवादी पार्टी ने मिल्कीपुर विधायक अवधेश प्रसाद को सांसद का टिकट दिया और वह जीत गए। तभी से सीट खाली थी। सपा ने अवधेश के बेटे अजीत प्रसाद को टिकट दिया तो भाजपा ने नए और साफ-सुथरे चेहरे पर दांव लगाया। लोकसभा चुनाव में 7,733 वोटों से पीछे रहने वाली भाजपा ने 61 हजार से ज्यादा के मार्जिन से जीत हासिल की। भाजपा और योगी देश में संदेश देना चाहते थे कि हम अयोध्या में कमजोर नहीं हुए। यह रणनीति कामयाब रही। इस जीत के मायने, हार-जीत के कारण और उत्तर प्रदेश की सियासत में इस जीत का क्या असर होने वाला है, इसे 11 सवालों के जवाब में समझिए… 1- मिल्कीपुर की जीत भाजपा के लिए इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?
1967 में अस्तित्व में आई मिल्कीपुर सीट पर 17 बार चुनाव हुए। इससे पहले भाजपा केवल 2 बार ही जीती। मिल्कीपुर सीट अयोध्या (फैजाबाद) संसदीय क्षेत्र में आती है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के 3 महीने बाद हुए हुए लोकसभा चुनाव में अयोध्या हारने पर भाजपा की देश-दुनिया में बदनामी हुई। इसलिए भी मिल्कीपुर को जीतना भाजपा के लिए प्रतिष्ठा वापस पाने की लड़ाई थी। 2- तो क्या भाजपा ने मिल्कीपुर जीतकर अयोध्या हार का बदला लिया?
बिलकुल। भाजपा यही जता भी रही है। अयोध्या लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा सीटें आती हैं। लोकसभा चुनाव में अयोध्या को छोड़कर बाकी 4 पर भाजपा हारी थी। मिल्कीपुर में 7,733 वोटों से भाजपा हारी थी। अब 61 हजार 636 वोटों के बड़े अंतर से सपा प्रत्याशी को हराकर भाजपा यही बता रही है कि अयोध्या हम नहीं हारे हैं। भाजपा यह नरेटिव भी बनाएगी कि संविधान और आरक्षण का मुद्दा जहां से उठा, वहीं खत्म हो गया। 3- सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग से क्या भाजपा यह चुनाव जीत पाई?
उपचुनाव में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप कोई नई बात नहीं है। पहले की सरकारों में भी यह होता रहा है और अब भी हो रहा है। कुछ हजार का अंतर तो ठीक है लेकिन 61 हजार का मार्जिन अकेले सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग से हासिल करना थोड़ा मुश्किल है। बूथ प्रबंधन से लेकर भाजपा की टाइट चुनावी रणनीति इस जीत में अहम वजह रही है। पार्टी ने हर जाति के वोटर को साधने के लिए उस जाति के प्रभावी लीडर को जिम्मेदारी सौंपी। यादवों को साधने के लिए विधायक रामचंद्र यादव, ब्राह्मणों को साधने लिए खब्बू तिवारी और ठाकुरों को साधने के लिए लल्लू सिंह और सपा के बागी अभय सिंह को लगाया। 4- इस जीत का अभी और आगे क्या कोई भारी असर पड़ने वाला है?
1 सीट से नंबर में कोई अंतर नहीं आएगा। फर्क दिखेगा लीडरशिप के कामकाज में, उनके कॉन्फिडेंस में। विधानसभा के अंदर योगी और उनकी सरकार ज्यादा हमलावर होगी। लोकसभा चुनाव में 29 सांसद गंवाने के बाद उत्तर प्रदेश की भाजपा लीडरशिप में निराशा थी, 2027 के चुनाव के नतीजों को लेकर सवाल उठाए जाने लगे थे। पार्टी में अंतर्कलह भी सामने आई। 9 सीटों के उपचुनाव और अब मिल्कीपुर के नतीजों के बाद तय हो गया कि सीएम योगी आगे और ताकतवर होंगे। 5- कैंडिडेट चयन का हार-जीत में कितना असर रहा?
इसका बड़ा असर रहा। समाजवादी पार्टी ने परंपरागत परिवार को टिकट दिया। सांसद अवधेश प्रसाद ने अपने बेटे अजीत प्रसाद को मैदान में उतारा। भाजपा ने परिवारवाद का मुद्दा जोरशोर से उठाते हुए बिलकुल नए चेहरे को मैदान में उतारा। भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान पहली बार चुनाव लड़े। पेशे से कपड़ा व्यापारी चंद्रभानु की साफ-सुथरी इमेज ने वोटरों को प्रभावित किया। 6- सपा कार्यकर्ताओं पर रेप केस, रिजल्ट पर इसका कोई प्रभाव दिखा?
दलित युवती से रेप में अयोध्या के सपा कार्यकर्ता मुईद खान फिर नवाब सिंह यादव का नाम आया। इन्होंने अपराध किया है या नहीं, यह तो कोर्ट के फैसले से पता चलेगा लेकिन भाजपा यह माहौल बनाने में कामयाब रही कि इनके लोग अपराध में लिप्त हैं। वोटर्स में इसका ज्यादा न सही थोड़ा असर रहा है। बेटियों की सुरक्षा बड़ा मुद्दा बनी रही। 7- सपा प्रत्याशी अजीत प्रसाद अपने बूथ पर भी हार गए, इसका क्या मतलब हुआ?
इस बूथ पर सामान्य खासकर ब्राह्मण वोटर्स ज्यादा हैं। अवधेश प्रसाद पुराने और जमे जमाए नेता हैं, इसलिए उन्हें इनके वोट मिलते रहे। अजीत प्रसाद की छवि आस-पड़ोस में ठीक नहीं है। उन पर जमीन कब्जाने, आम पब्लिक से विवाद करने जैसे आरोप भी थे। परिवारवाद बड़ा मुद्दा था ही, इसलिए बूथ के वोटर्स ने भी इन्हें हरा दिया। 8- 403 सीट की विधानसभा में एक सीट बढ़ने से क्या फर्क पड़ जाएगा?
आंकड़ों की बात करे तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन भाजपा मनौवैज्ञानिक रूप से ताकतवर हो जाएगी। खासकर योगी के तेवर फिर देखने लायक होंगे। 2022 में भाजपा ने 255 सीटें जीती, पिछले उपचुनाव के बाद यह संख्या बढ़कर 257 हो गई, अब यह 258 हो गई। एनडीए के 291 विधायक हैं। बहुमत के लिए 202 सीटें ही चाहिएं। 9- क्या सपा का पीडीए अब असरदार नहीं रहा?
ऐसा नहीं कह सकते। राजनीति में समीकरण बनते-बिगड़ते देर नहीं लगती। अलबत्ता कुंदरकी, मीरापुर के बाद मिल्कीपुर जीतकर भाजपा ने यह जताने की कोशिश जरूर की है कि सपा का पीडीए फार्मूला असरदार नहीं रहा और इसकी काट उन्होंने ढूंढ ली है। 10- इस हार में समाजवादी पार्टी के लिए क्या संदेश दिखता है?
लड़ाई बड़ी हो या छोटी, ताकत पूरी लगानी पड़ेगी। सीएम योगी ने यहां 6 महीने में 6 सभाएं की। हर बूथ की माइक्रो वर्किंग की। भाजपा का जो वोटर नहीं निकलता था, उसे इस बार पोलिंग बूथ तक पहुंचाया। परिवारवाद और पुराने चेहरों की बजाय नए और साफ-सुथरा कैंडिडेट को उतारना होगा। सपा को नए सिरे से रणनीति बनानी होगी। पीडीए के अलावा तरकस में नए तीर-कमान लाने होंगे। और अंत में… 11- चुनाव से ठीक पहले अवधेश प्रसाद के रोने का भी वोटरों पर कोई असर नहीं हुआ?
बिलकुल हुआ…लेकिन नेगेटिव। सांसद जिस ढंग से रोये, वह वोटरों को शायद पसंद नहीं आया। लोग कह रहे थे- सांसद के रोने में फीलिंग नहीं थी। —————————– यह खबर भी पढ़ें अवधेश के आंसू फेल कर भाजपा ने मिल्कीपुर जीता, RSS घर-घर पहुंचा, अजीत प्रसाद की इमेज परिवारवाद तक समेटी, जीत की ग्राउंड जीरो स्ट्रैटजी मिल्कीपुर सीट BJP ने जीत ली। सपा से फैजाबाद सीट पर हुई हार का बदला सिर्फ 8 महीने में ले लिया। दरअसल, 5 फरवरी को हुई रिकॉर्ड वोटिंग ने ही BJP की जीत के संकेत दे दिए थे। चंद्रभानु पासवान मिल्कीपुर सीट से विधायक बन गए हैं। उन्होंने सपा कैंडिडेट अजीत प्रसाद को 61 हजार वोट के बड़े अंतर से हराया। सपा जिस सीट को अपना गढ़ बता रही थी, वहां के लोगों ने कमल को चुनकर सबको चौंका दिया। यहां पढ़ें पूरी खबर

महाकुंभ जाने वाले ट्रेन के इंजन में श्रद्धालुओं का कब्जा:GRP के सिपाही ने थप्पड़ मारकर उतारे; हरदोई में खड़ी ट्रेन में नहीं घुस पाए यात्री

महाकुंभ जाने वाले ट्रेन के इंजन में श्रद्धालुओं का कब्जा:GRP के सिपाही ने थप्पड़ मारकर उतारे; हरदोई में खड़ी ट्रेन में नहीं घुस पाए यात्री महाकुंभ जाने के लिए श्रद्धालुओं की स्टेशनों पर जबरदस्त भीड़ देखने को मिल रही है। वाराणसी में यात्रियों को जगह नहीं मिली तो ट्रेन के इंजन में ही लोगों ने कब्जा कर लिया। इसके बाद पहुंचे GRP के सिपाही ने लोगों को थप्पड़ मारकर बाहर निकाले। वहीं हरदोई में प्लेटफॉर्म पर खड़ी हुई ट्रेन के दरवाजे नहीं खुलने से यात्री नहीं चढ़ पाए और ट्रेन रवाना हो गई। अब बात वाराणसी के कैंट स्टेशन की
शनिवार को वाराणसी के कैंट स्टेशन पर प्रयागराज महाकुंभ जाने के लिए यात्रियों की भीड़ थी। रात में करीब 1 बजकर 30 मिनट पर प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर ट्रेन खड़ी थी। जब यात्रियों को ट्रेन में जगह नहीं मिली तो एक-एक करके करीब 20 से अधिक यात्री ट्रेन के इंजन में चढ़ गए। और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। पहले 3 तस्वीरें देखिए… लोको पायलट के कहने पर भी नहीं खोला गेट
जब लोको पायलट पहुंचे तो भी लोगों ने अंदर से दरवाजा नहीं खोला। इस दौरान लोको पायलट कहते रहे कि बाहर निकल जाइए लेकिन श्रद्धालु नहीं माने। इस पूरे घटनाक्रम के बाद लोको पायलट ने GRP को बुला लिया। इसके बाद जब GRP के सिपाही पहुंचे। जब श्रद्धालु नहीं उतरे तो सिपाही ने एक-दो यात्रियों को थप्पड़ मारकर नीचे उतारा। लोको पायलट की नहीं सुन रहे थे श्रद्धालु
कानपुर के एक यात्री ने बताया- वह कानपुर जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। तभी प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर देखा कि ट्रेन के इंजन में लोग चढ़ रहे थे। साथ ही हर-हर महादेव के जयकारे भी लगा रहे थे। मैंने तुरंत GRP को जानकारी दी। हरदोई स्टेशन पर ट्रेन में नहीं चढ़ सके यात्री शनिवार देर रात हरदोई स्टेशन पर भी प्रयागराज जाने वाली ट्रेन आकर खड़ी हुई। लेकिन ट्रेन के दरवाजे अंदर से श्रद्धालुओं ने नहीं खोले। जब दरवाजे नहीं खुले तो बाहर के यात्रियों ने हंगामा शुरू कर दिया। इस दौरान पत्थर फेंककर उन्होंने ट्रेन के शीशे भी तोड़ दिया। वहीं थोड़ी देर बाद सिग्नल होने पर ट्रेन रवाना हो गई। इस दौरान करीब 2 हजार यात्री ट्रेन में नहीं चढ़ सके। ………………….. ये खबर भी पढ़ें… अवधेश प्रसाद ने बेटे को जिताया:चुनावी मंच से आंसू बहाए, योगी पर बोले- मुझे कुत्ता बनाया; सियासी मोमेंट VIDEO में मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई। लेकिन, सांसद अवधेश प्रसाद अपने बेटे अजीत प्रसाद की जीत को लेकर ओवर-कॉन्फिडेंट थे। इसी के चलते उन्होंने काउंटिंग के दौरान जब भाजपा प्रत्याशी सपा से 35 हजार वोटों से आगे हुआ, तो खुशी से चिल्लाने लगे कि सपा आगे हो गई है। पढ़िए पूरी खबर

सहारनपुर जेल में बंदी रिहाई का आया फर्जी लेटर:आदेश में लिखा- बंदी को रिहा करो, जेल अधीक्षक ने कराया मुकदमा दर्ज

सहारनपुर जेल में बंदी रिहाई का आया फर्जी लेटर:आदेश में लिखा- बंदी को रिहा करो, जेल अधीक्षक ने कराया मुकदमा दर्ज सहारनपुर जिला कारागार में एक फर्जी लेटर ने हड़कंप मचा दिया। राष्ट्रपति भवन के नाम पर भेजे गए इस पत्र में हत्या के आरोपी बंदी अजय की समय पूर्व रिहाई का आदेश दिया गया था। जेल प्रशासन ने पत्र को संदिग्ध मानते हुए मामले की जांच शुरू कराई और थाने में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया है। कुछ दिन पहले सहारनपुर जिला जेल को डाक के माध्यम से एक पत्र मिला। इस पत्र में राष्ट्रपति भवन का हवाला देते हुए लिखा गया था कि थाना सरसावा के झरौली निवासी अजय को समय से पूर्व रिहा कर दिया जाए। अजय को 24 नवंबर 2024 को हत्या और साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और मामला अभी जिला एवं सत्र न्यायालय में लंबित है। पत्र में यह भी दावा किया गया था कि आदेश “राष्ट्रीय विशेष अदालत, राष्ट्रपति भवन” की ओर से जारी किया गया है। जेल अधीक्षक सत्य प्रकाश सिंह ने पत्र की वैधता को लेकर संदेह जताया। बंदी अजय का पूरा ब्योरा खंगाला गया, लेकिन ऐसा कोई तथ्य सामने नहीं आया, जिससे यह पुष्टि हो सके कि राष्ट्रपति भवन की ओर से आदेश जारी किया गया है। इसके बाद अधीक्षक ने थाना जनकपुरी में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कराया। प्रथम दृष्टया यह मामला फर्जीवाड़े का प्रतीत हो रहा है। जेल प्रशासन का मानना है कि किसी ने बंदी की रिहाई के लिए यह चाल चली है। पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि पत्र किसने भेजा और इसका उद्देश्य क्या था। थाना जनकपुरी पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। जेल अधीक्षक सत्य प्रकाश सिंह ने बताया, “पत्र की सत्यता संदिग्ध लग रही है। कोर्ट में भी इस तरह के किसी आदेश की पुष्टि नहीं हुई। पुलिस अब पत्र की जांच अपने स्तर पर करेगी।”

सहारनपुर में आचार्य प्रमोद कृष्णन का बड़ा बयान:बोले- “जब तक राहुल है कांग्रेस का कुछ नहीं हो सकता, उन्हें कोई हटा भी नहीं सकता”

सहारनपुर में आचार्य प्रमोद कृष्णन का बड़ा बयान:बोले- “जब तक राहुल है कांग्रेस का कुछ नहीं हो सकता, उन्हें कोई हटा भी नहीं सकता” सहारनपुर में आचार्य प्रमोद कृष्णन ने शनिवार को एक सभा के दौरान भारतीय राजनीति और सनातन धर्म पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, “राजनीति में हार-जीत चलती रहती है, लेकिन यह सनातन का युग है। जो सनातन का झंडा लेकर चलेगा, वही सत्ता के सिंहासन पर बैठेगा। हाल के दिनों में अरविंद केजरीवाल और विपक्षी दलों ने सनातन का अपमान किया है। अखिलेश यादव, राहुल गांधी और वामपंथी विचारधारा के नेता मिलकर सनातन को मिटाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन यह पीएम मोदी की जीत है।” आचार्य प्रमोद ने कहा, “यह मोदी का जादू है, जो न केवल लोगों के दिलों बल्कि उनके दिमागों पर भी छा गया है। यह किसी गठबंधन की हार या जीत नहीं है, बल्कि सिर्फ और सिर्फ मोदी की जीत है।” उन्होंने राहुल गांधी और विपक्षी नेताओं पर तंज कसते हुए कहा, “जब राहुल गांधी के पक्ष में फैसला होता है, तो वे कहते हैं कि भारत में लोकतंत्र जिंदा है। लेकिन जब उनके खिलाफ फैसला आता है, तो वे लोकतंत्र के मरने की बात करने लगते हैं। यह रोज लोकतंत्र को मारते हैं और रोज जिंदा करते हैं।” आचार्य प्रमोद ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, “इंडिया गठबंधन बेमेल था, जो टूटना ही था। इसकी तेरहवीं नीतीश कुमार ने कर दी, श्राद्ध राहुल गांधी ने और तर्पण अरविंद केजरीवाल ने। इस गठबंधन में न कोई दिशा थी, न विचारधारा।” उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, “राहुल गांधी का विश्वास न भारत में है, न भारत की सभ्यता, संविधान और संस्कृति में। अगर उन्हें लोकतंत्र पर भरोसा नहीं है, तो संसद से इस्तीफा दे देना चाहिए।” आचार्य प्रमोद कृष्णन के इन बयानों ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने सीधे तौर पर पीएम मोदी की नीतियों और उनकी लोकप्रियता को ‘सनातन की जीत’ करार दिया है।

अवधेश के आंसू फेल कर भाजपा ने मिल्कीपुर जीता:RSS घर-घर पहुंचा, अजित प्रसाद की इमेज परिवारवाद तक समेटी, जीत की ग्राउंड जीरो स्ट्रैटजी

अवधेश के आंसू फेल कर भाजपा ने मिल्कीपुर जीता:RSS घर-घर पहुंचा, अजित प्रसाद की इमेज परिवारवाद तक समेटी, जीत की ग्राउंड जीरो स्ट्रैटजी मिल्कीपुर सीट BJP ने जीत ली। सपा से फैजाबाद सीट पर हुई हार का बदला सिर्फ 8 महीने में ले लिया। दरअसल, 5 फरवरी को हुई रिकॉर्ड वोटिंग ने ही BJP की जीत के संकेत दे दिए थे। चंद्रभानु पासवान मिल्कीपुर सीट से विधायक बन गए हैं। उन्होंने सपा कैंडिडेट अजीत प्रसाद को 61 हजार वोट के बड़े अंतर से हराया। सपा जिस सीट को अपना गढ़ बता रही थी, वहां के लोगों ने कमल को चुनकर सबको चौंका दिया। 2022 का विधानसभा चुनाव 41.83 फीसदी वोट शेयर के साथ हारने वाली भाजपा ने केवल 2 साल में 60.17 फीसदी वोटों पर कब्जा किया। वहीं, 2022 में सपा से अवधेश प्रसाद 47.99 फीसदी वोट शेयर के साथ जीते थे। इस बार सपा 34.81 फीसदी वोटरों को ही लुभा सकी। BJP ने इतनी मजबूत स्ट्रैटजी बनाई कि अजीत प्रसाद को लोगों ने कभी प्रभावशाली कैंडिडेट माना ही नहीं। RSS के स्वयंसेवक घर-घर पहुंचे। सपा सांसद अवधेश के आंसू फेल साबित कर दिए। उनके बेटे अजीत की इमेज परिवारवाद तक समेट कर रख दी। सबसे पहले 3 चौंकाने वाले फैक्ट… अब BJP की रिकॉर्ड जीत की राह आसान करने वाली 6 स्ट्रैटजी… 1. RSS का मैनेजमेंट, गली-मोहल्लों में 1 हजार बैठकें कीं
चुनाव में सबसे बड़ी मशीनरी के तौर पर RSS (स्वयंसेवक संघ) की भूमिका रही। पर्दे के पीछे स्वयं सेवक घर-घर पहुंचे। BJP को वोट देने के लिए कहा। बताया कि चंद्रभानु अगर विधायक बनते हैं, तो मिल्कीपुर में बदलाव की बयार बहेगी। इस तरह की करीब 1 हजार बैठकें स्वयंसेवकों ने लोगों के साथ कीं। इलेक्शन घोषित होने से पहले से RSS के स्वयंसेवक सक्रिय हो गए थे। जब वोटिंग-डे आया, तब भी लोगों को घर से निकालकर उन्हें बूथ तक लाए। इसका नतीजा हुआ कि रिकॉर्ड 65% वोटिंग हुई। 2. फैजाबाद की हार के बाद ‘अयोध्या बहिष्कार’ को भूलने नहीं दिया
लोकसभा चुनाव- 2024 में फैजाबाद सीट पर BJP की हार हुई, जबकि राम मंदिर बन चुका था। सपा और कांग्रेस के गठबंधन में अवधेश प्रसाद सांसद बने। इसके बाद पूरे यूपी से अचानक अयोध्या बहिष्कार की आवाज गूंजने लगी। लोग अयोध्या जाते तो प्रसाद बाहर से खरीदकर ले जाते। वहां की दुकानों से खरीदारी बंद कर दी। अयोध्या के लोगों को BJP की हार से बेइज्जती जैसा अनुभव होने लगा। BJP के कार्यकर्ता जब लोगों के बीच जाते, तब इसका जिक्र जरूर करते। ताकि लोग ये न भूले कि सपा को चुनने के बाद यूपी के लोगों ने कैसी प्रतिक्रिया दी? इसका फायदा BJP को मिला। 3. चंद्रशेखर के कैंडिडेट को वोट कटुवा साबित किया
मिल्कीपुर सीट पर फाइट सपा और भाजपा की मानी गई। दोनों पार्टियों ने दलित वोटर को देखते हुए पासवान कैंडिडेट उतारे। चंद्रशेखर ने भी दलित वोटर को ध्यान में रखते हुए संतोष कुमार को कैंडिडेट बनाया। बसपा चुनाव मैदान में नहीं थी। ऐसे में BJP ने लोगों के बीच चंद्रशेखर के कैंडिडेट को ‘वोट कटुवा’ साबित किया। कहा, ये वोट भी नहीं काट पाएंगे। यही वजह रही कि पूरे चुनाव में सूरज चौधरी कभी फाइट में नहीं आ सके। 4. सवर्ण वोटर को बूथ तक लाए
लोकसभा चुनाव 2024 में फैजाबाद सीट पर BJP की हार की बड़ी वजह इसलिए भी हुई, क्योंकि 36% जनरल वोटर में एक बड़ा हिस्सा ऐसा था, जो बूथ तक वोट देने नहीं आया। उसको BJP ने बूथ तक लाने का प्रयास भी नहीं किया। इस बार ऐसा नहीं हुआ। अपनी ही गलती से सीखते हुए BJP ने सवर्णों के बीच अपने नेता एक्टिव रखे। ताकि वह घर से निकलकर बूथ आएं और वोट करें। 5. कैंडिडेट चुनते वक्त पुराने चेहरों से दूरी बनाई
मिल्कीपुर में BJP ने कैंडिडेट चुनते वक्त आंतरिक सर्वे करवाया। पब्लिक फीडबैक लिया। सामने आया कि पुराने चेहरों से लोगों की नाराजगी है। इसके बाद जमीन खरीद में गड़बड़ी, फर्जी मुकदमे कराने और सत्ता का दुरुपयोग के आरोप वाले चेहरों से दूरी बनाई। चंद्रभानु BJP में किसी पद पर नहीं थे, फिर भी उन्हें कैंडिडेट बनाया। BJP की यह स्ट्रैटजी काम कर गई। लोगों को साफ छवि वाला नया चेहरा पसंद आया। 6. पुलिस के एक्शन ने अवधेश के आंसू फेल किए
ठीक मिल्कीपुर चुनाव के वक्त अयोध्या में एक दलित लड़की की निर्मम हत्या हुई। अवधेश प्रसाद से लेकर अखिलेश यादव ने अपनी जनसभा में BJP को घेरा, मंच से ही अखिलेश रोने लगे। ऐसा लगा कि दलित वोटर BJP से छिटक सकता है। ऐसे में पुलिस एक्शन बहुत तेज हुआ। रिकॉर्ड समय में पुलिस ने आरोपी को जेल भेजा। BJP लोगों में सुरक्षित माहौल का संदेश देने में सफल रही। अब मिल्कीपुर में सपा के हार के 3 कारण… 1. अखिलेश PDA फॉर्मूला से लोगों को नहीं जोड़ सके
मिल्कीपुर चुनाव में अखिलेश ने PDA फॉर्मूला अपनाया। लोकसभा चुनाव में उन्हें फायदा भी हुआ था। लोगों के बीच पिछड़ों की बात करते रहे। लेकिन, मुद्दों से लोगों को जोड़ने के लिए मिल्कीपुर सिर्फ 1 बार पहुंचे। अजीत के नामांकन तक में नहीं पहुंचे। डिंपल यादव ने रोड शो किया, लेकिन पब्लिक और सपा नेता की दूरियां सबको दिखती रहीं। 2. सपा अपने कोर वोटर को संभाल नहीं सकी
मुस्लिम-यादव को सपा अपना कोर वोटर मानती है। रेप के आरोपी मोईद खान का सपा फेवर भी करती रही। लेकिन एक चूक हो गई, अवधेश प्रसाद मुस्लिम कम्युनिटी के बीच कम एक्टिव रहे। इसका नुकसान सपा को उठाना पड़ा। मुस्लिम का पूरा वोट सपा को नहीं मिला। 3. अवधेश की छवि से बाहर नहीं निकल सके अजीत
सपा ने भले ही कैंडिडेट अजीत प्रसाद को बनाया, लेकिन वह अपने पिता अवधेश प्रसाद के प्रभाव से बाहर नहीं निकल सके। लोगों ने यहां तक कहा कि अजीत चुनाव में एक्टिव ही नहीं रहे, जबकि सारी रणनीति अवधेश प्रसाद बनाते रहे। वंशवाद का मुद्दा भी BJP ने खूब भुनाया। जिस डेंट सपा को लगा। ——————————— ये खबरें भी पढ़ें अवधेश प्रसाद ने काउंटिंग के बीच बेटे को जिताया, चुनावी मंच से रोए, योगी पर बोले- मुझे कुत्ता बनाया; सियासी मोमेंट VIDEO में मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई। लेकिन, सांसद अवधेश प्रसाद अपने बेटे अजीत प्रसाद की जीत को लेकर ओवर-कॉन्फिडेंट थे। इसी के चलते उन्होंने काउंटिंग के दौरान जब भाजपा प्रत्याशी सपा से 35 हजार वोटों से आगे हुआ, तो खुशी से चिल्लाने लगे कि सपा आगे हो गई है। देखें वीडियो भाजपा ने हार को सबसे बड़ी जीत में कैसे बदला, विधानसभा चुनाव तक मैसेज देगी; 8 महीने में सपा ने गंवाई अपनी बढ़त लोकसभा चुनाव में अयोध्या (फैजाबाद) सीट जीतने के महज 8 महीने 4 दिन बाद ही सपा को बड़ा झटका लगा है। इस सीट पर अब तक की सबसे बड़ी जीत भाजपा ने दर्ज की है। भाजपा प्रत्याशी चंद्रभानु ने सपा प्रत्याशी और सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को 61 हजार से अधिक वोटों से हराया। यहां पढ़ें पूरी खबर

झांसी में किडनैप के बाद युवक की हत्या:हाईवे किनारे मिली लाश; 3 दिन पहले घर के सामने से ले गए थे

झांसी में किडनैप के बाद युवक की हत्या:हाईवे किनारे मिली लाश; 3 दिन पहले घर के सामने से ले गए थे झांसी में अपहरण के बाद युवक की गला घोंटकर हत्या कर दी गई। 3 दिन पहले 4 बदमाश जबरन उसे कार में डालकर ले गए। पुलिस उनकी तलाश करती रही। शनिवार को शहर से 30 किलोमीटर दूर हाईवे किनारे उसकी लाश मिली। एक चरवाहे ने उसकी लाश देखी तो पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। परिजनों ने मॉर्च्युरी पहुंचकर हंगामा कर रहे हैं। उनका आरोप है कि पुलिस ने ठीक से कार्रवाई नहीं की। 3 दिन में पुलिस बदमाशों को नहीं ढूंढ पाई। हंगामे की जानकारी मिलते ही पुलिस विभाग के अधिकारी भी वहां पहुंचे। अफसरों के समझाने के बाद परिजन पोस्टमॉर्टम के लिए राजी हुए। मामला रक्सा थाना क्षेत्र के राजापुर गांव का है। अब पढ़िए पूरा मामला… बदमाश घर के बाहर से उठाकर ले गए
नंदकिशोर अहिरवार (40) रक्सा के राजापुर गांव का रहने वाला था। उसके साले हरिनिवास ने बताया कि मेरे जीजा नंदकिशोर राजमिस्त्री थे। इमलिया गांव में काम चल रहा था। 5 फरवरी की शाम 6:30 बजे वह बाइक से घर लौटे और बाइक अंदर रखने लगे। तभी लाल रंग की कार से तीन-चार बदमाश आए। उन्होंने जीजा को जबरदस्ती कार में बैठाया और अपने साथ ले गए थे। पत्नी लक्ष्मी ने नंदकिशोर के बड़े भाई बालकिशन, उसके बेटे अजय और छोटू यादव पर शक जताया। उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया। गमछा से गला घोंटा, मारपीट भी की
साले ने बताया कि 3 दिन से हम लोग पुलिस के साथ जीजा की तलाश में जुटे थे। लेकिन पुलिस न तो बदमाशों को ढूंढ़ पाई और न ही जीजा का पता लगा पाई। उल्टा हम लोगों से ही उल्टे-सीधे सवाल पूछते रहे। आज बबीना टोल से आगे एक व्यक्ति जानवर चरा रहा था। तभी उसे हाईवे किनारे एक व्यक्ति की लाश नजर आई। सूचना पर पुलिस पहुंच गई। हम लोग सूचना पाकर बबीना सीएचसी पहुंचे तो लाश की पहचान की। जीजा नंदकिशोर के गले में गमछा बंधा था। पूरे शरीर पर चोट के निशान थे। बदमाशों ने गमछे से गला घोंटकर मारा है। इसके बाद पुलिस शव लेकर मेडिकल कॉलेज की मॉर्च्युरी में पहुंची। यहां पर परिजनों ने कार्रवाई न करने का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। सगे भाई पर आरोप, जांच में जुटी पुलिस
साले का आरोप है कि नंदकिशोर समेत 5 भाइयों पर करीब 35 बीघा जमीन थी। बड़े भाई बालकिशन ने अपने हिस्से की जमीन बेच थी। अब वो 4 भाइयों के हिस्से में से जमीन मांग रहे थे। जबकि कोई उनको जमीन नहीं देना चाहता था। करीब 6 साल से विवाद चल रहा था। 2 भाई अशोक और दिनेश की पहले ही मौत हो चुकी है। रक्सा थानाध्यक्ष परमेंद्र सिंह ने बताया कि अपहरण के बाद नंदकिशोर की हत्या की गई है। बदमाशों की तलाश की जा रही है। ———————— ये भी पढ़ें: शादी के 12 घंटे बाद दूल्हे की मौत:बरेली में कार ट्रक में घुसी; खबर सुनकर दुल्हन बेहोश होकर गिरी बरेली में शादी के 12 घंटे बाद सड़क हादसे में दूल्हे की मौत हो गई। वह दोस्तों और रिश्तेदार के साथ मिठाई लेने जा रहा था। ढाबे के पास खड़े ट्रक से उनकी कार टकरा गई। कार में बैठे 3 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे की सूचना मिलते ही शादी वाले घर में मातम छा गया। दुल्हन बेसुध होकर जमीन पर गिर पड़ी। दूल्हे की मां का रो-रोकर बुरा हाल है। हादसा इज्जतनगर थाना क्षेत्र में हुआ। (पढ़ें पूरी खबर)

सपा के आंसू देख भाजपा ने बुक किए हलवाई:निशाने पर BJP विधायक की तरकारी और तकरार, बाबू ने लगाई अफसर की लंका

सपा के आंसू देख भाजपा ने बुक किए हलवाई:निशाने पर BJP विधायक की तरकारी और तकरार, बाबू ने लगाई अफसर की लंका यह बात खरी है… इसमें आप देखेंगे यूपी की राजनीति और सरकारी विभागों में अंदरखाने चल क्या रहा है? ऊपर VIDEO पर क्लिक करें…